संसदीय समाचार

जहां प्राइवेटाइजेशन होगा, वहां आरक्षण खत्म हो जाएगा : विशंभर प्रसाद निषाद

संसद के बजट सत्र की कार्यवाही के अंतिम दिन राज्य सभा में पेश नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट बिल-2021 (The National Bank For Financing Infrastructure and Development Bill- 2021) पर चर्चा हुई. उत्तर प्रदेश से सपा सांसद विशंभर प्रसाद निषाद (Vishambhar Prasad Nishad) ने इस विधेयक के माध्यम से आने वाले निजीकरण के खतरे के प्रति आगाह किया. उन्होंने कहा, ‘बैंकों के निजीकरण पर जनता को विश्वास नहीं है. बैंकिंग व्यवस्था किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की नींव होती है. अगर बैंकों को नुकसान होता है तो इसका असर सभी व्यक्तियों पर पड़ता है.’

सांसद विशंभर प्रसाद निषाद (Vishambhar Prasad Nishad) ने बैंकों के साथ जालसाजी करके कर्ज लेने और देश छोड़कर फरार होने वाले नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या का उदाहरण भी गिनाया. उन्होंने कहा, ‘130 से 135 करोड़ की आबादी वाला यह देश है. इनमें से तकरीबन 15 से 20 करोड़ लोग बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं. आज बेरोजगारी चरम सीमा पर बढ़ रही है.’

सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने आगे कहा, ‘देखने को मिल रहा है कि एक तरफ विकास हो रहा है, लेकिन जो बैंक हैं, सरकारी सेक्टर हैं, चाहे रेलवे हो या अन्य संस्थान, उनमें होने वाले निजीकरण से देश के लोगों में निराशा और हताशा हो रही है.’

सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने कहा, ‘जहां प्राइवेटाइजेशन होगा, वहां पर आरक्षण खत्म हो जाएगा और लोगों से कहा जाएगा कि आप मनरेगा में काम करिए और पकोड़े तलिए. तो देश के नौजवान लोग, जो देश की बड़ी सेना है वह कहां जाएंगे, ज्यादातर शेयर प्राइवेट सेक्टर को दिए जा रहे हैं, यहां तक कि ग्रामीण बैंकों के संबंध में भी.’

निजी पूंजी की मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति पर ध्यान दिलाते हुए सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने कहा कि वे कभी घाटे के लिए काम नहीं करते है, हमेशा नफा ही खोजते हैं. अपने भाषण के अंत में उन्होंने कहा कि इस विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की जरूरत है, क्योंकि इसके जरिए बनने वाली नई वित्तीय संस्था को जरूरी जांच और निगरानी से बाहर रखा गया है.

दरअसल, प्रस्तावित विधेयक से गठित होने वाली एनबीएफआईडी को सीएजी की जांच से बाहर रखा गया है. इससे चलते संसद की लोक लेखा समिति भी इसकी जांच नहीं कर पाएगी. इसे संस्था के कामकाज में सरकारी नियंत्रण और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का सवाल उठ रहा है. (विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस संस्था की ऑडिट रिपोर्ट को हर साल संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाएगा. यानी इस पर संसद की निगरानी रहेगी.)

इसके अलावा विधेयक में प्रस्तावित संस्था एनबीएफआईडी में सरकार का हिस्सा 26 फीसदी और निजी क्षेत्र का हिस्सा 74 फीसदी होगा. यानी इस पर निजी पूंजी का नियंत्रण होगा, वह भी तब, जब इसके गठन में सरकार की पूंजी लगेगी और कर्ज की गारंटी भी सरकार लेगी. विपक्षी सांसदों ने इस पर भी सवाल उठाए हैं.

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डेस्क संसदनामा

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