बीते आठ महीने से केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे किसानों ने आंदोलन तेज करने का फैसला किया है. रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद 8 जुलाई को पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की बढ़ती कीमतों और महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया. संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों और महिलाओं से 8 जुलाई को सुबह दस बजे से बारह बजे तक सड़क के किनारे अपनी गाड़ियों और खाली सिलेंडर लेकर प्रदर्शन करने की अपील की. संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह से सड़क जाम न करने की अपील की है.
गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हो रहा है. इसे देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने संसद में सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति बनाई है. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि 17 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से विपक्षी दलों को ‘चेतावनी पत्र’ लिखा जाएगा. इसमें सांसद से कहा जाएगा कि आप संसद के अंदर किसानों की आवाज उठाएं और सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर करें या फिर अपनी गद्दी छोड़ दें.
इतना ही नहीं, किसानों ने 22 जुलाई से संसद का घेराव करने का भी ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इस घेराव आंदोलन में शामिल प्रत्येक किसान संगठन के 5 सदस्य और 200 किसान पूरे मॉनसून सत्र के दौरान संसद का घेराव करेंगे. इसके लिए पहला जत्था सिंधु बॉर्डर से रवाना होगा. यह प्रदर्शन मानसून सत्र के समापन तक जारी रहेगा.
संयुक्त किसान मोर्चा ने यूपी और उत्तराखंड में अपना आंदोलन तेज करने का भी फैसला किया है. खास तौर पर चुनावों को देखते हुए इन राज्यों में सितंबर में बड़ा आंदोलन करने की बात कही है.
गौरतलब है कि किसान बीते साल नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. किसान केंद्र सरकार के बनाए तीनों कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने कानूनों को वापस लेने से साफ मना कर चुकी है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कह चुके हैं कि कानून वापसी को छोड़कर किसानों के साथ बाकी सारे मुद्दों पर बात हो सकती है.