राज्य सभा

‘इन कानूनों के आने के बाद किसानों को दोगुनी नहीं, छह गुनी कीमत मिल सकती है’

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के मद्देनजर राज्य सभा में गहमागहमी के बीच सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने इसके फायदे गिनाए. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से राज्यों का सहयोग और देश की जनता को विश्वास में लेकर हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने जो कार्य किए, विश्वभर में उनकी सराहना हो रही है.

किसानों की हालत क्यों खराब हुई

वहीं, सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी ने इस मंत्र को समझा है कि जब किसान समृद्ध होगा, तभी यह राष्ट्र समृद्ध होगा. इस कोरोना के टाइम में भी, जब सभी सेक्टर्स में आर्थिक विकास दर की वृद्धि निम्न स्तर पर आ रही थी, तब भी कृषि की आर्थिक विकास दर उच्चतम स्तर पर थी, यह इसका प्रमाण है.’

उन्होंने सवाल उठाया कि आजादी के समय देश की अथर्व्यवस्था में कृषि का योगदान ही 51.8 फीसदी, करीबन 52 फीसदी था, जो 2014 में लगभग 14 फीसदी के करीब था, आखिर आज़ादी के बाद से कभी भी यह 18 फीसदी से ऊपर नहीं गया था, यह किस कारण से हुआ, किसानों की हालत क्यों खराब हुई, किसान क्यों पैसा छोड़कर जाने लगे, 2005-2012 तक 3 करोड़, 70 लाख किसानों ने खेती क्यों छोड़ी?

अपने इन सवालों के जवाब में विजय पाल सिंह तोमर ने कहा, ‘ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि किसानों के साथ न्याय नहीं हुआ. किसानों की 50 फीसदी जमीन पर सिंचाई के साधन नहीं थे, भंडारण की अच्छी व्यवस्थाएं नहीं थीं. इसी को लेकर माननीय प्रधानमंत्री ने चिंता व्यक्त की.’

फाइल ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य

सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने आगे कहा, ‘आज करीब-करीब 86 फीसदी लघु और सीमांत किसान हैं. इनके पास बहुत कम जमीन है, हम विश्व में भी देखते हैं, तो पाते हैं कि विश्व में हमारी आबादी 18 फीसदी है, हमारे पास 2.4 फीसदी भूमि है और पानी 4.2 फीसदी है. इस कम भूमि और कम पानी में हम कैसे इसको फाइव ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाएंगे, यह एक चुनौती भरा काम है.’

विजय पाल सिंह तोमर ने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री जी ने, उनके नेतृत्व में सरकार ने कृषि के क्षेत्र में कदम (कृषि कानूनों को लाकर) उठाए हैं, उससे यह बिलकुल संभव है कि कृषि की आय भी बढ़ेगी और यह फाइव ट्रिलियन डॉलर की अथर्व्यवस्था भी होगी.

Advertisement. Scroll to continue reading.

नए कानून से बिचौलिए हटाने का प्रयास

बिचौलियों का सवाल उठाते हुए सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने कहा कि कृषि अनुसंधान सर्वे के मुताबिक अगर कोई कृषि उत्पाद उपभोक्ता को 100 रुपये में मिलता है तो उसमें किसान की हिस्सेदारी 23 रुपये होती है, 100 में से 77 रुपये बिचौलियों के हाथ में जाते हैं. इसीलिए कृषि कानूनों के जरिए बिचौलियों को खत्म करने का प्रयास किया गया है.

फूड प्रोसेसिंग पर जोर

सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने वैल्यू एडीशन, फूड प्रोसेसिंग और अत्याधुनिक भंडारण के जरिए किसानों की आय बढ़ने की उम्मीद जताई. उन्होंने कहा, ‘…पेरीशेबल (जल्द खराब होने वाले) उत्पाद हैं जैसे टमाटर है, आलू है, आंवला है. कभी-कभी आंवला 10 रुपये किलो मिलता है. कभी-कभी टमाटर को किसान नष्ट कर देते हैं. इन कानूनों के आने के बाद जब इनकी प्रोसेसिंग होगी, वहां भंडारण की व्यवस्था होगी, तो इनकी बचत होगी.’

विजय पाल सिंह तोमर ने परीक्षितगढ़ में आलू की चिप्स का प्लांट लगने के बाद आसपास के किसानों को तीन रुपये प्रति किलो की जगह 28 रुपये प्रति किलो का भाव मिलने का उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा कि प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग से सब कुछ बदल जाता है.

एफपीओ को बढ़ावा

फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) का उल्लेख करते हुए राज्य सभा सांसद ने कहा कि सरकार ने 10,000 एफपीओ बनाने का काम किया है, जिसके लिए नाबार्ड उनको फाइनेसिंग करेगा और साथ में अनुदान दिया जाएगा. विजय पाल सिंह तोमर ने कहा, ‘एपीडा की मदद से उनके सामान के निर्यात की व्यवस्था होगी, इस तरह से इन कानूनों (कृषि कानूनों) के आने के बाद किसानों को अपने उत्पाद की दोगुनी ही नहीं, छह गुनी ज्यादा कीमत मिल सकती है.’

देश को भरोसे में लेकर कानून बना है

सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने कृषि कानून बनाने से पहले हितधारकों से चर्चा न करने के आरोपों को खारिज किया. उन्होंने कहा, ‘बीते 15-20 सालों में या पिछले दो दशक में इस विषय पर 12 एक्सपर्ट कमेटी बनी हैं. एक कमेटी 2010 में माननीय भूपेंद्र सिंह हुड्डा जी की अध्यक्षता में बनी, जो हरियाणा के मुख्यमंत्री थे. वह रिपोर्ट हमारे पास है. श्री शंकरलाल गुहा की अध्यक्षता में 2001 में एक कमेटी बनी. उसके बाद, श्री मोंटेक सिंह अहलुवालिया, फिर आर.सी.ए. जैन जी की अध्यक्षता में कमेटी बनी. इसके बाद डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में कमेटी बनी और रिपोर्ट आई.’

Advertisement. Scroll to continue reading.

उन्होंने आगे कहा कि स्वामीनाथन समिति ने 2006 में प्राथमिक कृषि वस्तुओं पर बाजार शुल्क को पूरी तरह से खत्म करके विभिन्न सेवाओं पर चार्ज वसूलने, सहकारी समितियों सहित निजी कंपनियों को छूट देने और आवश्यक वस्तु अधिनियम को निलंबित रखने की सिफारिश की थी.

मंडी का विकल्प देने की योजना

सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने कहा, ‘2018-19 की जो कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट है, इसमें भी स्पष्ट लिखा गया है कि किसानों को मंडियों के अलावा वैकल्पिक मंच देना चाहिए. सबकी जानकारी के बाद, सबसे बात करने के बाद ये कानून पास किए गए हैं.’ उन्होंने कहा कि सरकार ने रबी और खरीफ सीजन में अब तक सबसे ज्यादा एमएसपी पर खरीद की है, इसलिए एमएसपी को बंद किए जाने की बात कहकर किसानों को गुमराह करने का प्रयास हो रहा है.

किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की कोशिश

सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने कहा, ‘कुछ लोग हताशा में हैं. जहां भी मोदी जी के नेतृत्व में चुनाव होते है, बीजेपी बड़े मार्जिन से जीत रही है तो इसलिए हताशा में भरे लोग किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाना चाहते हैं.’

अंत में उन्होंने कहा कि अभी जो तीन कृषि कानून आए हैं, उनसे किसानों को बहुत बड़ा लाभ होने जा रहा है, इन कानूनों के आने बाद किसान नौकरी लेने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बन जाएगा.

लेख-विशेष

Advertisement. Scroll to continue reading.
डेस्क संसदनामा

संसदीय लोकतंत्र की बुनियादी बातों और विचारों का मंच

Recent Posts

नियम 255 के तहत तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य राज्य सभा से निलंबित

बुलेटिन के मुताबिक, "राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये,…

3 years ago

‘सरकार ने विश्वासघात किया है’

19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही…

3 years ago

पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद…

3 years ago

संसद के मानसून सत्र का पहला दिन, विपक्ष ने उठाए जनता से जुड़े अहम मुद्दे

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने महंगाई और केंद्र के तीनों…

3 years ago

सुप्रीम कोर्ट को क्यों कहना पड़ा कि बिहार में कानून का नहीं, बल्कि पुलिस का राज चल रहा है?

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश एमआर शाह ने कहा, ‘देखिए, आपके डीआईजी कह रहे हैं कि…

3 years ago

बशीर अहमद की रिहाई और संसद में सरकार के जवाब बताते हैं कि क्यों यूएपीए को दमन का हथियार कहना गलत नहीं है?

संसद में सरकार के जवाब के मुताबिक, 2015 में 1128 लोग गिरफ्तार हुए, जबकि दोषी…

3 years ago