विधान मंडल

बिहार विधानसभा में 50 साल बाद स्पीकर पद के लिए मतदान, फिर क्यों नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा?

बिहार में बीजेपी विधायक विजय कुमार सिन्हा को नवगठित विधानसभा का नया अध्यक्ष चुन लिया गया. एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने महागठबंधन के उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी को 12 वोटों से मात दी. एनडीए के उम्मीदवार को 126 और महागठबंधन के उम्मीदवार को 114 वोट मिले. विजय कुमार सिन्हा को लोक जनशक्ति पार्टी के एक मात्र विधायक का, जबकि अवध बिहारी चौधरी को एआईएमआईएम के विधायकों का समर्थन मिला. विधानसभा में स्पीकर के लिए मतदान में जीतन मांझी (प्रोटेम स्पीकर होने की वजह से), एआईएमआईएम और बीएसपी के एक-एक विधायक ने वोट नहीं डाला.

जनादेश की चोरी का आरोप

हालांकि, स्पीकर के चुनाव के दौरान विपक्ष ने नियमों की धज्जियां उड़ाने और जनमत की चोरी करने का आरोप लगाया. विधानसभा में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जब भी स्पीकर का चुनाव होता है, विधानसभा से उन सभी लोगों को बाहर जाने के लिए कहा जाता है, जो इसके सदस्य नहीं होते हैं, इसके बाद विधानसभा के दरवाजे बंद कर लिए जाते हैं. उन्होंने आगे कहा कि सदन में मुकेश साहनी और अशोक चौधरी मौजूद हैं, जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं है, इसके अलावा बहुत से फर्जी वोटरों को विधायक बनाकर सदन में बैठाया गया. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘ये देश और दुनिया के सामने चोरी है…ये लोकतंत्र की हत्या है और संविधान की हत्या की जा रही है.’ राजद ने चुनाव के दौरान सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी पर सवाल उठाया, क्योंकि वे विधान परिषद के सदस्य हैं, न कि विधानसभा के.

मतदान के दौरान सदन में बाहरी व्यक्तियों पर उठे सवाल

सीपीआई माले के विधायक महबूब अली ने भी स्पीकर के चुनाव में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है तो सदन के जो सदस्य नहीं हैं, उन्हें बाहर कर दिया जाता है. दरवाजे बंद होने के बाद सदस्यों को भी प्रवेश नहीं दिया जाता है. यह नियमावली है. नियमावली का उल्लंघन करके, संविधान का उल्लंघन करके, संस्कृति और परपंरा को दुहाई देकर ये चोरी को जायज करना चाहते हैं.’ वहीं, कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजित शर्मा ने कहा कि मंत्री के नाम पर दो दो व्यक्ति बैठे हैं और ध्वनिमत में भाग ले रहे हैं, मुख्यमंत्री खुद बैठे हैं. उन्होंने कहा कि गुप्त मतदान होना चाहिए, क्योंकि हार की वजह से धांधली की जा रही है.  इन आरोपों के जवाब में प्रोटेम स्पीकर और हिंदुस्तानी आवाम पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि दूसरे सदन के सदस्य अगर वोटिंग नहीं कर रहे हैं तो उनकी मौजूदगी से कोई दिक्कत नहीं है.

नियमावली क्या कहती है 

बिहार विधानसभा की वेबसाइट पर मौजूद ‘बिहार विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालय नियमावली’ (14वां संस्करण) के नियम 48 में सदन के भीतर मत विभाजन का नियम दिया गया है. इसके मुताबिक ध्वनि मत पर आपत्ति होने पर विधानसभा अध्यक्ष मतदान विभाजन कराएंगे. इसके लिए विधानसभा सचिव तीन मिनट के लिए मत विभाजन की घंटी बजाएंगे. इसके बाद सदन के दरवाजे बंद कर दिए जाएंगे. इसी तीन मिनट में सदस्यों को सदन से बाहर जाने या भीतर आने की इजाजत होगी. इसके बाद सदन का दरवाजा तभी खोला जाएगा, जब मतदान की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. सदन के दरवाजे बंद होने के बाद स्पीकर सदन के सदस्यों (जाहिर है कि इसमें दूसरे सदन या बाहरी व्यक्ति नहीं हो सकते हैं) को मतविभाजन के लिए कहेंगे. इसकी पद्धति विधानसभा अध्यक्ष तय करेंगे. इसमें प्रस्ताव के समर्थन और विरोध वाले सदस्यों को अपनी जगह पर खड़े होने या अलग-अलग जगह पर जाने के लिए कह सकते हैं.

50 साल बाद स्पीकर का चुनाव

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हालांकि, इन आरोपों के जवाब में एनडीए ने परंपरा का हवाला दिया, जिसमें सर्वसम्मति से स्पीकर का चुनाव होता रहा है. दरअसल, इस बार पक्ष-विपक्ष के बीच संख्या में ज्यादा अंतर न होने की वजह से लगभग 50 साल बाद  मतदान कराने की नौबत आई. बिहार में अब से पहले सिर्फ 1967 और 1969 में ही मतदान के जरिए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ था. हालांकि, माना जा रहा है कि विपक्ष ने स्पीकर के चुनाव पर इसलिए जोर दिया ताकि इसके जरिए न केवल अपनी एकजुटता साबित कर सके, बल्कि मजबूत विपक्ष का संकेत भी दे सके.

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डेस्क संसदनामा

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