फ्रांस के साथ राफेल विमानों के सौदे की जांच का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ है. इस सौदे की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराए जाने की कांग्रेस की मांग के बीच पार्टी नेता राहुल गांधी ने एक ऑनलाइन सर्वेक्षण करते हुए रविवार को लोगों के लिए सवाल किया कि मोदी सरकार इस जांच के लिए तैयार क्यों नहीं है?
ट्विटर पर #RafaleScam हैशटैग के साथ इस सवाल का जवाब देने के लिए राहुल गांधी ने चार विकल्प दिए हैं, जो इस प्रकार हैं- 1-अपराधबोध, 2- मित्रों को बचाना है, 3-जेपीसी को राज्यसभा सीट नहीं चाहिए और 4-उपरोक्त सभी विकल्प सही हैं.
राहुल गांधी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘चोर की दाढ़ी में….#राफेलस्कैम’
वहीं, राफेल स्कैम हैशटैग के साथ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा, ‘तीन चीजें कभी नहीं छिप सकती हैं- सूरज, चांद और सच्चाई- भगवान बुद्ध’
फ्रांस की समाचार वेबसाइट ‘मीडिया पार्ट’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के साथ 59 हजार करोड़ रुपये के राफेल विमान सौदे में कथित भ्रष्टाचार के मामले में फ्रांस के एक न्यायाधीश को ‘बहुत संवेदशील’ न्यायिक जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
Advertisement. Scroll to continue reading. कांग्रेस ने राफेल विमानों की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सौदे की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराए जाने की मांग की और कहा कि सच का पता लगाने के लिए जांच का केवल यही रास्ता है. कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जांच का आदेश देना चाहिए.
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पूछा कि जिस देश को राफेल सौदे से फायदा हुआ, वह मामले की जांच करा रहा है, लेकिन जिसे जनता के पैसे का नुकसान हुआ, वह चुप है. उन्होंने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री फ्रांस और कांग्रेस की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब क्यों नहीं देते हैं?’
पवन खेड़ा ने राफेल विमानों को पहले से तय दाम से तीन गुना दाम पर खरीदे जाने, इसकी संख्या 126 से घटाकर 36 करने, ऑफसेट पार्टनर के तौर पर सरकारी कंपनी एचएएल को हटाकर अनिल अंबानी की कंपनी को लाने, सौदे से एंटी करप्शन और बिचौलियों पर रोक लगाने वाला क्लॉज हटाने पर भी प्रधानमंत्री से जवाब मांगा है। उनका यह भी कहना है कि चूंकि प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत स्तर पर जाकर इस सौदे को अंजाम दिया था, इसलिए उन्हें ही इस मामले में जवाब देना चाहिए।
गौरतलब है कि 2016 में हुए राफेल सौदे में भ्रष्टाचार होने का आरोप कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी लंबे समय से आरोप लगाते आ रहे हैं. पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव में इसे बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनाया था, लेकिन इससे चुनाव में उसे कोई खास मदद नहीं मिल पाई थी.
संयुक्त जांच समिति में लोक सभा और राज्य सभा दोनों के सदस्य शामिल होते हैं. पिछले दो दशक में निम्नलिखित मामलों की जांच संयुक्त जांच समितियां कर चुकी हैं-
- दूरसंचार लाइसेंस और स्पेक्ट्रम के आबंटन और मूल्य निर्धारण से संबंधित मामलों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति-2013
- शीतल पेय, फलों के रस तथा अन्य पेय पदार्थों में कीटनाशकों के अवशेष और सुरक्षा मानकों संबंधी संयुक्त संसदीय समिति
- शेयर बाजार घोटाले और उससे संबंधित मामलों संबंधी संयुक्त संबंधी समिति – दिसंबर 2002
- प्रतिभूति और बैंककारी लेनदेन में अनियमितताओं की जाँच हेतु संयुक्त संसदीय समिति
- बोफोर्स संविदा की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समति – अप्रैल 2008