विवादित कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीत गतिरोध बना हुआ है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘अगर किसान संगठन कृषि कानूनों को छोड़कर अन्य विकल्पों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, तो सरकार उनसे बात करने के लिए तैयार हैं।’ पिछले महीने कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था, जिसमें मांगें मान लेने पर आंदोलन खत्म करने की बात कही गई थी।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बीते साल 5 जून को अध्यादेश के जरिए तीन कृषि कानूनों को लागू किया था, जिसे सितंबर में संसद की मंजूरी मिल गई थी। इसके खिलाफ बीते साल नवंबर से अलग-अलग किसान संगठन दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। इन किसान संगठनों के साथ केंद्र सरकार की कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी।
किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार ने इन तीनों कृषि कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र और किसानों को निजी क्षेत्र की मर्जी पर छोड़ने का कदम बढ़ाया है। उनका यह भी कहना है कि इन कानूनों ने अनाज की सरकारी खरीद की मौजूदा व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी, जिसे आधार बनाकर बाद में सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की मौजूदा खरीद को बंद कर देगी।
हालांकि, केंद्र सरकार लगातार इन आशंकाओं को बेबुनियाद बताती रही है। इस दौरान उसने कानूनों में कई बदलाव के प्रस्ताव भी रखे हैं। लेकिन किसान इतने पर राजी नहीं हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों पर रोक भी लगा दी है। लेकिन किसान इसे खतरे को कुछ दिन के लिए टालने वाला कदम मान रहे हैं।