Connect with us

Hi, what are you looking for?

संसदीय समाचार

संसद में उठा सांसद मोहन देलकर की खुदकुशी का मुद्दा, स्पीकर से मिले सांसद

दादर-नगर हवेली से सातवीं बार लोक सभा पहुंचे सांसद मोहन देलकर ने फरवरी में खुदकुशी कर ली थी. इससे पहले उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर परेशान करने के आरोप लगाए थे.

Dadra & Nagar Haveli, MP Mohan Delkar,Lok Sabha Speaker,मोहन देलकर
Photo credit- NCP in Parliament twitter

दादर-नगर हवेली से सात बार के सांसद मोहन देलकर (MP Mohan Delkar) की खुदकुशी का मुद्दा बुधवार को संसद में उठा. लोक सभा में शिवसेना सांसद विनायक राउत (Vinayak Raut) ने कहा, ‘मोहन देलकर, जो संसद में 35 साल तक सदस्य रहे, को खुदकुशी करके इसलिए जान देनी पड़ी क्योंकि उन्हें प्रशासन और अधिकारियों की ओर से परेशान किया गया. अगर आप उनके सुसाइड नोट को पढ़ें तो आप पाएंगे कि उन्हें दादर-नगर हवेली के प्रशासन और अधिकारियों ने प्रताड़ित किया था.’

दोषी अफसरों पर कार्रवाई की मांग

सांसद विनायक राउत ने आगे कहा, ‘मेरा आपके माध्यम से प्रधानमंत्री से विनती है कि मोहन देलकर जी की आत्महत्या के लिए जो भी कारण हैं, जो जिम्मेदार हैं, वहां के प्रशासक, एसपी और कलेक्टर को सस्पेंड करें और उनके ऊपर (आईपीसी की धारा) 304 (Punishment for culpable homicide not amounting to murder) के तहत कार्रवाई करें. उनके ऊपर फौजदारी कार्रवाई होनी चाहिए. मोहन देलकर जी की मृत्यु को न्याय देने की आवश्यकता है.’

सांसद मोहन देलकर की खुदकुशी के मामले को नालंदा से सांसद कौशलेंद्र कुमार ने भी उठाया. उन्होंने कहा, ‘उनकी मौत के बारे में 16 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा गया है. उसमें वहां के प्रशासक सहित लगभग एक दर्जन अधिकारियों के नाम हैं….उसको मंगवाकर देखना चाहिए. हम लोग जनप्रतिनिधि हैं. अपमान किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए निंदनीय और उसकी गरिमा के खिलाफ है.’ उन्होंने कहा कि जब जनप्रतिनिधि ही सुरक्षित नहीं हैं तो जनता कैसे सुरक्षित रहेगी. सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा, ‘हमारी एक ही मांग है कि उनको जिस प्रशासक द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, उस प्रशासक को तत्काल वहां से हटाया जाए.’

ये भी पढ़ें -  सांसद शशि थरूर ने कहा, 4200 करोड़ खर्च, फिर भी असुविधा दे रहा इनकम टैक्स का नया पोर्टल

स्पीकर से मिले विपक्षी सांसद

इस मामले की जांच कराने की मांग के साथ बुधवार को विपक्षी दलों के सांसदों ने लोक सभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की. इनमें कांग्रेस सांसद और सदन में नेता अधीर रंजन चौधरी, शिवसेना सांसद विनायक राउत, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव, नेशनल कान्फ्रेंस के सांसद फारूख अब्दुल्ला, टीएमसी सांसद सौगत रॉय, सांसद अरविंद सावंत और बसपा सांसद राम शिरोमणि वर्मा, सांसद रितेश पांडे, सांसद श्रीनिवास पाटिल, सांसद अनुभव मोहंती अन्य सांसद शामिल रहे.

लोक सभा स्पीकर को सौंपा मांग पत्र 

सांसदों ने लोक सभा स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र भी सौंपा. इसमें सितंबर 2020 में लोक सभा में सांसद मोहन देलकर द्वारा की गई शिकायत की जांच संसद की विशेषाधिकार समिति को सौंपने की मांग की गई है. अपने पत्र में सांसदों ने यह भी कहा है कि विशेषाधिकार समिति की जांच से महाराष्ट्र सरकार की ओर से गठित एसआईटी की जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

महाराष्ट्र सरकार ने एसआईटी को जांच सौंपी

मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने लोकसभा सदस्य मोहन देलकर की खुदकुशी की जांच विशेष जांच टीम (एसआईटी) को सौंपने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था, ‘देलकर ने अपने सुसाइड नोट में कहा था कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और वह प्रफुल्ल पटेल के दबाव में हैं, जो दादरा व नगर हवेली के प्रशासक हैं.’ गृह मंत्री अनिल देशमुख ने यह भी कहा कि देलकर ने अपने सुसाइड नोट में यह भी जिक्र किया है कि उन्हें पटेल से उनका सामाजिक जीवन खत्म होने की धमकी मिल रही थी. इस मामले में मुंबई पुलिस ने दादर-नगर हवेली के प्रशासन प्रफुल्ल के पटेल के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

ये भी पढ़ें -  केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक टुकड़े-टुकड़े गैंग से जुड़ा कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का बयान बेबुनियाद है

मुंबई के होटल में मिला था सांसद का शव

दादर व नगर हवेली से सात बार लोक सभा के लिए चुने गए मोहन देलकर का शव 22 फरवरी को मुंबई एक होटल में मिला था. पुलिस ने उनके शव के पास से एक सुसाइड नोट बरामद किया था. इसमें कई नेताओं और अधिकारियों पर उनको प्रताड़ित करने के आरोप लगाए जाने की बात कही जा रही है. आदिवासी समुदाय से आने वाले सांसद मोहन देलकर ने सितंबर 2020 में मानसून सत्र के दौरान लोक सभा में कहा था कि स्थानीय प्रशासन उन्हें प्रताड़ित कर रहा है.
यह भी पढ़ें- एक सांसद की खुदकुशी

संसदीय समाचार

नियम 255 के तहत तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य राज्य सभा से निलंबित

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

पेगासस, राज्य सभा

राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को पेगासस जासूसी विवाद को लेकर आसन के सामने तख्तियां लेकर एकत्रित होने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को सदन से पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया.

बुधवार की सुबह कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस स्वीकार करने और अन्य नोटिस खारिज करने की जानकारी दी. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर पेगासस जासूसी विवाद पर चर्चा की मांग करने लगे. इस दौरान कई सदस्य आसन के सामने आ गए.

सभापति ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. उन्होंने कहा कि जो सदस्य आसन के समक्ष आए हैं और तख्तियां दिखा रहे हैं, उनके नाम नियम 255 के तहत प्रकाशित किए जाएंगे और उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.

सभापति की चेतावनी के बावजूद शोर-शराबा जारी रहा. इसके बाद सभापति ने आसन की अवज्ञा कर रहे सदस्यों से नियम 255 के तहत सदन से बाहर चले जाने के लिए कहा. उन्होंने स्वयं किसी सदस्य का नाम नहीं लिया, लेकिन राज्य सभा सचिवालय से इन सदस्यों के नाम देने का निर्देश दिया.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, बाद में संसदीय बुलेटिन में बताया गया कि जिन छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया है उनमें तृणमूल की डोला सेन, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांता छेत्री, अर्पिता घोष एवं मौसम नूर शामिल हैं.

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया और आज सुबह उनका आचरण पूरी तरह से अनुचित था. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

ये भी पढ़ें -  राहुल गांधी ने क्यों आरएसएस को कभी संघ परिवार न कहने की बात कही है?

गौरतलब है कि नियम 255 के तहत नाम लिए जाने पर सदस्यों को पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया जाता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

संसदीय समाचार

‘सरकार ने विश्वासघात किया है’

19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसीकांड पर चर्चा के साथ ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

पेगासस, जासूसी, सरकार,
Photo credit- Twitter

संसद में जासूसी सॉफ्टवेयर या स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी (pegasus snoopgate) किए जाने के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है. प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक करने के बाद इस पर सदन में चर्चा करने की मांग उठाई है। बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोक सभा सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल लोकतंत्र की आत्मा पर चोट करना है और इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए.

प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सांसद राहुल गांधी ने दावा किया कि सरकार ने पेगासस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी आवाज को संसद में दबाया जा रहा है. हमारा सिर्फ यह सवाल है कि क्या भारत सरकार ने पेगासस को खरीदा?…हां या ना? क्या सरकार ने अपने ही लोगों पर पेगासस हथियार का इस्तेमाल किया ?… हां या ना?’

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक,  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘कहा जा रहा है कि हम संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं. हम संसद को बाधित नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ विपक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी पूरा करना चाह रहे हैं. इस हथियार का उपयोग देश के खिलाफ किया गया है.’

राहुल गांधी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से पूछना चाहते हैं कि इसका इस्तेमाल लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ क्यों किया गया? पेगासस का मामला राष्ट्रवाद का मामला है। मेरे लिए यह निजता का मामला नहीं है। नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह ने देश के लोकतंत्र की आत्मा पर चोट मारी है। इसलिए हम इस पर चर्चा चाहते हैं।’

ये भी पढ़ें -  संसद की उत्पादकता को मापने का पैमाना क्या है?

समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि संसद की कार्यवाही नहीं चलने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, पेगासस के मुद्दे पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. वहीं, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. सरकार को खुद आगे आकर कहना चाहिए कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. सरकार ने विश्वासघात किया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह पहली बार नहीं हो रहा है कि संसद की कार्यवाही नहीं चल रही है. अगर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात नहीं करना चाहती है तो फिर किस पर करना चाहती है.’

बुधवार को संवाददाता सम्मेलन से पहले विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक मार्च किया। इस दौरान उन्होंने पेगासस पर चर्चा के लिए हाथ में तख्तियां ले रखी थीं। पेगासस स्पाईवेयर मोबाइल के जरिए जासूसी करता है.

पिछले दिनों नेताओं से लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की इस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी करने की खबरें आई थीं। इसमें सत्ता पक्ष के भी कई नेताओं के शामिल शामिल हैं।

इससे पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में विपक्षी दलों की बैठक हुई. इस बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, शिवसेना के संजय राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा और कई अन्य दलों के नेता मौजूद रहे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. 19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सरकार के राजी होने पर ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

संसद

पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्य सभा में शून्यकाल के लिए तो कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है.

पेगासस प्रोजेक्ट, स्पाईवेयर, संसद, आम आदमी पार्टी,
Photo credit- Sanjay Singh Twitter

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांड पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल केंद्र सरकार की अब तक की सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, विभिन्न विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य सभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने मंगलवार को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ (Pegasus Project) मीडिया रिपोर्ट पर राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस (Zero Hour notice) दिया है.

वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर (MP Manickam Tagore) ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion notice) का नोटिस दिया है.

सोमवार को, आप सांसद संजय सिंह ने पेगासस स्पाइवेयर से सामने आई जासूसी पर नियम-267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले तीन बार कार्यवाही को रोकना पड़ा था.

गौरतलब है कि रविवार को द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की जासूसी किए जाने का दावा किया गया था. इसके मुताबिक, एक अज्ञात एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों की जासूसी की. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कई समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकार शामिल हैं. ये पत्रकार रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं.

इसके अलावा विपक्ष और सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और मंत्रियों की जासूसी किए जाने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि, केंद्र का कहना है कि इस मामले को सरकार से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस कंपनी पर पेगासस स्पाईवेेयर के जरिए जासूसी करने का आरोप है, वह सरकार के साथ ही मिलकर काम करती है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

ये भी पढ़ें -  राहुल गांधी ने क्यों आरएसएस को कभी संघ परिवार न कहने की बात कही है?

संसदीय समाचार

संसद के मानसून सत्र का पहला दिन, विपक्ष ने उठाए जनता से जुड़े अहम मुद्दे

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने महंगाई और केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को लेकर हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

संसद, मानसून सत्र, कृषि कानून

केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक विरोध जारी है. संसद में मानसून सत्र के पहले दिन राज्य सभा में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ आवाज उठाई, जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इससे पहले दिवंगत वर्तमान सदस्यों रघुनाथ महापात्र और राजीव सातव के सम्मान में उच्च सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए स्थगित किया गया था. इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले डेढ़ साल से देश की जनता अनिश्चितता के माहौल में जी रही है और कोई नहीं जानता कि यह सब कब तक चलेगा.

उपराष्ट्रपति के संबोधन के बाद प्रधानमंत्री ने सदन में प्रवेश किया. विपक्षी दलों के हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रधानमंत्री को अपनी मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों का परिचय कराने के लिए कहा. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट पहुंच कर नारेबाजी करने लगे. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

इस हंगामे के कारण प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय नहीं करा पाए और उन्होंने नये मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रख दिया.

विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

ये भी पढ़ें -  सांसद शशि थरूर ने कहा, 4200 करोड़ खर्च, फिर भी असुविधा दे रहा इनकम टैक्स का नया पोर्टल