किसी रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही जिनसे सबसे पहले मुलाकात होती है, उनमें लाल कुर्ती और बाहों पर बिल्ला बांधे कुली (coolie) सबसे आगे होते हैं. शनिवार को राज्य सभा में प्रश्नकाल में डॉ. फौजिया खान ने इन्हीं कुलियों का सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि भारत में कुल 19 हजार 500 कुली (coolie) हैं, जो वर्षों से रेलवे की सेवा कर रहे हैं, लॉकडाउन में इनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गई थी. सांसद फौजिया खान ने आगे कहा, ‘अब रेलवे स्टेशनों पर डिजिटाइजेशन हो रहा है, ऑटोमेशन हो रहा है जैसे रैंप है, एस्केलेटर, लिफ्ट और ट्रॉली बैग हैं, इसलिए कुलियों का काम भी बहुत कम बचा है.’ उन्होंने सरकार से पूछा कि जैसे पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने 2008 में कुलियों को ऊपर उठाने के लिए मौका दिया था तो क्या मंत्री महोदय इस कोरोना महामारी के बैकग्राउंड में कुलियों को नौकरी देने का मौका देंगे?
‘कुली नौकरी छोड़कर वापस चले गए’
सांसद फौजिया खान की इस सवाल का जवाब रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दिया. उन्होंने कहा कि कुली का काम करने वाले भाई-बहनों के साथ पूरी संवेदनाएं हैं, वे बहुत महत्वपूर्ण काम करते हैं, वास्तव में रेलवे के साथ उनकी लाल ड्रेस और लेबल एक तरह से बरसों-बरस से जुड़ा है, यहां तक कि भारत में कई सारी बॉलीवुड की फिल्में भी उनको लेकर बनी हैं. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘जहां तक कुलियों को सर्विस देने की बात है, लालू प्रसाद यादव जी ने जरूर कुछ कुलियों को सर्विस देने का ऑफर दिया था. लेकिन हमने जब उसका डाटा निकाला तो पाया कि अधिकांश लोग, जिन्होंने जॉब स्वीकार की थी, वे थोड़े महीनों बाद वापस चले गए.’
‘कुली रेलवे के सख्त काम नहीं कर पाए’
रेलमंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक, कुलियों ने इसलिए नौकरी छोड़ दी, क्योंकि रेलवे का सख्त काम उनसे नहीं किया गया. रेल मंत्री ने आगे कहा, ‘उन्होंने (कुलियों ने) उस समय (नौकरी मिलने पर) भी रेलवे के सख्त काम में बहुत ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. सभी चाहते थे कि हमें एमटीएस बना दीजिए जो मल्टी टास्क सर्विस करते हैं, एक प्रकार से ऑफिस के चपरासी की तरह होते हैं. लेकिन रेलवे में आज के दिन उनकी आवश्यकता नहीं है. वास्तव में वह बहुत सरप्लस हैं. अगर पार्लियामेंट में आवश्यकता हो तो हम यहां भेज सकते हैं.’
‘आउट ऑफ टर्न जॉब देना उचित नहीं’
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि उनकी सरकार कुलियों को पूरी संवेदना के साथ देखती है. उन्होंने कहा, ‘रेस्टरूम, शौचालय वगैरह की व्यवस्था के लिए तो मैंने स्वयं भी चिंता की थी कि हम उन्हें कैसे कुछ सुविधाएं दे सकते हैं. लेकिन उन्हें आउट ऑफ टर्न जॉब देना, एक प्रकार से उचित नहीं होगा, क्योंकि वह विदाउट ए प्रोसेस जॉब (बिना प्रक्रिया का पालन किए नौकरी) हो जाएगी, उन्हें लेबल (बिल्ला) ट्रांसफर करने की अनुमति है.’
क्या कुलियों को नौकरी खोनी पड़ रही है
Advertisement. Scroll to continue reading. राज्य सभा में सांसद ए विजय कुमार ने भी कुलियों और पोर्टरों के रोजगार छिनने का सवाल उठाया था. अतारांकित प्रश्न (3161) के तहत उन्होंने पूछा था, (1) क्या सरकार को यह जानकारी है कि रेलवे स्टेशनों और प्लेटफार्मों का विकास होने के कारण रेलवे के हमालों और कुलियों का काम खत्म हो रहा है? (2) यदि हां, तो उनकी उत्पादकता बढ़ाने और रेलवे के हमालों व कुलियों को वैकल्पिक रोजगार देने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं? (3) क्या रेलवे के पास पंजीकृत हमालों और कुलियों के संबंध में कोई आंकड़े उपलब्ध हैं, यदि हां तो उसका ब्यौरा क्या है?
‘कुलियों और पोर्टरों की नौकरियां नहीं जाएंगी’
राज्य सभा में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इन सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा, रेलवे स्टेशनों और प्लेटफॉर्मों के विकास के कारण रेलवे की ओर से नियुक्त पार्सल पोर्टरों और सहायकों (जो पहले कुली कहे जाते थे), जो रेलवे द्वारा नियुक्ते किए गए लाइसेंसधारी हैं, उनकी नौकरियां नहीं जाएंगी. भारतीय रेल में कुलियों की कुल संख्या 19 हजार 274 है. भारतीय रेल में पार्सल पोर्टरों की संख्या लगभग 2807 है.