कोरोना पूरे देश में कहर बनकर टूटा है. लोगों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है. बेड, आईसीयू और ऑक्सीजन सिलिंडर के अभाव में लोग तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं. आखिर बिस्तरों की कमी क्यों देखने को मिल रही है, जबकि केंद्र सरकार ने तो बीते साल ही रेल के 5600 डिब्बों को कोरोना केयर कोच में बदलने का दावा किया था, ताकि बिस्तरों की कमी को पूरा की जा सके.
संसद के बजट सत्र में राज्य सभा में सांसद श्रेयम्स कुमार सवाल के जवाब में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि कोविड मरीजों को मदद पहुंचाने के लिए 5601 सवारी डिब्बों को कोविड आइसोलेशन वार्ड में बदला गया था. उन्होंने बताया कि इनमें से कुल 813 सवारी डिब्बों की तैनाती की गई थी और अप्रैल 2020 से दिसंबर 2020 तक सवारी डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने पर कुल 39.3 करोड़ रुपये का खर्च आया था.
संसद के मानसून सत्र में बीते साल सितंबर में सांसद पी एल पुनिया के सवाल के जवाब में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया था कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए भारतीय रेल ने मार्च, अप्रैल, मई और जून 2020 में 5601 सवारी डिब्बों को कोविड देखभाल केंद्रों के रूप में बदला था. उन्होंने इसका क्षेत्रवार ब्यौरा भी दिया था. (देखें चित्र 1)
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यह भी बताया था कि राज्य सरकारें तभी इन विशेष सवारी डिब्बों का उपयोग करेंगी, जब उनकी अपनी सुविधाएं खत्म हो जाएं. उन्होंने कहा था कि 18 सितंबर 2020 तक 813 सवारी डिब्बों को तैनात किया गया है.
सवारी डिब्बों को कोरोना देखभाल केंद्रों के रूप में बदलने के लिए बीच की सीट को हटाया गया था, एक शौचालय को बाथरूम में बदला गया था. इसके साथ ऑक्सीजन सिलिंडर और अन्य जरूरी सुविधाएं भी लगाई गई थी, जिसमें प्रति कोच 60 हजार रुपये का खर्च आया था.
सवाल उठता है कि आखिर ये कोच क्यों नहीं इस्तेमाल किये जा रहे हैं? क्या लखनऊ, इलाहाबाद, नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली में जिस तरह से लोग बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भटक रहे हैं, उन मरीजों का इन कोच में इलाज क्यों नहीं किया जा रहा है? आखिर कहां हैं इस समय ये रेलवे कोच? इन सवालों का जवाब पाने के लिए हमने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सुनीत शर्मा के आधिकारिक नंबर 01123384010 पर संपर्क किया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं मिला.
हालांकि, मिंट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तर रेलवे ऐसे 50 कोच शकूर बस्ती और 25 डिब्बे आनंद विहार स्टेशन पर लगाना शुरू कर दिया हैै. लेकिन बाकी डिब्बे कहां गए? अपनी हर बात का विज्ञापन करने वाली केंद्र सरकार ने अब तक कहीं पर यह क्यों नहीं बताया है कि ऐसे कोच को बिस्तर की कमी वाले शहरों में तैनात कर दिया गया है और वहां मरीजों को इसमें इलाज दिया जाने लगा है?
इस बारे में रेलमंत्री पीयूष गोयल की ऑफिस और भारतीय रेलवे से जानकारी मांगी गई है, उनका जवाब आते ही इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.
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डेस्क संसदनामा
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