बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तीन नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होना है. इसके ठीक पहले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने दूसरे चरण के उम्मीदवारों की संपत्ति और आपराधिक मामलों का लेखा-जोखा पेश किया है. इसके मुतबिक, 94 विधानसभा सीटों में कुल 1463 उम्मीदवार हैं, जिनमें से 502 यानी लगभग 34 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. कुल उम्मीदवारों में 27 फीसदी (389) उम्मीदवारों के खिलाफ पांच साल या इससे ज्यादा की सजा वाले मामले हैं. एडीआर ने चुनाव नामांकन कराते समय उम्मीदवारों की ओर से की गई घोषणाओं के आधार पर यह विश्लेषण किया है.
दूसरे चरण में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सबसे ज्यादा उम्मीदवार आरजेडी से हैं। इसके कुल 56 उम्मीदवारों में से 28 के ऊपर गम्भीर आपराधिक मामले हैं. इस मामले में भाजपा दूसरे स्थान पर है. बीजेपी के कुल 46 उम्मीदवारों में से 20 उम्मीदवार के खिलाफ गम्भीर आपराधिक मामले हैं. एलजेपी के कुल 52 उम्मीदवारों में से 28 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. कुल उम्मीदवारों में 24 उम्मीदवारों पर गम्भीर किस्म के आपराधिक मामले हैं. अन्य पार्टियों को देखें तो कांग्रेस के 24 उम्मीदवारों में से 14, बीएसपी के 33 उम्मीदवारों में से 16 और जेडीयू के 43 उम्मीदवारों में से 20 के ऊपर आपराधिक मामले हैं.
एडीआर ने बिहार चुनाव के पहले चरण में शामिल उम्मीदवारों पर दर्ज आपराधिक मामलों का ब्यौरा जारी किया था. इसमें आरजेडी के 73 फीसदी, बीजेपी के 72 फीसदी, एलजेपी के 59 फीसदी और बीएसपी के 31 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की बात सामने आई थी.
अगर अपराध की गंभीरता के आधार पर देखें तो दूसरे चरण में 32 उम्मीदवारों के ऊपर हत्या (धारा 302) और 143 उम्मीदवारों पर हत्या के प्रयास (धारा 307) मामले दर्ज हैं. महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिहाज से देखें तो दूसरे चरण के मतदान के लिए जनता से मुखातिब 49 उम्मीदवार के ऊपर महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामले दर्ज हैं. इनमें से चार उम्मीदवारों पर बलात्कार सम्बन्धी मामले दर्ज हैं.
दूसरे चरण में 94 सीटों में से 84 ‘रेड अलर्ट’ निर्वाचन क्षेत्र हैं. इसका मतलब है कि इस निर्वाचन क्षेत्र में तीन या इससे ज्यादा उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
एडीआर ने उम्मीदवारों की संपत्ति के आधार पर भी विष्लेषण किया है. इसमें प्रति उम्मीदवार औसतन सवा दस करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ कांग्रेस पहले स्थान पर है. दूसरे स्थान पर जेडीयू है, जिसके उम्मीदवारों के पास औसतन 4.95 करोड़ की संपत्ति है. आरजेडी के 56 उम्मीदवारों के पास औसतन 4.82 करोड, वहीं एलजेपी के 52 उम्मीदवारों के पास 3.86 करोड़ की संपत्ति है. बीजेपी के 46 उम्मीदवारों के पास औसत संपत्ति 3.44 करोड़ और बीएसपी 33 उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 1.30 करोड़ है, जो सबसे कम है. इसके अलावा तीन उम्मीदवार ने अपनी संपत्ति को शून्य घोषित किया है.
भारत में चुनाव सुधारों की कोशिश लंबे समय से चल रही है. उम्मीदवारों के ऊपर दर्ज मामलों और संपत्ति का ब्यौरा इन्हीं प्रयासों का नतीजा है. लेकिन इसे राजनीतिक दलों की ओर से समर्थन न मिलने के आरोप लगते रहे हैं.
इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण को रोकने के लिए राजनीतिक दलों को सख्त निर्देश दिए थे. इसमें कहा था कि अगर कोई पार्टी किसी आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति चुनाव में उम्मीदवार बनाती है तो उसकी जानकारी पार्टी की वेबसाइट डाले. इसके साथ यह भी बताए कि उसने किन वजहों से ऐसे व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा ऐसे दागी उम्मीदवारों की जानकारी कम से कम एक अखबार में प्रकाशित करने और पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर पर देने का भी निर्देश दिया था. हालांकि, इस दिशा में राजनीतिक दलों की तरफ से कोई ठोस पहल होती नहीं दिखाई दे रही है.