भारत के संविधान की प्रस्तावना में पहला शब्द ‘हम भारत के लोग’ है. इसे सार्थक बनाने के लिए देश में गणतंत्र को अपनाया गया है. इसका मतलब है कि भारत में राष्ट्राध्यक्ष राजतंत्र की तरह वंशानुगत नहीं, बल्कि जनता का चुना नुमाइंदा होगा. संसदीय व्यवस्था अपनाने की वजह से भारत ने राष्ट्रपति चुनाव की अप्रत्यक्ष प्रणाली अपनाई है. राष्ट्रपति चुनाव में लोक सभा और राज्य सभा के साथ-साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं.
भारत में अब तक किसी भी राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग नहीं लाया गया है.
संविधान के अनुच्छेद-53 में कहा गया है कि संघ की सारी कार्यपालिका शक्तियां राष्ट्रपति के पास होंगी, वह इसका इस्तेमाल सीधे या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के जरिए करेगा. राष्ट्रपति, सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होगा. सामान्य तौर पर राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल के लिए होता है, लेकिन वह उपराष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप सकता है.
संविधान के खिलाफ काम करने पर संसद में महाभियोग लाकर भी राष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है. संविधान के अनुच्छेद-61 कहता है कि राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलाना है तो संसद का कोई सदन उन पर आरोप लगाएगा. इसके लिए 14 दिन पहले राष्ट्रपति को लिखित सूचना दी जाएगी, जिस पर आरोप लगाने वाले सदन के कम से कम एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने जरूरी हैं.
इसके बाद आरोप लगाने वाले सदन को कम से कम दो-तिहाई बहुमत से महाभियोग के प्रस्ताव पास करना होगा. इन आरोपों की जांच दूसरा सदन करेगा, जहां राष्ट्रपति को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा. इसके बाद अगर आरोप साबित होते हैं तो दूसरे सदन को भी महाभियोग प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पारित करना होगा.
इसमें राष्ट्रपति के पद छोड़ने की तारीख शामिल होगी. हालांकि, भारत में अब तक किसी भी राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग नहीं लाया गया है.