लोक जनशक्ति पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के खिलाफ बगावत हो गई है. उनके चाचा पशुपति कुमार पारस की अगुवाई में छह में से पांच सांसद अलग हो गए हैं. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पांचों बागी सांसद आज लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलने वाले हैं. इस टूट से लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए हैं.
बिहार के हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस ने कहा कि उन्होंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बल्कि उसे बचाया है. उन्होंने कहा, ‘यह मजबूरी में लिया गया फैसला है, हम भाईयों में अटूट प्यार था, पार्टी ठीक से चल रही थी, लेकिन हमारे भाई (राम विलास पासवान) चले गए और मैं अकेला महसूस कर रहा हूं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘लोक जनशक्ति पार्टी बिखर रही थी, कुछ असामाजिक तत्वों ने हमारी पार्टी में सेंध डाला और 99% कार्यकर्ताओं के भावना की अनदेखी करके एनडीए से गठबंधन को तोड़ दिया गया.’ हालांकि, पशुपति पारस ने कहा कि चिराग पासवान से कोई शिकायत नहीं है, वे पार्टी में रहें कोई दिक्कत नहीं है.
गौरतलब है कि 2020 में राम विलास पासवान के निधन से एक साल पहले ही चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए थे. हालांकि, उन्होंने 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को एनडीए से अलग कर लिया था. इस चुनाव में पार्टी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था. उसका केवल एक प्रत्याशी ही जीत पाया था, जो अब जदयू का हिस्सा है.
इस बीच चिराग पासवान अपने नाराज चाचा पशुपति पारस को मनाने के लिए उनके आवास पर पहुंचे. लेकिन यहां उन्हें काफी देर तक दरवाजा खुलने के लिए इंतजार करना पड़ा. खबरों के मुताबिक, चिराग पासवान ने अपने चाचा के सामने अध्यक्ष पद छोड़ने का प्रस्ताव रखा है.
लोजपा के नाराज सांसदों में चिराग पासवान के चाचा के अलावा प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीना देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं. ये सभी चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश बताए जा रहे हैं.
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