इजरायल के राजनीति इतिहास के लिए 13 जून को बेहद अहम दिन बताया जा रहा है. आज संसद (नेसेट) में येर लपीद और नफ्ताली बेनेट की गठबंधन सरकार पर वोटिंग होनी है. आठ दलों के इस गठबंधन को 120 सदस्यीय संसद में जीत के लिए जरूरी 61 वोट मिल जाने की उम्मीद जताई जा रही है. इससे 12 साल से इजरायल की सत्ता पर काबिज रहने वाले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के शासन और बीते दो सालों से जारी राजनीतिक संकट का अंत हो जाएगा, जिसके चलते चार बार चुनाव हो चुके हैं.
नफ्ताली बेनेट एक छोटी सी अतिराष्ट्रवादी पार्टी के नेता हैं, जो प्रधानमंत्री के रूप में पद की शपथ लेंगे। उन्हें समर्थन देने वाले गठबंधन में लेफ्ट, राइट और सेंटरिस्ट पार्टियां शामिल हैं.
इजरायल में इस विविध और विरोधी दलों के बीच गठबंधन के सूत्रधार येर लपीद हैं, जो सेंटरिस्ट नेता हैं, जिन्हें साल बाद प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलेगा.
गौरतलब है कि इस गठबंधन सरकार में पहली बार 17 फीसदी अरब अल्पसंख्यक आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला दल भी शामिल है. माना जा रहा है कि यह गठबंधन सरकार फिलिस्तीन को लेकर अपनी नीति जैसे ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की जगह घरेलू सुधारों पर ज्यादा ध्यान देगी।
इस गठबंधन में शामिल दलों ने भी इजरायल में माहौल को सामान्य बनाने का वादा किया है. इसके सामने राजनीतिक स्थिरता कायम करने के अलावा बीते महीने फिलिस्तीन के साथ 11 दिन तक चले टकराव और टीकाकरण अभियान से पहले कोरोना वायरस की वजह से तबाह अर्थव्यवस्था को संभालने की भी चुनौती है.
हालांकि, बेंजामिन नेतन्याहू, जो भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं, इस विविधतापूर्ण गठबंधन पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने बेनेट पर जनता को धोखा देने का आरोप लगाया है. इसके पीछे नेतन्याहू की दलील है कि बेनेट ने दक्षिणपंथी नेता के रूप में चुनाव लड़ा और सरकार बनाने के लिए वामपंथियों के साथ साझेदारी कर ली.
फिलहाल, बेंजामिन नेतन्याहू संसद में सबसे बड़े दल के नेता बने रहेंगे. माना जा रहा है कि अगर मौजूदा गठबंधन किसी भी वजह से दरकता है और उसका कोई धड़ा अलग होता है, तो यह नेतान्याहू के दोबारा सत्ता में आने के लिए दरवाजे खोल देगा।
बेंजामिन नेतन्याहू इजरायल में सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले व्यक्ति हैं. वे पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने थे. इसके बाद वे 2009 में प्रधानमंत्री बने और अभी तक सत्ता में बने रहे.