पेट्रोल-डीजल और रसोई की बढ़ती कीमतों से घर से लेकर खेती तक का बजट बिगड़ रहा है. इससे नाराज किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर किसानों ने सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक सड़कों के किनारे खड़े होकर प्रदर्शन किया. संयुक्त किसान मोर्चा ही केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चलाए जा रहे आंदोलन की अगुवाई कर रहा है.
इसका पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा असर देखने को मिला. प्रदर्शन पंजाब के मोहाली, अमृतसर, लुधियाना, मोगा और रूपनगर में तथा हरियाणा के सोनीपत, सिरसा और गोहाना में कई जगहों पर किए गए. इसके अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में भी किसानों ने प्रदर्शन किया.
किसानों ने अपने ट्रैक्टर और अन्य वाहन सड़कों के किनारे खड़े कर दिए. उन्होंने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. कुछ लोग विरोध जताने के लिए एलपीजी के खाली सिलेंडर भी लेकर आए थे.
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, आंदोलनकारी किसानों ने कुछ मिनटों के लिए अपनी गाड़ियों के हॉर्न भी बजाए. उनका कहना था कि यह सरकार को ‘नींद से जगाने’ के लिए किया जा रहा है. लुधियाना में किसान नेता हरमीत सिंह कादियान ने कहा कि रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे समाज का सभी तबका प्रभावित हो रहा है.
Protest at Sanghera Reliance Pump (District Barnala) against rising oil and gas prices. #FarmersProtest pic.twitter.com/cxrbj11Crf
— BKU EKTA UGRAHAN (@Bkuektaugrahan) July 8, 2021
वहीं, मोगा में एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि डीजल की बढ़ती कीमतों से खेती की लागत बढ़ जाएगी. हरियाणा के सिरसा में एक किसान पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के विरोध में चार पहिया गाड़ी को खींचने के लिए ऊंट लेकर प्रदर्शन में शामिल हुआ.
गौरतलब है कि हजारों किसान पिछले साल नवंबर के अंत से केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की तीन सीमाओं–सिंघू, टीकरी और गाज़ीपुर बॉर्डर पर लगातार डेरा डाले हुए हैं. उनकी मांग है कि सरकार इन कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी का कानून बनाए. लेकिन सरकार का कहना है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं लेगी, क्योंकि ये किसानों की भलाई के लिए हैं. फिलहाल किसानों और सरकार के बीच बातचीत कई महीने से रुकी हुई है.