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संसद के नए भवन का शिलान्यास, क्या-क्या होगा खास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नए संसद भवन के लिए भूमिपूजन और शिलान्यास किया. इसमें सर्व धर्म सभा भी शामिल है. इस मौके पर लोक सभा के अध्यक्ष ओम बिरला, राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश, टाटा ट्रस्ट के रतन टाटा और विभिन्न धर्मों के धर्म गुरू मौजूद रहे.  लगभग 971 करोड़ रुपये की लागत के साथ नए संसद भवन का निर्माण 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है. हालांकि, अभी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाएगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी याचिकाओं पर अपने अंतिम फैसले तक निर्माण, तोड़-फोड़ या पेड़ों को हटाने पर रोक लगा दी है. संसद के नए भवन की डिजाइन अहमदाबाद की फर्म मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है और इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा.

संसद के नए भवन में क्या खास होगा

संसद का नया भवन चार मंजिला होगा. लगभग 64 हजार 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले इस भवन का निर्माण कार्य आजादी की 75वीं वर्षगांठ (2022) तक पूरा करने का लक्ष्य है. प्रस्तावित नए संसद भवन के लोक सभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. इसमें संयुक्त सत्र के दौरान कुल 1224 सदस्य बैठ सकेंगे. राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. इसमें सभी सांसदों के लिए 40 वर्ग मीटर की जगह उपलब्ध होगी. नए संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को दर्शाया जाएगा. देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकार इस भवन में सांस्कृतिक विविधता को जोड़ेंगे.

संसद का नया भवन क्यों – सरकारी दलील

संसद का मौजूदा भवन 93 साल पुराना है. इसमें आधुनिक संचार, सुरक्षा और भूकंप रोधी व्यवस्था देना मुश्किल है. इसमें आवश्यक सुधार और व्यवस्थाएं करने पर इसके ढांचे और स्वरूप को नुकसान होने की आशंका है. इसके अलावा संसदीय कामकाज लगातार बढ़ रहा है. यहां कामकाज के लिए जगह की भी कमी बनी हुई है. सांसदों के लिए अलग से बैठने की कोई जगह नही है. आने वाले समय में लोक सभा की सीटों के परिसीमन के बाद सदस्यों की संख्या बढ़ने पर जगह की कमी और बढ़ने का अंदेशा है.

मौजूदा संसद भवन का परिचय

भारत की मौजूदा संसद दुनिया के सबसे भव्य इमारतों में शामिल है. इसे प्रसिद्ध वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और सर हरबर्ट बेकर की निगरानी में बनाया गया था. इसका वास्तु मध्य प्रदेश के मुरैना में 10वीं सदी के बने वृत्ताकार 64 योगिनी मंदिर से प्रेरित माना जाता है. लेकिन इसका कोई लिखित सबूत मौजूद नहीं है. संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी 1921 को द डयूक ऑफ कनॉट ने रखी थी. इसे बनने में छह साल का समय और 83 लाख रुपए की लागत आयी थी. इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी 1927 को किया था. यहां सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली की पहली बैठक 19 जनवरी 1927 को हुई थी.

संसद के मौजूदा भवन की बनावट

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मौजूदा संसद का भवन एक वृहत वृत्ताकार इमारत है, जिसका व्यास 560 फीट है। इसकी परिधि एक तिहाई मील है और इसका क्षेत्रफल लगभग छह एकड़ है. इसके प्रथम तल के खुले बरामदे के किनारे पर क्रीम रंग के बालुई पत्थर के 144 स्तम्भ लगे हुए हैं, जिनकी ऊँचाई 27 फीट है. ये स्तम्भ इस भवन को एक अनूठा आकर्षण और गरिमा प्रदान करते हैं. पूरा संसद भवन लाल बालुई पत्थर की सजावटी दीवार से घिरा है जिसमें लोहे के द्वार लगे हैं, जिनकी संख्या 12 है.

ऐतिहासिक पलों का साक्षी

मौजूदा संसद का भवन कई ऐतिहासिक पलों का गवाह रहा है. वर्ष 1921 में सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली और काउंसिल ऑफ स्टेट्स की स्थापना के साथ यहीं पर भारतीय विधानमंडल की यात्रा शुरू हुई थी. ब्रिटेन द्वारा भारत को सत्ता का हस्तांतरण भी इसी परिसर में संपन्न हुआ था. भारत का संविधान बनाने वाली संविधान सभा भी संसद के केंद्रीय कक्ष में चली थी. 13 मई 1952 को स्वतंत्र भारत के इतिहास के पहले आम चुनाव से निर्वाचित जन प्रतिनिधियों ने लोक सभा और राज्य सभा के सदस्यों के रूप में पहली बैठक इसी संसद भवन में हुई थी. मौजूदा संसद के भवन का 1975, 2002 और 2017 में विस्तार भी किया गया था.

डेस्क संसदनामा

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