कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की महामारी प्रभावित अर्थव्यवस्था की मदद करने के लिए घोषित राहत पैकेज पर सवाल उठाया है. मंगलवार को उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से उपजे इस आर्थिक संकट का जवाब सीधे लोगों के हाथों में, खासकर गरीबों और निम्न मध्यम वर्ग, पैसा डालकर मांग को बढ़ाना है.
सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना महामारी प्रभावित छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त ऋण, स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अधिक धन, पर्यटन एजेंसियों और गाइडों को ऋण, और विदेशी पर्यटकों के लिए वीजा शुल्क में छूट जैसी घोषणाएं की थीं.
इस कदम पर पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, “कुछ प्राथमिक सत्य: क्रेडिट गारंटी क्रेडिट (कर्ज) नहीं है. क्रेडिट, अधिक कर्ज है. कोई भी बैंकर कर्ज में डूबे व्यवसाय को उधार नहीं देगा.”
सिलसिलेवार ट्वीट्स में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि कर्ज के बोझ से दबे या नकदी की कमी का सामना करने वाले व्यवसाय अधिक कर्ज नहीं चाहते हैं, उन्हें कर्ज से इतर पूंजी की जरूरत है. उन्होंने लिखा, “अधिक आपूर्ति का मतलब अधिक मांग (खपत) नहीं है. इसके विपरीत, अधिक मांग (खपत) अधिक आपूर्ति को रफ्तार देगी.”
पी चिदंबरम ने यह भी कहा कि ऐसी अर्थव्यवस्था में मांग नहीं बढ़ेगी, जहां नौकरियां चली गई हैं और आय या मजदूरी कम हो गई है. उन्होंने कहा, “इस संकट का जवाब लोगों के हाथ में पैसा देना है, खासकर गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लिए.”
Advertisement. Scroll to continue reading. कांग्रेस ने सोमवार को भी राहत पैकेज पर सवाल खड़ा किया था. पार्टी ने कहा था कि वित्त मंत्री की ओर से घोषित उपाय सुर्खियां बनने के अलावा कुछ भी नहीं देने वाली हैं. पार्टी ने यह भी कहा था कि सरकार को अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए मांग को बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए, जो अभी भी सुस्ती में है.