संसदनामा वेबपोर्टल को बनाने और चलाने की सारी कोशिश फिलहाल व्यक्तिगत प्रयासों पर आधारित है. हमारी टीम में मास मीडिया, पॉलिटिकल साइंस, लॉ और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े पेशेवर शामिल हैं. सभी सदस्य अपनी-अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों से वक्त निकालकर आप तक यह सूचनाएं पहुंचाने में मदद कर रहे हैं. उम्मीद है कि यह पहल आप पाठकों को रास आएगी.
संसदनामा की जरूरत क्यों?
न्यूज पेपर, मैग्जीन और वेब पोर्टल की संख्या भले ही बढ़ी हो, लेकिन इनमें संसदीय कामकाज की रिपोर्टिंग लगातार घटी है या कहें कि हाशिए पर धकेली गई है. देश को दिशा देने वाली संसद के कामकाज और बहसों की जानकारी लोगों तक नहीं पहुंचना लोकतांत्रिक विकास के लिहाज से बड़ी कमी है. संसदनामा को इसी कमी को पूरा करने के मकसद से लाया गया है. यहां पर संसद/विधानसभाओं के रोजाना कामकाज के अलावा संसदीय मूल्यों, मान्यताओं और प्रक्रियाओं की जानकारियां देने की कोशिश होगी. इसमें पॉलिटिकल साइंस, इंडियन पॉलिटी, लोक प्रशासन और लॉ के अध्ययन से जुड़े छात्रों और अध्यापकों का सहयोग जरूरी है. आप संविधान और लोकतंत्र की मूल भावना से सहमत रहते हुए अपना रिपोर्ट, टिप्पणियां और विश्लेषण हमें भेजकर इस व्यक्तिगत प्रयास को सामूहिक बनाने में मदद कर सकते हैं. आपके सुझावों का भी हमें इंतजार रहेगा.
– अलका सिंह, संपादक