भारत की संसद में राज्य सभा की तरह अमेरिका की कांग्रेस में सीनेट यानी उच्च सदन है. अमेरिकी सीनेट का एक कमरा है-S-211 . इसे लगभग 170 साल पहले 1851-59 में सीनेट की विस्तार योजना के तहत बनाया गया था. मूल रूप से S-211 में सीनेट की लाइब्रेरी खुलनी थी, लेकिन इसे छोड़कर बाकी हर काम के लिए इसका इस्तेमाल हुआ. इसमें पहले अमेरिकी सीनेट के लिए पोस्ट ऑफिस खुला. फिर 1884 में इसे सीनेट की डिस्टिक्ट ऑफ कोलंबिया कमेटी को दे दिया गया. इस समिति का इस पर लगभग तीन चौथाई सदी तक कब्जा रहा. बाद में अमेरिकी सीनेट के मजॉरिटी लीडर लिंडन बी जॉनसन का कार्यालय बना.
नायाब सजावट और चित्रकारी
अमेरिकी सीनेट के अन्य कमरों में S-211 के खास होने की वजह इसकी अलग बनावट नहीं, बल्कि इसकी नायाब सजावट और चित्रकारी है. इसमें अमेरिका के महाशक्ति बनने से जुड़े विषयों का चित्रण है. दरअसल, 1851 में सीनेट का विस्तार ही दुनिया के फलक पर उदय हो रहे अमेरिका की विधायी जरूरतों को पूरा करने के लिए हुआ था. इसी वजह से इस दौरान बनी इमारतें न केवल भव्यता को समेटे हुए हैं, बल्कि आंतरिक साज-सजावट में भी बेजोड़ हैं.
इस काम में बहुत से वास्तुकारों और चित्रकारों की मदद ली गई. इसमें सबसे प्रमुख रहे इतालवी कलाकार कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने 1857 में S-211 कमरे की भीतरी सजावट का खाका तैयार किया. इसकी छत के फ्रेस्को (दीवार या छत की चित्रकारी) की थीम कुछ ऐसे बनाई जिसमें अमेरिका का इतिहास, भूगोल, छाप और दर्शनशास्त्र सब कुछ आ जाए. कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने अपना काम भी शुरू कर दिया. कमरे की छत के एक अर्द्धचंद्राकार फलक (lunette) और एक कोने की चित्रकारी पूरी भी कर डाली. लेकिन तभी उन्हें दूसरे हिस्से का काम सौंप दिया गया. यानी इसके बाद कमरे का बाकी काम रुक गया. इस दौरान इस कमरे में सीनेट का पोस्ट ऑफिस भी खुल गया.
मूल ब्लूप्रिंट ही बदल गया
बाद में कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी दूसरे काम निपटाकर इस कमरे की तरफ दोबारा लौटे और अपना काम 1867 में पूरा किया. लेकिन उन्होंने इस छत की मूल थीम में बदलाव कर डाला. ब्रूमीडी ने प्रिंट (चिन्ह या छाप) और दर्शनशास्त्र की जगह फिजिक्स और टेलिग्राफ को शामिल कर लिया. अगर कला से हटकर इस कमरे में चित्रकारी के विषयों को देखा जाए तो यह न केवल विज्ञान और तकनीक की तरफ अमेरिका में उस तरफ बढ़ते रुझान, बल्कि उसके दम पर आई प्रगति की पूरी कहानी बयान करता है.
अमेरिकी बन गया इटली का चित्रकार
सीनेट के कमरे S-211 को ताज महल किसने और क्यों ताजमहल कहा, यह जानने से पहले इस कमरे की कलात्मक खूबसूरती और इसे साकार करने वाले कलाकार कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी की चर्चा जरूरी है. ब्रूमीडी का जन्म रोम में हुआ, वहीं पर चित्रकारी सीखी. 1848 की क्रांति में शामिल हुए. जेल भी गए. लेकिन सजा काटने के बाद 1852 में रोम को छोड़कर अमेरिका आ गए. उन्हें 1855 में वाशिंगटन डीसी में चल रहे राजधानी विस्तार में इमारतों की आंतरिक सजावट का काम मिल गया. वे यहां पर अगले 25 साल तक सीनेट विंग और विशाल गुंबद के प्रधान सजावटकर्ता के रूप में सजाते रहे. इस योजना में कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी की भूमिका के लिए उन्हें ‘मिचेलंगेलो ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स कैपिटल’ कहा जाने लगा. मिचेलंगेलो इटली में पुनर्जागरण दौर के महान वास्तुकार, मूर्तिकार और चित्रकार थे.
Advertisement. Scroll to continue reading. छत की चित्रकारी ने दिलाई शोहरत
कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने S-211 की छत को चार अर्द्धचंद्राकार खाचों में बांटकर उसमें चित्रकारी से भरा है. वे गीले प्लास्टर पर चित्रकारी करते थे. इससे रंग प्लास्टर के साथ घुल-मिल जाते थे और सूखने के बाद बहुत टिकाऊ बन जाते थे. उन्होंने अर्द्धचंद्राकार हिस्सों के बाद बची जगहों को बहुत ही कलात्मक ढंग से सजाया है.
इतिहास
ब्रूमीडी ने इतिहास (History) को एक लड़की के रूप में दिखाया है, जिसने रंगीन पोशाक पहनी हुई है और उसके सिर पर फूलों का मुकुट भी है. वह कलम लेकर रिवॉल्यूशनरी वॉर को दर्ज कर रही है, जिसे उसके बैकग्राउंड में उकेरा गया है. इतिहास के दाएं हिस्से में जरूरी साजो-सामान जैसे कलम-दवात, कागज के बंडल, फ्रेमयुक्त तस्वीर और प्रिटिंग प्रेस मौजूद हैं. इतिहास की किताब ‘फादर टाइम’ के पंखों पर टिकी है, जो उसके बाएं हाथ में रेत घड़ी और हंसिया या दराती लेकर बैठा है. फादर टाइम, ग्रीक और रोमन मिथकों के एक पात्र हैं, जिन्हें समय और उपज का देवता माना जाता है.
टेलिग्राफ
कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने S-211 की छत के एक अर्द्धचंद्र में टेलीग्राफ (Telegraph) की खोज के बाद मिटती भौगोलिक दूरियों को दर्शाया है. यूरोप के आयरलैंड और अमेरिका के न्यूफाउंडलैंड के बीच 1866 में अटलांटिक महासागर की तलहटी पर पहली ट्रांस अटलांटिक केबल डाली जा चुकी थी. इस पहले इलेक्ट्रॉनिक संचार ने अमेरिका और यूरोप के बीच की दूरी को काफी हद तक घटा दिया था. कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने उस दौर की इसी शानदार वैज्ञानिक उपलब्धि को बड़े ही अदभुत अंदाज में उकेरा है.
यूरोपा बैल पर सवार होकर महासागर पार करके अमेरिका के साथ दोस्ती और संचार का हाथ मिला रही हैं. अमेरिका (लड़की के रूप में चित्रित) ने फ्रीजिआई या लिबर्टी कैप पहन रखी है, जिसमें शक्ति की प्रतीक ओक की पत्तियां लगी हैं. उसके पास कुटूसियस (सर्पदंड- कारोबार का प्रतीक) और जैतून की पत्तियों (शांति की प्रतीक ) को लिए हुए बाज बैठा है. एक तरफ फलों-फूलों से भरी टोकरी (संपन्नता का प्रतीक) पड़ी है और दूसरी तरफ दोनों महाद्वीपों को जोड़ने वाली केबल को पकड़े हुए एक देवदूत मौजूद है.
फिजिक्स
भौतिकी (Physics) को छत पर उकेरते हुए ब्रूमीडी ने विज्ञान और इसके व्यवहारिक उपयोगों, खास तौर पर यातायात के नए साधनों की खोज को प्राथमिकता दी. इसमें स्टीमबोट और रेलगाड़ी चलते हुए चित्रित हैं. फिजिक्स (लड़की के रूप में ) ने सितारों से सजी टोपी पहन रखी है, जिसका एक हाथ मेज पर टिका है और दूसरे हाथ से सर्वे या मानचित्र का कागज है. उसके पास नाविक के कपड़े में एक युवक खड़ा है जो मानचित्र की तरफ कुछ इशारा कर रहा है. फिजिक्स के पास जमीन पर एक लोहार भी बैठा है जो वोल्कन, भट्ठी के देवता का प्रतिनिधित्व करता है. उसके पास निहाई, हथौड़ा और दो बिल्कुल ही नए तैयार किए गए पहिए हैं. यह चित्र उस समय तेज यातायात के विकास के दम पर अमेरिका में आ रही संपन्नता की गवाही देता है. इस कमरे को सजाते हुए ब्रूमीडी ने जो बेहतरीन कलाकारी दिखाई है, उसी वजह से इस कमरे को देखने वाले इसमें शाहजहां के बनवाए ‘ताज महल’ की छवि खोजने लगते हैं.
Advertisement. Scroll to continue reading. ज्योग्राफी
हालांकि, इन तीनों चित्रों के साथ कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी (Constantino Brumidi) ने चौथा चित्र ज्योग्राफी (Geography) का बनाया. इसमें धरती को विषय बनाया, जिस पर सारी गतिविधियां टिकी हैं. पूरी दुनिया को एक नजर से देखने के लिए ज्योग्राफी (लड़की के रूप में चित्रित) को ऊपर (शायद स्वर्ग) से नीचे की तरफ देखते हुए चित्रित किया गया. इनके साथ दो पंखों वाले सहयोगी लड़कियां भी हैं। ज्योग्राफी के एक हाथ में ग्लोब और दूसरे हाथ में डिवाइडर है. वहीं, उसकी एक सहयोगी के हाथ में नए विश्व का नक्शा, जबकि दूसरी सहयोगी के पास एक प्रोटेक्टर और रेल इंजन का छोटा प्रतिरूप है.
छत की भव्य सजावट के अलावा कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने इसके साथ बची कोनों की जगहों को तीन-तीन के समूह में खड़े युवक-युवतियों के खूबसूरत चित्रों से भरा है. इसके अलावा इस कमरे की छत पर एक भव्य झूमर भी है. इसकी फर्श में खास किस्म की टाइल्स का इस्तेमाल हुआ है.
जब ताजमहल को मिली खोई रौनक
लगभग 75 साल तक डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया समिति के कब्जे में रहने के दौरान S-211 खस्ताहाल हो गया. इसकी सारी चित्रकारी अपनी आभा खो बैठी. लेकिन 1959 में जब यह कमरा सीनेट के मजॉरिटी लीडर (बहुमत दल की ओर से संसदीय कामकाज देखने वाला नेता) लिंडन बी जॉनसन को मिला तो इसके दिन बहुर गए. उन्होंने इस कमरे की मरम्मत कराई और इसका पुराना गौरव वापस लौटाया. उन्होंने 1963 में अमेरिका के 36वें राष्ट्रपति बनने तक इस कमरे को एक धरोहर के रूप में संजोए रखा.
इस कमरे की बेततरीन सजावट और भव्यता की वजह से लिंडन बी जॉनसन (Lyndon B. Johnson Room) के स्टाफ ने इसे उनके कैपिटल हिल वाले कम खूबसूरत ऑफिस खास मानते थे. स्टाफ ने दोनों ऑफिस में अंतर करने के लिए S-211 को ‘ताज महल’ पुकारना शुरू कर दिया. जॉनसन को भी यह कमरा इतना पसंद था कि वे अपना ज्यादातर समय यहीं पर गुजारते थे. इसी को देखते हुए अन्य लोग भी इस कमरे को उनका ‘ताज महल’ कहने लगे थे. अमेरिकी सीनेट की आधिकारिक वेबसाइट पर भी इस कमरे को ‘सीनेट का ताज महल’ ही कहा गया है. हालांकि, लिंडन बी जॉनसन के राष्ट्रपति बनने के बाद उनके नाम पर ही S-211 कमरे का आधिकारिक नाम ‘लिंडन बी जॉनसन रूम’ रख दिया गया था.
1. 2.
3. 4.
(छत पर बने भित्ति चित्र – 1. टेलीग्राफ, 2. फिजिक्स, 3. हिस्ट्री, 4. ज्योग्राफी)
1. 2.
3.
(1. कमरा नंबर S-211, 2. S-211 में लिंडन बी जॉनसन, 3. चित्रकार कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी)
(यह लेख अमेरिकी सीनेट और ऑर्किटेक्ट ऑफ द कैपिटल की आधिकारिक वेबसाइट की सूचना पर आधारित है, तस्वीरें भी वहीं से ली गई हैं.)
Advertisement. Scroll to continue reading.