उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देश के लोगों से अपील की है कि वे उन प्रतिनिधियों का चुनाव करें, जिनके पास 4सी- कैलिबर, कंडक्ट, कैपिसिटी और कैरेक्टर है. उन्होंने ये अपील शनिवार को तेलंगाना के हैदराबाद में आयोजित पूर्व सासंद और शिक्षाविद् श्री नूकला नरोत्तम रेड्डी शताब्दी समारोह के दौरान की. इसके अलावा उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि विधानसभाओं में प्रतिनिधियों के कार्यों को लोगों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए.
वहीं, उन्होंने संसद और विधानसभाओं में कार्यवाहियों के दौरान लगातार होने वाले व्यवधानों और बहस के मानकों में आई गिरावट पर भी चिंता जताई. राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा, ‘कुछ राज्यों की विधानसभाओं में हाल की घटनाएं निराशाजनक थीं. व्यवधान का मतलब बहस को बेपटरी करना, लोकतंत्र और राष्ट्र को बेपटरी करना है.’ उन्होंने जन प्रतिनिधियों को सावधान किया कि अगर यह रवैया जारी रहा तो लोगों का उनसे मोहभंग हो जाएगा.
उधर, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि संसद और विधानसभाओं में आचरण 3 डी- डिस्कस, डिबेट एवं डिसाइड के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘किसी भी समय सदन को व्यवधान का मंच नहीं बनना चाहिए. सदन को बाधित करने से केवल जनहित को नुकसान पहुंचाता है.’ एम वेंकैया नायडू ने विधानसभाओं में समय का अधिक रचनात्मक और सार्थक उपयोग करने की भी अपील की. पिछले दिनों बिहार विधानसभा की कार्यवाहियों के दौरान कई बार सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार देखने को मिली थी.
वहीं, उन्होंने संबंधित सदनों में सांसदों और विधायकों की घटती उपस्थिति पर भी चिंता जाहिर की. नायडू ने उन सबको सदन में नियमित आने और चर्चा में सार्थक योगदान देने की जरूरत पर बल दिया. उपराष्ट्रति ने कहा कि उनकी यह चाहत है कि वे महान सांसदों और संविधान सभा की बहसों का अध्ययन करें. उप राष्ट्रपति ने आगे कहा कि सदस्यों द्वारा की गई आलोचना रचनात्मक होनी चाहिए और उन्हें दूसरों के खिलाफ व्यक्तिगत हमलों का सहारा नहीं लेना चाहिए.
दूसरी ओर, एम वेंकैया नायडू ने जनप्रतिनिधियों के साथ लोगों से जुड़ाव के लिए मातृभाषा के इस्तेमाल पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, ‘जिन्होंने हमें चुना है, उन लोगों को पता होना चाहिए कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं. इसे देखते हुए ही सदस्यों को अपनी मातृभाषा में ज्यादा से ज्यादा बोलने की कोशिश करनी चाहिए.’ उन्होंने बताया कि मातृभाषा को प्राथमिकता देते हुए राज्य सभा ने 22 भाषाओं में सांसदों को बोलने का अवसर दिया है. साथ ही, इस उद्देश्य के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की गई हैं.
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