शिक्षा का बजट कितना हो? जीडीपी का कितना पैसा शिक्षा पर खर्च हो ताकि भारत की युवा आबादी की प्रतिभा को निखारा जा सके? यह सवाल मौजूदा दौर में सबसे अहम है. खास तौर पर जब केंद्र सरकार आत्मनिर्भरता के दावे के साथ नई शिक्षा नीति को लागू कर रही है, तब यह देखना जरूरी हो जाता है कि शिक्षा के लिए बजट आवंटन कितना नया है. लेकिन निराशाजनक यह है कि केंद्र सरकार ने शिक्षा का बजट बढ़ाने के बजाए उसे घटा दिया है.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूछा सवाल
राज्यसभा के बजट सत्र में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से शिक्षा के लिए आवंटित बजट का सवाल पूछा था. उन्होंने पूछा कि आखिर वह कौन सी वजह है जिसके चलते सरकार 2021-22 के बजट में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की छह फीसदी राशि शिक्षा पर नहीं खर्च कर पा रही है? इसके साथ उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप जीडीपी का छह फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च करने का विचार रखती है, यदि हां तो छह फीसदी खर्च का लक्ष्य कब तक प्राप्त हो जाएगा? सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भी पूछा कि स्कूली व्यवस्था में छात्रों को वापस लाने के लिए सरकार ने 2020-21 के बजट अनुमान के मुकाबले 2021-22 का बजट आवंटन घटा दिया है, इससे क्या असर पड़ेगा और सरकार इस बजट में काम करने के बारे में क्या सोच रही है?
जीडीपी का छह फीसदी कब खर्च होगा?
कोरोना महामारी के चलते स्कूलों में ड्रॉपआउट रेट बढ़ गया है. सबसे ज्यादा असर लड़कियों पर पड़ा है. उन्हें न केवल अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी है, बल्कि बाल विवाह जैसी कुरीति का शिकार होना पड़ा है. इसलिए राज्य सभा में उठा यह सवाल बेहद अहम है, जिसका केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जवाब दिया है. उन्होंने बताया कि देश में शिक्षा पर जीडीपी की छह फ़ीसदी राशि खर्च करने के लिए पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 में कल्पना की गई थी, जिसे 1986 की शिक्षा नीति में और फिर 1992 की शिक्षा नीति में दोहराया गया. केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने बताया कि अभी शिक्षा पर केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर जीडीपी का कुल 4.43% खर्च कर रही है. यह आकलन 2017-18 के बजट अनुमान पर आधारित है.
नई शिक्षा नीति में बजट बढ़ाने का लक्ष्य
अपने लिखित जवाब में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों की ओर से शिक्षा में सार्वजनिक निवेश (सरकार का खर्च) में पर्याप्त बढ़ोतरी का समर्थन किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षा पर खर्च को जीडीपी के छह फ़ीसदी तक लाने की योजना को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करेंगी.
बीते साल से बजट अनुमान घटा
Advertisement. Scroll to continue reading. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट आवंटन घटाने के सवाल पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि 2020-21 के लिए शिक्षा मंत्रालय का बजट अनुमान 99 हजार 311 करोड़ रुपए था, जिसे संशोधित करके 85 हजार 89 करोड़ रुपये कर दिया गया था. लेकिन साल 2021-22 के लिए बजट अनुमान 93 हजार 224 करोड़ रुपये रखा गया है, जो साल 2021-22 के संशोधित बजट से 9.6 फीसदी ज्यादा है. लेकिन बीते बजट अनुमान से तुलना करने पर साफ है कि सरकार ने इस साल शिक्षा मंत्रालय का अनुमानित बजट लगभग छह हजार करोड रुपये घटा दिया है. इसके अलावा अगर सरकार बीते साल की तरह संशोधित बजट को घटाया गया तो शिक्षा का संशोधित बजट बहुत ज्यादा कम होने की आशंका है.
ड्रापआउट कैसे रुकेगा?
बजट में कटौती के सवाल का स्पष्ट जवाब न देने के अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस सवाल का भी सटीक जवाब नहीं दिया कि जिन बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है, उन्हें स्कूल वापस लाने के लिए इस कम बजट में सरकार कैसे काम करेगी. हालांकि, उन्होंने यह जरूर बताया कि बच्चों के शैक्षणिक वर्ष को बर्बाद होने से बचाने के लिए सरकार जरूरी कदम उठा रही है. फिलहाल सवाल यह है कि सरकार नई शिक्षा नीति लाने की तरह नया शिक्षा बजट लाने में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रही है? क्या पिछले साल के मुकाबले कम बजट आवंटन से नई शिक्षा नीति लागू करके देश के युवाओं को बेहतर शिक्षा और दिशा दी सकती है?
QUESTION (Share of GDP in education)
MP Mallikarjun Kharge, Will the Minister of Education be pleased to state:
a) the reason for the NEP recommended spending of 6 per cent of GDP on education not been implemented in the budget for 2021-22;
b) whether Government propose to implement the 6 per cent of GDP spending as envisaged in the NEP;
c) if so, by which year can the target spending of 6 per cent will be achieved; and
d) the impact of reduced budget allocation for education as compared to BE 2020-21 on the efforts to get students back into the education system after the pandemic and the ways in which Government plans to work with the reduced budget this year?
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Minister Of Education Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’ said :
(a) to(c): The recommended level of 6% of GDP for the public expenditure on education in India was first envisaged in the National Policy on Education, 1968. This was reiterated in the Policy of 1986 and the same was further reaffirmed in the 1992 review of the Policy. The current public (Government-Centre and States) expenditure on education in India has been around 4.43% of GDP (Analysis of Budgeted Expenditure, 2017-18).
The National Education Policy, 2020 nequivocally endorsed and envisioned a substantial increase in public nvestment in education by both the Central government and all State overnments. As proposed in the NEP 2020, the Centre and the States will work ogether to increase the public investment in Education sector to reach 6% of GDP at the earliest.
(d): Budget Estimate of MoE for 2020-21 was Rs. 99311.52 crores which was revised to Rs. 85089.07 crores. BE for 2021-22 is Rs. 93224.31 crores, which is an increase of 9.6% over RE 2020-21. Inspite of pandemic, it was ensured that there is no waste of academic year. Physical presence of the students in educational institution is subject to relevant guidelines (instructions) SOPs of the Government.