राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कई दावे किए. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को काला कानून बताया जा रहा है, लेकिन उसके प्रावधानों में काला क्या है, यह कोई नहीं बता रहा है.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, ‘मैं किसानों से भी दो महीने तक यही पूछता रहा कि इन कानूनों में काला क्या है, अगर आप यह बताएं तो हम उसे ठीक करेंगे. लेकिन वहां भी हमें यह मालूम नहीं पड़ा.’
उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिपक्ष के एक भी सदस्य ने यह बताने की कोशिश नहीं की कि इन कानूनों में कौन से प्रावधान हैं जो किसानों के प्रतिकूल हैं. हरियाणा के कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग एक्ट को लेकर दीपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ बहस में उन्होंने यह भी कहा कि ये कानून हुड्डा कमेटी की रिपोर्ट की वजह से बने हैं.
सुनिए पूरा भाषण
राज्य का कानून टैक्स लगाता है, केंद्र का फ्री करता है
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने ट्रेड एक्ट बनाया है, जो एपीएमसी एरिया के बाहर के क्षेत्र में लागू होगा, जो कृषि उत्पादों की खरीद-फरोख्त के लिए किसान का घर, खेत या कोई भी जगह हो सकती है.
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर एपीएमसी के बाहर कोई ट्रेड होता है तो उस पर न तो राज्य सरकार का कोई टैक्स लगेगा और न ही केंद्र सरकार का टैक्स लगेगा. वर्तमान समय में एपीएमसी के अंदर राज्य सरकार टैक्स लेती है. लेकिन एपीएमसी के बाहर केंद्र सरकार का यह कानून टैक्स को खत्म करता है. राज्य सरकार का कानून किसानों को टैक्स देने के लिए बाध्य करता है.’
Advertisement. Scroll to continue reading. ‘देश में उलटी गंगा बह रही है’
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा, ‘एक तरफ हमने एपीएमसी को टैक्स फ्री किया, दूसरी तरफ राज्य सरकार उस पर टैक्स ले रही है, तो आप हमें बताएं कि जो टैक्स ले रहा है, टैक्स बढ़ा रहा है, आंदोलन उसके खिलाफ होना चाहिए या जो केंद्र सरकार एपीएमसी को टैक्स फ्री कर रही है, उसके खिलाफ आंदोलन होना चाहिए, देश में उलटी गंगा बह रही है?’
‘एक राज्य का मसला है’
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘किसानों को 12 बार ससम्मान बुलाकर बातचीत की है, एक शब्द भी उनके बारे में इधर-उधर नहीं बोला, संवेदनशीलता के साथ विचार किया है. लेकिन हमने यह जरूर कहा है कि प्रावधान में कहां गलती है, आप विनम्रतापूर्वक हमारा ध्यान आकर्षित करिए.’
उन्होंने कहा कि किसानों के सामने सरकार ने ही गतिरोध दूर करने के लिए आशंका वाले बिंदुओं को सामने रखा और उसके हिसाब से कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भी रखा. कृषि मंत्री ने आगे कहा, ‘लेकिन मैंने साथ में यह भी कहा कि भारत सरकार किसी भी संशोधन के लिए तैयार हैं तो इसके यह मायने नहीं लगाने चाहिए कि किसान कानून में कोई गलती है, लेकिन किसान आंदोलन में हैं. एक पूरे राज्य में लोग गलतफहमी का शिकार हैं.’
इस पर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आपत्ति की और कहा कि यह सिर्फ एक राज्य का मसला नहीं है. लेकिन केंद्रीय मंत्री ने फिर दोहराया कि यह एक राज्य का मसला है.
‘किसानों को बरगलाया जा रहा है’
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘किसानों को इस बात के लिए बरगलाया गया है कि ये कानून आपकी जमीन को ले जाएंगे. मैं कहता हूं कि कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग एक्ट में कोई एक प्रावधान बताएं…जो किसी भी व्यापारी को किसान की जमीन छीनने की इजाजत देता है? लेकिन लोगों को भड़काया जा रहा है कि जमीन चली जाएगी.’
इस पर कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खडगे ने टिप्पणी की. इसके बाद उन्हें संबोधित करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘खरगे जी, दुनिया जानती है कि पानी से खेती होती है, *** से खेती सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है, भारतीय जनता पार्टी *** की खेती नहीं कर सकती है.’ (*** शब्द को संसद की कार्यवाही से निकाल दिया गया)
Advertisement. Scroll to continue reading. ‘हुड्डा कमेटी की वजह से ये कानून आए हैं’
केंद्र के कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट के फायदे गिनाते हुए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग के तहत बाजार में कीमत बढ़ने पर बोनस मिलेगा, किसान कभी भी इससे अलग हो सकता है, लेकिन व्यापारी बिना भुगतान किए कभी अलग नहीं हो सकता है.
उन्होंने आगे कहा, ‘पंजाब सरकार का एक्ट उठाए, हरियाणा सरकार का एक्ट उठाइए…वह हुड्डा जी के समय पारित हुआ था.’ इस पर दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एमएसपी से नीचे खरीदने पर कानून ही नहीं है. कांग्रेस सांसद ने आगे यह भी कहा कि हरियाणा के कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग एक्ट में एमएसपी से नीचे फसल खरीदने पर कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और सजा के प्रावधान हैं.
इस पर व्यवधान की स्थिति बन गई. हालांकि, शोर-शराबे के बीच केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘यह कॉन्ट्रेक्ट एक्ट, ये ट्रेड एक्ट, ये सब हुड्डा जी रिकमेंडेशन के कारण आए हैं. कान खोलकर सुन लो. ये हुड्डा कमेटी की रिपोर्ट के कारण आए हैं.’ कृषि मंत्री ने सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा से यह भी कहा कि अब जब कृषि पर बहस हो तो पढ़कर आना और बहस करना.
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