राज्य सभा में पंजाब से कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कृषि कानूनों को किसान के लिए ‘डेथ वारंट’ बताया. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के विरोध में दिए गए अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि सरकार ने चंद पूंजीपतियों के फायदे के लिए धोखाधड़ी करके कृषि कानूनों को पारित कराया, जब पूरा देश महामारी झेल रहा था, मजदूर पैदल और साइकिलों पर अपने घरों को जा रहे थे, तब उनकी मदद करने के बजाए सरकार पीछे के दरवाजे से (अध्यादेश के जरिए) कृषि कानूनों को ले आई. उन्होंने पूछा कि जब देश 72 साल तक इन कृषि कानूनों का इंतजार कर सकता था, तो फिर सरकार से छह महीने और इंतजार क्यों नहीं किया गया?
सुनिए उनका पूरा भाषण
किसान आंदोलन जन आंदोलन है
पंजाब से राज्य सभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा के मुताबिक, तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन जन आंदोलन है और बगैर किसी राजनीतिक दल की मदद के चल रहा है. उन्होंने कहा कि किसानों ने अपने पैसों से अपने ट्रैक्टरों में डीजल भराए और प्रति एकड़ 500 रुपये चंदा लगाकर किसान संगठनों को दिया है. सांसद ने कहा कि किसानों के धरना स्थलों की बिजली, पानी की सप्लाई काटी जा रही है, कंटीले तार लगाए जा रहे हैं, जैसे 1960 में बर्लिन की दीवार बनाई गई थी, यह हमारे सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए दुखद स्थिति है. उन्होंने कहा कि संसद चल रहा है, 12 सांसद आंदोलनकारी किसानों से मिलने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया, यह किस तरह का लोकतंत्र है?
अंग्रेजों ने भी घुटने टेके थे
कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने पूछा कि आप कानूनों को डेढ़ साल तक निप्रभावी रखने की बात करते हैं, अगर उसके बाद ये वापस आ गए तो? उन्होंने कहा कि आज से 100 साल पहले पंजाब में पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के ताया और उनके पिता ने चलाया था, दीपेंदर सिंह हुड्डा के परबाबा (ग्रेंड फादर) चौधरी मातुराम जी भी इस मूवमेंट में साथ थे, वह मूवमेंट 9 महीने चला और अंग्रेजों को घुटने टेकने पड़े.
26 जनवरी की घटना निंदनीय, जांच हो
Advertisement. Scroll to continue reading. पंजाब से सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने 26 जनवरी को लाल किले पर हुई घटना की निंदा की. उन्होंने कहा कि जो कुछ भी हुआ वह दुखी करने वाला है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज से इस बात की जांच करानी चाहिए कि आखिर कुछ शरारती तत्वों को समय से पहले रैली निकालने की इजाजत कैसे दे दी गई. उन्होंने किसानों को आतंकवादी, देशद्रोही और खालिस्तानी कहने का विरोध किया. सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने यह भी कहा, ‘पंजाबी और खास तौर पर सिख प्यार से तो आपकी बात मान सकते हैं लेकिन ये कौम डर से, डरावे से, बन्दूक से, तोप से डरने वाली नहीं है. इन्होंने तो सारी हिस्ट्री में शहादत दी है, इसिलए मेरी गुज़ारिश है कि ये ब्लैक लॉ वापस लीजिए, ये काले कानून वापस लीजिए.
सरकार सबसे सुझाव लेकर कानून बनाए
सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि सरकार इन कानूनों को वापस ले, डेढ़ साल के बाद नए कानून लाए, सेलेक्ट कमेटी को भेजे और सभी हितधारकों (स्टेक होल्डर्स) के साथ बात करके उन्हें बनाए. राज्य सभा सांसद ने यह भी कहा कि किसानों के लिए कानून आया तो सभी उसका साथ देंगे, लेकिन कॉरपोरेट्स को कानूनों का लाभ नहीं देंगे. प्रताप सिंह बाजवा ने किसानों के लिए लिखी अपनी एक कविता भी सुनाई-
चीर देंगे ने पहाड़, हूंद जिना नु जुनून
रहके मंजिलों से दूर, किथे मिलदा सुकून
असी जीतेंगे जरूर जंग जारी रखियो
असी जीतेंगे जरूर जंग जारी रखियो.