सांसदों को ‘आधे घंटे की चर्चा’ की मांग करने का हक है, लेकिन कब?

संसद के दोनों सदनों में सदस्यों को सरकार से सवाल पूछने के लिए कई मौके दिए गए हैं. इसमें तारांकित, अतारांकित प्रश्नों के अलावा शॉर्ट नोटिस और आधे घंटे की चर्चा जैसे प्रमुख विकल्प शामिल हैं. आधे घंटे की चर्चा (Half an Hour Discussion) के माध्यम से सांसद उन विषयों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हैं, जिन पर वे तारांकित या अतारांकित प्रश्नों पर सरकार की ओर से दिए गए जवाब से संतुष्ट नहीं होते हैं.

लोक सभा और राज्य सभा दोनों ही सदनों में सामान्य तौर पर Half an Hour Discussion हफ्ते में तीन दिन होता है. इन तीन दिनों में सोमवार, बुधवार और शुक्रवार शामिल हैं. इसके लिए लोक सभा और राज्य सभा में शाम 5.30 बजे से 6.00 बजे तक का समय तय है. आधे घंटे की चर्चा पर बजट सत्र के दौरान बजट संबंधी विधायी कामों को निपटाने तक रोक रहती है.

इस चर्चा के लिए मांग करने वाले सदस्यों को अपने सदन के महासचिव को लिखित में सूचना देनी होती है. लोक सभा (Lok Sabha) में चर्चा की मांग करने वाले सदस्य को एक संक्षिप्त वक्तव्य देता होता है. चर्चा वाले दिन दोपहर 11.00 बजे से पहले सूचना देने वाले अन्य सांसदों में से अधिकतम चार सदस्यों को एक-एक सवाल पूछने की छूट दी जाती है. इसके बाद संबंधित विषय के मंत्री उन सभी सवालों का जवाब देते हैं.

राज्य सभा (Rajya Sabha) में भी आधे घंटे की चर्चा के लिए सदस्य को तीन दिन पहले महासचिव को लिखित सूचना देनी पड़ती है. इसके लिए कम से कम दो सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं. अगर सूचना देने वाला व्यक्ति चर्चा के दिन अनुपस्थित हो जाए तो इसका समर्थन करने वाले सदस्यों में से किसी एक को सभापति की इजाजत से चर्चा करने की छूट दी जाती है.

डेस्क संसदनामा

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