पंचायतनामा

भीम आर्मी ने भी यूपी के पंचायत चुनाव में उतरने का ऐलान किया

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए आंशिक परिसीमन का काम चल रहा है. लेकिन चुनाव कब होंगे, अब तक तय नहीं हो सका है. हालांकि, प्रदेश के पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि पंचायत के निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन और आरक्षण तय करने का काम पूरा होने के बाद मार्च के अंत में चुनाव करा लिए जाएंगे.

भीम आर्मी भी चुनाव मैदान में

इस बीच कांग्रेस, भाजपा और सपा जैसे राजनीतिक दलों के अलावा आम आदमी पार्टी और आजाद समाज पार्टी ने भी इस बार के पंचायत चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया है. मंगलवार को आजमगढ़ में आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ेगी.

वहीं, आम आदमी पार्टी ने नवंबर में ही सभी पंचायत सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी. नए-पुराने दलों के पंचायत चुनाव में शामिल होने से इस बार पंचायत चुनाव पहले से कहीं ज्यादा दिलचस्प बनने की उम्मीद की जा रही है.

जिला पंचायत तक ही दलों की भागीदारी

हालांकि, यह कवायद केवल जिला पंचायत अध्यक्ष पद तक ही सीमित होगी क्योंकि राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के सभी स्तरों पर भाग नहीं लेते हैं, बल्कि शीर्ष पदों के लिए सिर्फ उम्मीदवारों का समर्थन करते हैं. हालांकि, आम आदमी पार्टी जिला प्रमुख का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के जरिए कराने की मांग उठा चुकी है. अभी इसका चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से चुने गए जिला पंचायत सदस्य करते हैं. यही वजह है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए होने वाली राजनीतिक दलों की भागीदारी जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव तक पहुंच जाती है.

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में देरी, प्रशासक संभालेंगे काम

उत्तर प्रदेश में अब तक पंचायतों का गठन हो जाना चाहिए था. लेकिन कोविड-19 के चलते इस बार चुनाव प्रक्रिया लगभग चार महीने की देरी से चल रही है. इसकी वजह से 25 दिसंबर को मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. इसके बाद पंचायतों की जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों के हाथ से निकलकर प्रशासकों के हाथ में चली जाएगी. सरकार ने ग्राम पंचायतों के लिए एडीओ पंचायत, ब्लॉक पंचायत के लिए उपजिलाधिकारी और जिला पंचायत के लिए जिलाधिकारी को प्रशासक नियुक्त किया है.

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तैयारियों में सरकार और आयोग दोनों पिछड़े

अगर चुनाव तैयारियों की बात करें तो पंचायती राज विभाग ने तीन जनवरी से छह जनवरी तक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की सूची जारी करने का लक्ष्य रखा है. इसके बाद निर्वाचन क्षेत्रों को आरक्षण के लिहाज से चिन्हित करने का काम होगा. पंचायती राज ही नहीं, राज्य निर्वाचन आयोग भी अपने काम में लगातार पीछे चल रहा है. उसने मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन की समय सीमा को बढ़ाकर 22 जनवरी कर दिया है, जो पहले 29 दिसंबर थी.

पहले जितने नहीं आएंगे ग्राम प्रधान

उत्तर प्रदेश में अभी 75 जिला पंचायत 821 ब्लॉक पंचायत और 58 हजार 735 ग्राम पंचायतें हैं. लेकिन आंशिक परिसीमन के चलते इनकी संख्या इस बार घट सकती है. लगभग 587 पंचायतों को पूरी तरह से, जबकि 680 ग्राम पंचायतों को आंशिक रूप से शहरी क्षेत्रों में मिलाया गया है. इसके अलावा 680 एक हजार से कम आबादी वाली ग्राम पंचायतों और वार्डों को दूरी पंचायतों में मिला दिया गया है. इससे कम से कम 580 पंचायतें घटने का अनुमान है.

डेस्क संसदनामा

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