राज्य सभा में बसपा सांसद अशोक सिद्धार्थ ने शुक्रवार को बजट पर चर्चा में हिस्सा लिया और सरकारी कंपनियों के निजीकरण का सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि देश की बहुसंख्यक अवाम के लिए इस आम बजट में कुछ खास नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के चलते महामंदी है, देश की 130 करोड़ जनता को सरकार से राहत की उम्मीद थी, लेकिन इस बजट में जनता को राहत पहुंचाने वाले उपाय गायब हैं.
सांसद अशोक सिद्धार्थ ने आगे कहा, ‘इस बजट ने देश के लोगों को, खासकर गरीबों, कामकाजी तबकों, मज़दूरों, किसानों और स्थायी रूप से बंद हुई औद्योगिक कंपनियों से बेरोजगार हुए लोगों को निराश किया है.’
‘गरीबों को गरीब, अमीरों को अमीर बनाना चाहती है’
सांसद अशोक सिद्धार्थ ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण को गरीब विरोधी बताया. उन्होंने कहा, ‘ जिस आक्रामक तेवर को अपनाते हुए नीति आयोग को भी नई कंपनियों को सूचीबद्ध करने और सरकारी संपत्तियों को मुद्रित करने के लिए कहा है, वह बताता है कि यह सरकार गरीबों को और गरीब और अमीरों को और अमीर बनाना चाहती है.
अगर ऐसा न होता तो सरकार ने बजट में निजीकरण के माध्यम से इस साल 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिए सरकारी उपक्रमों जैसे एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, पवन हंस, नीलांचल इस्पात के अलावा दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण का जो प्रस्ताव रखा है, वह न होता.’
उन्होंने यह भी कहा कि घाटे को पूरा करने के लिए पैसे जुटाना सरकार की मजबूरी है, लेकिन उद्योगपतियों और पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए, खास तौर से दलित, शोषित और पिछड़ों की हिस्सेदारी पर डाका डालना ठीक नहीं है.
निजी क्षेत्र में आरक्षण लाए सरकार
सांसद अशोक सिद्धार्थ ने निजीकरण को सामाजिक न्याय के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा, ‘हमारे जो नवरत्न कहलाते थे, वे फायदे में चल रहे थे, चाहे बीपीसीएल हो, कॉनकोर हो, एचपीसीएल की पाइपलाइन हो, गेल की पाइपलाइन हो, इन सबको आप जब प्राइवेट सेक्टर में देंगे तो रिपोर्ट है और सरकार इस बात को जानती है कि इस देश में प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण नहीं है तो बड़े पैमाने पर इसमें लाखों की संख्या में एससी, एसटी और ओबीसी लोग, जिनको आरक्षण का लाभ मिलता था, क्या सरकार उस आरक्षण को देने का काम करेगी या प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण के लिए कोई संशोधन लाने का काम करेगी?’
अशोक सिद्धार्थ ने आगे कहा, ‘यह सरकार भले ही पैसे जुटाने के लिए प्राइवेट सेक्टर को दे, लेकिन मेरा निवेदन यह है कि पहले प्राइवेट सेक्टर में रिजर्वेशन लाए, जिससे एससी वर्ग की लभग 25 फीसदी और ओबीसी वर्ग की लगभग 52 फीसदी आबादी को लाभ पहुंचे.’
उन्होंने कहा, ‘निजीकरण से सबसे ज्यादा नुकसान एससी, एसटी और ओबीसी के उन लोगों का होता है, जिनको सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलता है.’ सांसद अशोक सिद्धार्थ ने उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती का उल्लेख किया और कहा कि तत्कालीन बसपा सरकार ने निजी क्षेत्र में आरक्षण देने के साथ ठेके देने में आरक्षण की व्यवस्था को लागू किया था, केंद्र सरकार को भी वैसा कदम उठाना चाहिए.
आबादी के अनुपात में मिले बजट
सांसद अशोक सिद्धार्थ ने कहा कि सरकार बजट में अनुसूचित जाति के लिए 1 लाख 26 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा बजट का ढिंढोरा पीट रही है. उन्होंने कहा, ‘मैं सरकार को बताना चाहता हूं कि नीति आयोग के अनुसार अनुसूचित जाति के सब-प्लान में यह रिपोर्ट कहा गया है कि इनके समग्र विकास के लिए इन समूहों की जनसंख्या के अनुपात में भारत सरकार को बजट तय करना चाहिए. अगर हम 34.8 लाख करोड़ के बजट में हिस्सेदारी देखें तो लगभग 6.5 लाख करोड़ रुपये की बनती है. इसलिए सरकार एससी, एसटी के लिए बजट में उनकी आबादी में हिसाब से हिस्सेदारी देने का काम करे.’
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने दलित छात्रों की शिक्षा के लिए पोस्ट मैट्रिक के लिए 3416 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो छह साल में 35 हजार 200 करोड़ रुपये आवंटित करने के प्रावधान से काफी कम हैं. सांसद अशोक सिद्दार्थ ने कहा, ‘अगर हम छह वर्षों में बराबर बाटें तो भी पांच हजार रुपये बनते हैं.’
सांसद अशोक सिद्धार्थ ने अंत में कहा –
नीम के रस में मिला ज़हर तो मीठा हो गया,
झूठ उसने इस कदर बोला कि सच्चा हो गया,
इतना उजला था लिबास-ए-लफ्ज उस तकरीर का,
लोग थोड़ी देर को समझे कि सवेरा हो गया.