विपक्ष संसद के मानसून सत्र में खस्ताहाल अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई, किसानों के आंदोलन से लेकर एलएसी पर चीन के साथ टकराव जैसे दर्जनों लोक महत्व के मुद्दों पर सरकार से जवाब चाहता है. लेकिन कोरोना संकट के बीच हो रहे संसद सत्र में इस बार प्रश्नकाल को नहीं रखा गया है.
14 सितंबर को मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने इस सवाल को प्रमुखता से उठाया. लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘प्रश्नकाल (Question Hour) गोल्डन ऑवर (golden hour) होता है. लेकिन आपका कहना है कि मौजूदा हालात के चलते इसे नहीं करया जा सकता है. आप संसद की बैठकें करा सकते हैं, लेकिन प्रश्नकाल को बाहर करके. आप लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश कर रहे हैं.’
इस पर बीजेपी सांसद और संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, ‘यह असाधारण हालात हैं. जब विधानसभाएं एक दिन की बैठक के लिए तैयार नहीं हैं, हम 800-850 सांसदों के साथ यहां पर बैठे हैं. सरकार से सवाल पूछने के बहुत से रास्ते हैं, सरकार किसी भी मुद्दे पर बहस से भाग नहीं रही है. हम बहस के लिए तैयार हैं.’
लोक सभा में सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद सांसदों ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, शास्त्रीय गायक पंडित जसराज, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन, उत्तर प्रदेश की मंत्री कमल रानी और चेतन चौहान, पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह व अन्य दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई.
कोरोना संकट की वजह से इस बार मानसून सत्र सिर्फ 18 दिन का होगा. राज्य सभा और लोक सभा की बैठकें सुबह-शाम की पालियों में होंगी. कोरोना संक्रमण का जोखिम घटाने के लिए सांसदों के लिए सदन के अलावा गैलरी और चैंबर में बैठने के इंतजाम किए गए हैं. उनकी सीटों के आसपास फाइबर ग्लास की शील्ड भी लगाई गई है.