कोरोना संक्रमण रोकने के लिए जब सरकार ने लॉकडाउन लगाया तो पूरी अर्थव्यवस्था का चक्का जाम हो गया. हालांकि, आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बहाल रखने के लिए कृषि क्षेत्र को इससे बाहर रखा गया. लेकिन किसानों को सबसे ज्यादा समस्या ट्रांसपोर्ट मिलने में आ रही थी. इसी समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने अप्रैल में किसान रथ ऐप ( मोबाइल एप्लीकेशन )लॉन्च किया. इसका मकसद व्यापारियों और किसानों को ट्रांसपोर्टर्स से जोड़ना था, ताकि साग-सब्जियों और फलों की सप्लाई आसान बनाई जा सके.
लोगों को ओटीपी नहीं मिलता है
किसान रथ ऐप को लॉन्च हुए सात महीने से ज्यादा समय बीत चुका है. लेकिन इससे जुड़ी समस्याएं अब तक दूर नहीं हो पाई हैं. अब लॉकडाउन खत्म हो चुका है. लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार ने इस ऐप को वापस ले लिया है या यूजर्स इसका इस्तेमाल करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. ऐसे ही तमाम यूजर्स गूगल प्ले (जहां से लोग ऐप को अपने मोबाइल में डाउनलोड करते हैं) पर किसान रथ ऐप से जुड़ी समस्याएं बता रहे हैं. यूजर्स को सबसे ज्यादा ऐप पर रजिस्ट्रेशन और लॉगिन करने के लिए मोबाइल नंबर पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) न मिलने की शिकायत कर रहे हैं. चार दिसंबर को एक यूजर ने गूगल ऐप के कमेंट बॉक्स में लिखा कि लॉगिन करने के लिए ओटीपी नहीं आ रहा और लॉगिन के लिए पासवर्ड भी नहीं मिल रहा.
सभी गांवों और तहसीलों के नाम नहीं
किसान रथ ऐप को लेकर यूजर्स को दूसरी बड़ी शिकायत सभी ब्लॉक, गांव और मंडियों का ब्यौरा न मिलने की है. अभी 4 दिसंबर को केरल के एक किसान ने गूगल ऐप के कमेंट बॉक्स में इसकी शिकायत की. यूजर्स भाषा को लेकर भी शिकायत कर रहे हैं. जैसे एक यूजर ने लिखा कि मेरे पिता को सिर्फ तेलुगु आती है, लेकिन यह ऐप तेलुगु को लेकर सही से काम नहीं करता है. एक यूजर्स की शिकायत है कि लॉगिन करने के दौरान ऐप पासवर्ड को स्वीकार नहीं कर रहा है. हालांकि, कुछ यूजर्स इस एप को कारगर बता रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या शिकायत करने वाले यूजर्स के मुकाबले काफी कम है.
किसान रथ ऐप की घोंघा चाल
किसान रथ ऐप की आधिकारिक वेबसाइट इस एप की सफलता पर सवाल खड़े कर रही है. इस एप को लॉन्च करते वक्त केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पहले दिन से पांच लाख गाड़ियां उपलब्ध होने का दावा किया था. लेकिन इसकी आधिकारिक वेबसाइट बताती है कि इस खबर को लिखे जाने तक इस ऐप के जरिए सिर्फ 8390 आवेदन किए गए. इसके जरिए कुल माल की ढुलाई सिर्फ 22 हजार टन रही.
किसान रथ ऐप वेबसाइट का स्क्रीन शॉट
इस ऐप के रोजाना इस्तेमाल का आंकड़ा तो अब और भी ज्यादा निराश करने वाला है. बीते सात दिनों में किसी भी दिन इस ऐप को इस्तेमाल करने की संख्या दस का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है. इसके अलावा इसके जरिए कुल माल ढुलाई का आकंड़ा भी पांच टन से 148 टन तक ही पहुंच पाया है. कुल मिलाकर यह दोनों आंकड़े बताते हैं कि पांच लाख वाहनों के जुड़े होने का दावा करने वाला यह ऐप जमीन पर कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाया है.
सवाल यही है कि नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर (एनआईसी) का बनाया यह ऐप अपने मकसद को कितना साध पाया है? इसके इस्तेमाल से जुड़ी शिकायतें अब तक दूर क्यों नहीं हो पाई हैं? सबसे बड़ा सवाल यह कि इन समस्याओं के बावजूद केंद्र सरकार अपने दावों में इस किसान रथ ऐप के सरपट दौड़ने का दावा क्यों कर रही है?
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