म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ नागरिकों का विरोध कायम है. रविवार को पुलिस ने लोकतांत्रिक सरकार की बहाली की मांग कर रहे लोगों फायरिंग की. बीबीसी के मुताबिक, म्यांमार के यंगून, दवेई और मंडाले जैसे कई शहरों से प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की गई. इसमें कम से कम 18 लोगों की मौत होने की खबर है. यहां प्रदर्शनकारी म्यांमार की नेता आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को सत्ता दोबारा सौंपने की मांग कर रहे हैं.
1 फरवरी को हुआ था तख्तापलट
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पुलिस ने म्यांमार के सबसे बड़े शहर यांगून में पुलिस ने गोलियां चलाई . यहां प्रदर्शनकारियों को सड़कों से हटाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए और पानी की बौछारें भी छोड़ी गई. सोशल मीडिया पर भी ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें गोलियों के खोखे दिखाई दे रहे हैं. रविवार को हिंसा उस वक्त भड़क उठी, जब मेडिकल के छात्र राजधानी में मार्च निकाल रहे थे. म्यांमार में सेना ने 1 फरवरी को आंस सान सू ची की निर्वाचित सरकार को हटा दिया था. इस कार्रवाई के बाद कई नेताओं को हिरासत में रखा गया है. सैन्य शासन ने सोशल मीडिया और इंटरनेट पर भी रोक लगा रखी है.
अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है
भारत ने म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार बहाली का समर्थन किया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, ‘भारत म्यांमार के साथ स्थल और समुद्री सीमा साझा करता है, इसलिए वहां पर शांति और स्थिरता कायम होना भारत के सीधे हित में है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘भारत म्यांमार के हालिया घटनाक्रम पर निगाह बनाए हुए है. हम इस बात से चिंतित हैं कि पिछले दशकों में लोकतंत्र की तरफ म्यांमार को मिली बढ़त को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए.’
अतंरराष्ट्रीय स्तर पर भी म्यांमार के सैन्य शासकों के खिलाफ कदम उठाए जा रहे हैं. अमेरिका ने तख्तापटल में शामिल सैन्य नेतृत्व और उनके परिजनों पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया है. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने न केवल सैन्य नेतृत्व से सत्ता छोड़ने, बल्कि आंस सान सू ची और विन मिंत समेत लोकतांत्रिक बंदियों और कार्यकर्ताओं को रिहा करने की अपील की है. बीबीसी के मुताबिक उन्होंने कहा कि अमेरिका रखे म्यांमार के एक अरब डॉलर के फंड को भी फ्रीज किया जा रहा है.
यूएन में सवाल उठाने पर राजदूत बर्खास्त
म्यांमार के सैन्य शासकों ने संयुक्त राष्ट्र में सेना के विरोध में बात रखने वाले अपने राजदूत क्यॉ मो तुन को निकालने का ऐलान किया है. सैन्य शासन ने उन पर अपनी शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. दरअसल, राजदूत क्यॉ मो तुन ने संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार की सेना को सत्ता से हटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी थी. राजदूत क्यॉ मो तुन ने कहा था कि किसी को भी म्यांमार की सैन्य सत्ता का सहयोग नहीं करना चाहिए.
Advertisement. Scroll to continue reading. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने सैन्य सत्ता के राजदूत को हटाने के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है. उसका कहना है कि वह सैन्य सत्ता को मान्यता नहीं देता है, इसलिए निर्वाचित सरकार की ओर नियुक्त राजदूत क्यॉ मो तुन पहले की तरह राजदूत बने रहेंगे.