पश्चिम बंगाल चुनाव-2021 में सबकी नजरें नंदीग्राम विधानसभा सीट पर है. इस सीट पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सीधा मुकाबला उनके पूर्व सहयोगी शुभेंदु अधिकारी से है, जिन पर भाजपा ने अपना दांव लगाया है. बीते गुरुवार को दूसरे चरण के तहत मतदान पूरा हुआ. अब दोनों ही उम्मीदवारों की राजनीतिक भविष्य का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है.
हालांकि, इन सबके बीच सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के लिए नंदीग्राम में मतदान के दौरान असहज स्थिति पैदा हो गई. अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ के मुताबिक पार्टी 28 पोलिंग बूथों पर अपने प्रतिनिधि को नियुक्त करने में विफल रही. बताया जाता है कि गुरुवार को मतदान शुरू होने से पहले ही ये एजेंट गायब पाए गए. किसी चुनाव में बूथों पर तैनात राजनीतिक पार्टी के एजेंट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अगर मतदान के दौरान कुछ एजेंट कुछ गड़बड़ी पाता है, तो वह इसकी शिकायत चुनाव आयोग से कर सकता है. किसी एक पार्टी के एजेंट की गैर-मौजूदगी में यह संभव है कि दूसरी पार्टी को अनुचित फायदा मिल जाए.
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने आरोप लगाया है कि इस बात के कुछ सबूत हैं कि ये सभी एजेंट भाजपा के डर से बूथ पर नहीं पहुंचे हैं. द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस के बूथ एजेंटों के गायब होने की बात गुरुवार सुबह उस वक्त सामने आई जब बोयल गांव स्थित बूथ संख्या 7 पर नियुक्त पार्टी एजेंट- मृणाल बारीक अपने घर से गायब मिला. नंदीग्राम पुलिस स्टेशन पर नियुक्त प्रभारी आईपीएस अधिकारी नागेंद्रनाथ त्रिपाठी को मृणाल की पत्नी ने बताया कि पेशे से नाई उनके पति बाहर काम पर गए हैं.
उधर, एक और गायब तृणमूल एजेंट की मां ने बताया, ‘भाजपा के नेताओं ने हमें पोलिंग बूथ के करीब न जाने की धमकी दी थी. मैं डर गई थी और अपने बेटे को बूथ पर नहीं जाने दिया.’ इस बारे में ममता बनर्जी के पोलिंग एजेंट शेख सूफियान ने इस बात से इनकार किया है कि उनके एजेंटों को भाजपा ने ‘खरीद’ लिया है. उनका कहना है कि वे केवल डरे हुए हैं.
वहीं, तृणमूल के एक नेता ने इस बात का उल्लेख किया कि बीती 23 मार्च को ममता बनर्जी ने पुरुलिया की एक जनसभा में भाजपा पर गंभीर आरोप लगाया. तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि उनके कुछ पोलिंग एजेंटों को चुनाव के दिन भाजपा के लिए काम करने के बदले पांच लाख रुपये देने की पेशकश की गई थी.
उधर, भाजपा और सीपीएम ने भी अलग-अलग कारणों से 58 में से 30 बूथों पर अपने एजेंटों को तैनात नहीं किया. द टेलिग्राफ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि भाजपा ने अल्पसंख्यक बहुल इलाके में अपने एजेंटों की नियुक्ति नहीं की. वहीं, सीपीएम की संगठनात्मक शक्ति कम हो गई है.’