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संसद के नए भवन का शिलान्यास, क्या-क्या होगा खास

नए संसद भवन के शिलान्यास की इजाजत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए किसी भी तरह के निर्माण या तोड़-फोड़ पर अगले आदेश तक रोक लगा रखी है. हालांकि, इसका निर्माण स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ यानी 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है.

नए संसद भवन के लिए शिलान्यास
Photo credit- Twitter ANI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नए संसद भवन के लिए भूमिपूजन और शिलान्यास किया. इसमें सर्व धर्म सभा भी शामिल है. इस मौके पर लोक सभा के अध्यक्ष ओम बिरला, राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश, टाटा ट्रस्ट के रतन टाटा और विभिन्न धर्मों के धर्म गुरू मौजूद रहे.  लगभग 971 करोड़ रुपये की लागत के साथ नए संसद भवन का निर्माण 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है. हालांकि, अभी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाएगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी याचिकाओं पर अपने अंतिम फैसले तक निर्माण, तोड़-फोड़ या पेड़ों को हटाने पर रोक लगा दी है. संसद के नए भवन की डिजाइन अहमदाबाद की फर्म मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है और इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा.

संसद के नए भवन में क्या खास होगा

संसद का नया भवन चार मंजिला होगा. लगभग 64 हजार 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले इस भवन का निर्माण कार्य आजादी की 75वीं वर्षगांठ (2022) तक पूरा करने का लक्ष्य है. प्रस्तावित नए संसद भवन के लोक सभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. इसमें संयुक्त सत्र के दौरान कुल 1224 सदस्य बैठ सकेंगे. राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. इसमें सभी सांसदों के लिए 40 वर्ग मीटर की जगह उपलब्ध होगी. नए संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को दर्शाया जाएगा. देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकार इस भवन में सांस्कृतिक विविधता को जोड़ेंगे.

संसद का नया भवन क्यों – सरकारी दलील

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संसद का मौजूदा भवन 93 साल पुराना है. इसमें आधुनिक संचार, सुरक्षा और भूकंप रोधी व्यवस्था देना मुश्किल है. इसमें आवश्यक सुधार और व्यवस्थाएं करने पर इसके ढांचे और स्वरूप को नुकसान होने की आशंका है. इसके अलावा संसदीय कामकाज लगातार बढ़ रहा है. यहां कामकाज के लिए जगह की भी कमी बनी हुई है. सांसदों के लिए अलग से बैठने की कोई जगह नही है. आने वाले समय में लोक सभा की सीटों के परिसीमन के बाद सदस्यों की संख्या बढ़ने पर जगह की कमी और बढ़ने का अंदेशा है.

मौजूदा संसद भवन का परिचय

भारत की मौजूदा संसद दुनिया के सबसे भव्य इमारतों में शामिल है. इसे प्रसिद्ध वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और सर हरबर्ट बेकर की निगरानी में बनाया गया था. इसका वास्तु मध्य प्रदेश के मुरैना में 10वीं सदी के बने वृत्ताकार 64 योगिनी मंदिर से प्रेरित माना जाता है. लेकिन इसका कोई लिखित सबूत मौजूद नहीं है. संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी 1921 को द डयूक ऑफ कनॉट ने रखी थी. इसे बनने में छह साल का समय और 83 लाख रुपए की लागत आयी थी. इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी 1927 को किया था. यहां सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली की पहली बैठक 19 जनवरी 1927 को हुई थी.

संसद के मौजूदा भवन की बनावट

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मौजूदा संसद का भवन एक वृहत वृत्ताकार इमारत है, जिसका व्यास 560 फीट है। इसकी परिधि एक तिहाई मील है और इसका क्षेत्रफल लगभग छह एकड़ है. इसके प्रथम तल के खुले बरामदे के किनारे पर क्रीम रंग के बालुई पत्थर के 144 स्तम्भ लगे हुए हैं, जिनकी ऊँचाई 27 फीट है. ये स्तम्भ इस भवन को एक अनूठा आकर्षण और गरिमा प्रदान करते हैं. पूरा संसद भवन लाल बालुई पत्थर की सजावटी दीवार से घिरा है जिसमें लोहे के द्वार लगे हैं, जिनकी संख्या 12 है.

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ऐतिहासिक पलों का साक्षी

मौजूदा संसद का भवन कई ऐतिहासिक पलों का गवाह रहा है. वर्ष 1921 में सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली और काउंसिल ऑफ स्टेट्स की स्थापना के साथ यहीं पर भारतीय विधानमंडल की यात्रा शुरू हुई थी. ब्रिटेन द्वारा भारत को सत्ता का हस्तांतरण भी इसी परिसर में संपन्न हुआ था. भारत का संविधान बनाने वाली संविधान सभा भी संसद के केंद्रीय कक्ष में चली थी. 13 मई 1952 को स्वतंत्र भारत के इतिहास के पहले आम चुनाव से निर्वाचित जन प्रतिनिधियों ने लोक सभा और राज्य सभा के सदस्यों के रूप में पहली बैठक इसी संसद भवन में हुई थी. मौजूदा संसद के भवन का 1975, 2002 और 2017 में विस्तार भी किया गया था.

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पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्य सभा में शून्यकाल के लिए तो कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है.

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Photo credit- Sanjay Singh Twitter

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांड पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल केंद्र सरकार की अब तक की सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, विभिन्न विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य सभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने मंगलवार को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ (Pegasus Project) मीडिया रिपोर्ट पर राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस (Zero Hour notice) दिया है.

वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर (MP Manickam Tagore) ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion notice) का नोटिस दिया है.

सोमवार को, आप सांसद संजय सिंह ने पेगासस स्पाइवेयर से सामने आई जासूसी पर नियम-267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले तीन बार कार्यवाही को रोकना पड़ा था.

गौरतलब है कि रविवार को द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की जासूसी किए जाने का दावा किया गया था. इसके मुताबिक, एक अज्ञात एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों की जासूसी की. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कई समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकार शामिल हैं. ये पत्रकार रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं.

इसके अलावा विपक्ष और सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और मंत्रियों की जासूसी किए जाने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि, केंद्र का कहना है कि इस मामले को सरकार से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस कंपनी पर पेगासस स्पाईवेेयर के जरिए जासूसी करने का आरोप है, वह सरकार के साथ ही मिलकर काम करती है.

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संसद के घेराव से पहले विपक्षी सांसदों को चेतावनी चिट्ठी लिखेगा संयुक्त किसान मोर्चा

किसानों ने 22 जुलाई से संसद का घेराव करने का भी ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इस घेराव आंदोलन में शामिल प्रत्येक किसान संगठन के 5 सदस्य और 200 किसान पूरे मॉनसून सत्र के दौरान संसद का घेराव करेंगे. #Kisanektamorcha #7MonthsOfFarmersProtest

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Photo credit- Facebook Kisan ekta morcha

बीते आठ महीने से केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे किसानों ने आंदोलन तेज करने का फैसला किया है. रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद 8 जुलाई को पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की बढ़ती कीमतों और महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया. संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों और महिलाओं से 8 जुलाई को सुबह दस बजे से बारह बजे तक सड़क के किनारे अपनी गाड़ियों और खाली सिलेंडर लेकर प्रदर्शन करने की अपील की. संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह से सड़क जाम न करने की अपील की है.

गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हो रहा है. इसे देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने संसद में सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति बनाई है. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि 17 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से विपक्षी दलों को ‘चेतावनी पत्र’ लिखा जाएगा. इसमें सांसद से कहा जाएगा कि आप संसद के अंदर किसानों की आवाज उठाएं और सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर करें या फिर अपनी गद्दी छोड़ दें.

इतना ही नहीं, किसानों ने 22 जुलाई से संसद का घेराव करने का भी ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इस घेराव आंदोलन में शामिल प्रत्येक किसान संगठन के 5 सदस्य और 200 किसान पूरे मॉनसून सत्र के दौरान संसद का घेराव करेंगे. इसके लिए पहला जत्था सिंधु बॉर्डर से रवाना होगा. यह प्रदर्शन मानसून सत्र के समापन तक जारी रहेगा.

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संयुक्त किसान मोर्चा ने यूपी और उत्तराखंड में अपना आंदोलन तेज करने का भी फैसला किया है. खास तौर पर चुनावों को देखते हुए इन राज्यों में सितंबर में बड़ा आंदोलन करने की बात कही है.

गौरतलब है कि किसान बीते साल नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. किसान केंद्र सरकार के बनाए तीनों कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने कानूनों को वापस लेने से साफ मना कर चुकी है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कह चुके हैं कि कानून वापसी को छोड़कर किसानों के साथ बाकी सारे मुद्दों पर बात हो सकती है.

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अपने-अपने सदनों में बैठे सांसद, अब कोरोना से पहले की तरह चलेगी संसद

सांसदों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए लोक सभा और राज्य सभा का समय घटाया गया था, इसके अलावा उनके बैठने की जगह में बदलाव किया गया था.

Parliament Rajya Sabha अपने-अपने सदनों में पहुंचे सांसद

संसद के दोनों सदनों – लोक सभा और राज्य सभा- की कार्यवाही 9 मार्च 2021 से पहले के समय के हिसाब से शुरू हो गई. मंगलवार को सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होने के बाद राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने बताया कि बजट सत्र के बाकी हिस्से में सभी सांसद राज्य सभा चैंबर और गैलरी में बैठेंगे. उन्होंने कहा, ‘राज्य सभा चैंबर में 142 सीटें होंगी, जबकि बाकी सदस्य गैलरी में बैठेंगे.’ राज्य सभा की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, सदन की कुल सदस्य संख्या 238 है. लोक सभा में भी ऐसी ही व्यवस्था की गई है.

सांसदों के अनुरोध पर फैसला

विभिन्न दलों से मिले अनुरोध के आधार पर संसद को कोरोना संकट के पहले के समय के हिसाब से चलाने का फैसला किया गया. इसके तहत सुबह 11 बजे से शाम के छह बजे तक के सामान्य समय में दोनों सदनों की कार्यवाही चलेगी. सोमवार को राज्य सभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने और लोक सभा में स्पीकर ओम बिरला ने यह फैसला लिए जाने की जानकारी दी थी.

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत पर हंगामा

बजट सत्र के दूसरे हिस्से की कार्यवाही के दूसरे दिन भी विपक्ष ने राज्य सभा और लोक सभा में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाया और इस पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की. इसकी अनुमति न मिलने पर विपक्षी सांसदों ने विरोध दर्ज कराते हुए दोनों सदनों में नारेबाजी की. इसके चलते दोनों सदनों में कार्यवाही पहले 12 बजे, फिर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. सोमवार को भी विपक्षी दल कांग्रेस ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने की मांग की थी. लेकिन दोनों ही सदनों में इस मांग को नहीं माना गया था. इसके बाद उनके हंगामा करने पर सदनों की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया था.

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बजट सत्र के दूसरे हिस्से के प्रस्तावित काम

बजट सत्र के दूसरे हिस्से में सरकार का ध्यान 2021-22 के लिए अनुदान मांगों और विभिन्न कर प्रस्ताव वाले वित्त विधेयकों को पारित कराने पर होगा. वित्तीय विधेयक पर मार्च 19-22 पर चर्चा होगी. इसके अलावा सरकार ने बजट सत्र के इस हिस्से में विभिन्न विधेयकों को पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है. इसमें पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी संशोधन विधेयक (Pension Fund Regulatory and Development Authority (Amendment) Bill), नेशनल बैंक फॉर फाइनांसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट विधेयक (National Bank for Financing Infrastructure and Development Bill), बिजली संशोधन विधेयक (Electricity (Amendment) Bill) और क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफीशियल डिजिटल करेंसी विधेयक (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill) शामिल हैं.

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केंद्र सरकार नहीं बुलाएगी संसद का शीतकालीन सत्र, फिर चर्चा में आई ‘टू मच डेमोक्रेसी’

केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी को शीतकालीन सत्र न बुलाने की वजह बताई है, जबकि हजारों की संख्या में किसान संसद से पारित कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.

संसद का शीतकालीन सत्र
Photo Credit - PIB

बीते दिनों नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने देश में ‘टू मच डेमोक्रेसी’ होने की शिकायत की थी. उनका कहना था कि देश में लोकतंत्र बहुत ज्यादा है, जिसके चलते सुधारों को लागू करने में परेशानी आ रही है. आज एक बार फिर लोग ‘टू मच डेमोक्रेसी’ हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं. इसकी वजह केंद्र सरकार का इस बार संसद का शीतकालीन सत्र न बुलाने का फैसला है.

संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने इसकी जानकारी देते हुए लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को चिट्ठी लिखी है. इसमें उन्होंने बताया है कि कोरोना संकट को देखते हुए सभी दलों के नेताओं से चर्चा करने के बाद शीतकालीन सत्र को न बुलाने का फैसला किया गया है, सरकार अगला सत्र सीधे जनवरी 2021 में बुलाएगी.

संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने यह भी लिखा है कि जाड़े के महीने में, खास तौर पर दिल्ली में, कोरोना के मामलों में उछाल की वजह से महामारी के लिहाज से यह महीना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, हम अभी दिसंबर के बीच हैं, बहुत ही जल्द वैक्सीन आने की उम्मीद है.

हालांकि,  केंद्र सरकार ने ऐसे वक्त में संसद का सत्र नहीं बुलाने का फैसला किया गया है, जब हजारों की तादाद में किसान केंद्रीय कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर मोर्चा खोले हैं. किसानों के इसी असंतोष को देखते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने के लिए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी लिखी थी. इसी का संदर्भ लेते हुए संसदीय कार्यमंत्री ने जवाब दिया है.

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हालांकि, कांग्रेस ने इसे जवाबदेही से भागने की कोशिश बताया है. पार्टी ने ट्विटर पर लिखा, ‘मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र को रद्द कर जवाबदेही, जिम्मेदारी से भाग रही है. अन्नदाता सड़कों पर संघर्ष कर रहा है, बिल वापस लेने की फरियाद कर रहा है. लेकिन मोदी सरकार जवाबदेही से भागने के लिये संसद के शीतकालीन सत्र को रद्द कर रही है.’ वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार रही जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोडकर ने ट्विटर पर लिखा, ‘राज्यों के चुनाव हो रहे हैं, बड़ी-बड़ी रैलियां हो रही हैं, संसद को छोड़कर पूरे देश को खोला जा चुका है, बिना सभी दलों से चर्चा किए कानूनों को खत्म किया जा रहा है. निश्चित तौर पर टू मच डेमोक्रेसी है.’

देश में कोरोना के मामले एक करोड़ का आंकड़ा छूने वाले हैं. हालांकि, सरकार का दावा है कि 24 घंटे के दौरान सामने आने वाले मामलों की संख्या में भारी कमी आई है. मंगलवार को 23 हजार नए मामले सामने आए जो अब तक की सबसे कम संख्या है.

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