राज्य सभा में शिवसेना सांसद संजय राउत ने किसान आंदोलन को बदनाम करने और उसकी घेराबंदी करने का सवाल उठाया. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार की निंदा या आलोचना करने वाले को बदनाम कर दिया जाता है.
उन्होंने कहा कि जो सच बोलता है, सच लिखता है, उसे गद्दार कहा जाता है. संजय राउत ने आगे कहा, ‘जिस तरह से इस किसान आंदोलन को भी बदनाम करने की साजिश चल रही है, मुझे लगता है कि यह देश की प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं है, किसानों के लिए ठीक नहीं है, हम सबके लिए ठीक नहीं है.’ उन्होंने कहा कि लगता है कि आईपीसी की सारी धाराएं खत्म कर दी गई हैं, उसमें सिर्फ देशद्रोह की धारा ही बची है.
सुनिए पूरा भाषण–
किसानों की एकजुटता तोड़ने की कोशिश क्यों
सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया कि किसानों की एकजुटता तोड़ने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति जी ने अपने संबोधन में कहा है कि भारत जब-जब एकजुट हुआ है, तब-तब उसने असंभव से लगने वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया है. एकजुटता की बात की गई है. अगर यह बात सच है तो गत तीन महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन की एकजुटता तोड़ने में सरकार क्यों लगी हुई है?’ संजय संजय राउत ने कहा कि हजारों किसान गाजीपुर, सिंधू बॉर्डर पर अपने हक के लिए लड़ रहे हैं और आपको इस एकजुटता में देशद्रोह दिखता है.
‘किसान पूरे देश की लड़ाई लड़ रहा है’
सांसद संजय राउत ने कहा, ‘पंजाब, हरियाणा और पश्चिम यूपी का किसान पूरे देश के किसानों की लड़ाई लड़ रहा है. यह सिर्फ तीन राज्यों की लड़ाई नहीं है. पूरा देश उनके साथ है. पूरा देश उनके साथ है.’ उन्होंने आंदोलनकारी किसानों को खालिस्तानी कहने का विरोध किया और पूछा- यह कौन सा न्याय है. संजय राउत ने कहा कि जब तक यह आंदोलन जिंदा है, जब तक हिंदुस्तान जिंदाबाद रहेगा, यह आंदोलन हमारी ताकत है, देश की ताकत है. उन्होंने यह भी पूछा कि लाल किले पर तिरंगे का अपमान करने वाला दीप सिद्धू किसका आदमी है, उसे किसने ताकत दी है?
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