संसद के मानसून सत्र पर कोरोना संकट का खतरा मंडरा रहा है. संसद की कार्यवाही में भाग लेने के लिए सभी सांसदों का कोरोना टेस्ट अनिवार्य बनाया गया है. रविवार को सांसदों की जांच रिपोर्ट आने के साथ लोक सभा के पांच सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद बीजेपी सांसद डॉ. सुकांता मजूमदार ने ट्विटर पर लिखा, ‘मेरा कोरोना टेस्ट पॉजिटिव निकला है…मैं मेरे संपर्क में आए लोगों से अपने सेहत की निगरानी करने और कोई भी लक्षण दिखने पर टेस्ट कराने की अपील करता हूं.’ समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इससे पहले जलपाईगुड़ी से बीजेपी सांसद जयंत रॉय और हुगली से बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे.
इस बीच संसद को कोरोना मुक्त रखने के लिए सतर्कता बढ़ा दी गई है.संसद परिसर में केवल वही लोग आ सकेंगे, जिनके पास कोविड-19 संक्रमण न होने पुख्ता रिपोर्ट होगी और लोगों के लिए यहां रहने के दौरान मास्क पहनना अनिवार्य होगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई की हिंदी सेवा भाषा के मुताबिक, मानसून सत्र शुरू होने से पहले सांसदों और संसद कर्मचारियों को मिलाकर कुल 4,000 से ज्यादा लोगों की कोविड-19 जांच कराई गयी है. हालांकि, कोरोना संक्रमण के जोखिम को देखते हुए ज्यादा उम्र वाले सांसद इस बार मानसून सत्र से दूरी बना सकते हैं. अंग्रेजी वेबसाइट एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, संसद के दोनों सदनों को मिलाकर कुल 785 सदस्य हैं, जिनमें से 200 सदस्य 65 साल से ज्यादा उम्र के हैं. अब तक कम से कम सात केंद्रीय मंत्री और दो दर्जन से ज्यादा सांसद कोरोना संक्रमण से उबर रहे हैं. ऐसे में ज्यादा उम्र वाले सांसदों के लिए खतरा देखा जा रहा है.
आधिकारिक तौर पर स्पष्ट है कि राज्य सभा के 240 सांसदों में से 97 सांसद 65 साल और 20 सांसद 80 साल से ज्यादा उम्र वाले हैं. इनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 87 और एके एंटोनी 82 साल के हैं. वहीं, लोक सभा में 130 सांसद 65 साल से ज्यादा उम्र के हैं, जिनमें 75 साल से ज्यादा उम्र के 30 सांसद शामिल हैं. एक सांसद तो 90 साल हैं. ऐसे में सांसदों में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने से ऐसे सांसदों के लिए जोखिम बढ़ गया है.
यही वजह है कि सत्र के दौरान संसद परिसर में 2000 से ज्यादा लोगों की मौजूदगी में कोरोना संक्रमण के जोखिम से मुक्त रखना चुनौतीपूर्ण काम बन गया है. फिलहाल तमाम एहतियात के साथ 14 सितंबर से शुरू होने वाला मानसून सत्र कुल 18 दिन चलेगा. पहली बार दोनों सदनों की बैठक सुबह-शाम की पालियों में होगी और इस दौरान एक भी दिन छुट्टी नहीं होगी.