विधान मंडल

एक चुनाव, जिसमें स्नातक से कम पढ़ाई करने वाले शामिल ही नहीं हो सकते?

देश में जहां भी विधान सभा के साथ विधान परिषद है, वहां पर कुछ सीटें ऐसी होती हैं, जिनके चुनाव में सिर्फ पढ़े-लिखे लोग भाग ले पाते हैं. इन सीटों शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र कहा जाता है. अभी उत्तर प्रदेश में विधानपरिषद की जिन 11 सीटों पर पर चुनाव चल रहा है.  स्नातक सीटों के चुनाव में लखनऊ डिवीजन, वाराणसी डिवीजन, आगरा डिवीजन, मेरठ डिवीजन और इलाबाबाद झांसी डिवीजन की सीटें शामिल हैं. वहीं, शिक्षक सीटों में लखनऊ डिवीजन, वाराणसी डिवीजन, आगरा डिवीजन, मेरठ डिवीजन, बरेली-मुरादाबाद डिवीजन और गोरखपुर-फैजाबाद डिवीजन शामिल हैं. इन सीटों पर वोटों की गिनती का काम तीन दिसंबर को किया जाएगा. इन सभी सीटों पर विधान परिषद सदस्यों की सदस्यता छह मई को ही पूरी हो गई थी.

उम्मीदवार और मतदाता दोनों का पढ़ा-लिखा होना जरूरी

शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के इस चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इसमें सभी लोग न तो चुनाव लड़ सकते हैं और न ही सभी वोट डाल सकते हैं. दरअसल, स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए चुनाव में केवल वही लोग वोट डाल सकते हैं, जिन्होंने कम से कम तीन साल पहले स्नातक यानी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली हो. वहीं, शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए हाईस्कूल या इससे ऊपर के शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षक ही वोट डाल सकते हैं. इसमें मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के शिक्षक और जिला विद्यालय निरीक्षक से प्रमाणित  शिक्षक भी वोट डाल सकते हैं. स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों का मतदाता बनने के लिए स्नातक की डिग्री के साथ एक मतदाता रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरना पड़ता है. फिर इसे राजपत्रित या गजटेड अधिकारी से सत्यापित कराने के बाद निर्वाचन कार्यालय में जमा कराना पड़ता है.

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सभी विधान परिषदों में एक ही नियम

जैसे संसद में राज्य सभा नाम से ऊपरी सदन होता है, वैसे ही राज्यों के विधानमंडल में विधान परिषद ऊपरी सदन होता है. यह अलग बाद है कि सिर्फ छह राज्यों में (बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश) ही विधान परिषद है. जम्मू-कश्मीर में भी विधान परिषद की व्यवस्था थी, जो संविधान का अनुच्छेद-370 खत्म होने के कारण समाप्त हो गया है. कुल मिलाकर जिन राज्यों में विधान परिषद है, वहां पर शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था है. संविधान निर्माताओं ने इसके जरिए शिक्षकों और स्नातकों को प्रदेश के ऊपरी सदन में उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया था.

शिक्षक और स्नातक के लिए कहां कितनी सीटें

उत्तर प्रदेश में 100 सदस्यों वाली विधान परिषद में आठ शिक्षक और आठ ही स्नातक निर्वाचन क्षेत्र हैं. इसके अलावा 10 मनोनीत सदस्य हैं, जबकि 38 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और 36 स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र हैं. इसी तरह बिहार में पटना, गया, सारण, तिरहुत, दरभंगा और कोसी में छह स्नातक और यहीं पर छह शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र हैं. कर्नाटक और महाराष्ट्र में सात स्नातक और सात शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र हैं. वहीं आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में आठ-आठ स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र हैं.

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चुनावों में भागीदारी कमजोर

शिक्षक निर्वाचन के मुकाबले स्नातक निर्वाचन में मतदाताओं की भागीदारी बेहद कम रहती है. इसकी बड़ी वजह स्नातक मतदाताओं के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की जटिलता और इसमें ज्यादा समय का लगना है. इसके अलावा स्नातक करने वालों में जागरूकता की कमी भी एक बड़ी वजह है. इससे लोग अपना रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आगे नहीं आते. इसका नतीजा इन सीटों पर चुनाव में बहुत कम मतदान के रूप में सामने आता है. स्नातक मतदाओं की सक्रियता में कमी विधान परिषद में उन्हें प्रतिनिधित्व देने के मकसद को कमजोर कर रही है.

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ऋषि कुमार सिंह

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