संसदीय समाचार

किसानों ने होलिका के साथ कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर जताया विरोध

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को 4 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. लेकिन किसान न केवल दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं, बल्कि देश भर में घूम-घूम कर अपनी मांगों के पक्ष में किसानों को एकजुट कर रहे हैं. किसानों ने 26 मार्च को आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर किसानों ने भारत बंद बुलाया था, जिसका देश में काफी असर देखा गया था. अपने घरों से दूर सीमा पर होली मना रहे किसानों ने होलिका दहन में कानूनों की प्रतियों को जलाकर अपना विरोध जताया है.

किसानों ने तीनों कृषि कानूनों को काला कानून बताते हुए इसे जलाया है. किसान नेता राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर होलिका दहन के साथ कानून की प्रतियां जलाने का वीडियो ट्विटर पर साझा किया. उन्होंने, ‘गाजीपुर बॉर्डर पर होलिका दहन में काले कानूनों की प्रतियां दहन किया गया.’

किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने भी कानून की प्रतियां जलाने की तस्वीरें साझा कीं. उनकी ओर से शनिवार को जारी प्रेस नोट में कहा गया था कि किसान अपनी मांगों को सरकार की ओर से अस्वीकार किए जाने के विरोध में कानून की प्रतियां जलाएंगे, जो होलिका दहन का हिस्सा होगा. किसानों की मांगों में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने, एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून बनाने और बिजली विधेयक को वापस लेने की मांग शामिल है.

संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने प्रेस नोट में 5 अप्रैल को एफसीआई (FCI) के दफ्तरों का घेराव करने का भी ऐलान किया है. किसानों का कहना है कि 18 मार्च को हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद एक ऐसा विधेयक पारित किया गया है, जिसका उद्देश्य आंदोलन और आंदोलन करने वालों को दबाना है.

प्रेस नोट के मुताबिक, ‘हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न डालने के दौरान संपत्ति वसूली विधेयक 2021 के शीर्षक से पारित विधेयक में ऐसे खतरनाक प्रावधान हैं, जो निश्चित रूप से लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध होंगे. किसान मोर्चा इस कानून की कड़ी निंदा व विरोध करता है. यह कानून इस किसान आंदोलन को खत्म करने और उनकी जायज मांग से भागने के लिए लाया गया है.’

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रेस नोट के मुताबिक, ‘हरियाणा सरकार की ओर से लाए गए विधेयक के तहत किसी भी आंदोलन के दौरान कहीं भी किसी के द्वारा किए गए निजी व सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई आंदोलन करने वालों से की जाएगी. इसमें आंदोलन की योजना बनाने, उसे प्रोत्साहित या किसी भी रूप से सहयोग करने वालों से नुकसान की वसूली की जाएगी. इस कानून के अनुसार किसी भी अदालत को अपील सुनने का अधिकार नहीं होगा.’ किसानों का कहना है कि ऐसा कानून उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बना चुकी है, जिसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है.

आंदोलन कर रहे किसानों ने कि हरियाणा सरकार के कानून को तानाशाही का कदम बताया है.उनका कहना है कि इसका मौजूदा शांतिपूर्ण किसान आंदोलन के खिलाफ दुरुपयोग किया जाना तय है. संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी कहा कि सरकार अप्रत्यक्ष रूप से एमएसपी और पीडीएस की व्यवस्था खत्म करने का प्रयास कर रही है. पिछले कई सालों से एफसीआई के बजट में कटौती की जा रही है. हाल ही में एफसीआई ने फसलों की खरीद प्रणाली के नियम भी बदल दिए हैं. इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में तय किया गया है कि 5 अप्रैल को एफसीआई बचाओ दिवस मनाया जाएगा और देशभर में एफसीआई के दफ्तरों का सुबह 11:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक घेराव किया जाएगा

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किसानों ने अपने किसान साथियों और आम नागरिकों से आंदोलन में शामिल होने की अपील की है. उन्होंने कहा कि यह अन्न पैदा करने वालों और अन्न खाने वालों दोनों के भविष्य की बात है, इसलिए सभी को इस विरोध का हिस्सा बनना चाहिए.

डेस्क संसदनामा

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