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संसदीय समाचार

संयुक्त सत्र बुलाइए, कानूनों को वापस लीजिए, किसान वापस नहीं जाने वाला है : राहुल गांधी

लोक सभा सदस्य राहुल गांधी की ओर से लगाए गए आरोपों के जवाब में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि किसान तो वापस लौट जाएंगे, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता नहीं लौटेंगे.

किसान आंदोलन कृषि कानूनों को वापस लो

संसद से पारित तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग के समर्थन में अब विपक्ष भी मुखर हो रहा है. गुरुवार को कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और तीनों कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने की मांग की. कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में राष्ट्रपति से मिलने जा रहे थे. लेकिन पुलिस ने धारा-144 के आधार पर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया. सिर्फ राहुल गांधी समेत तीन नेताओं को राष्ट्रपति से मिलने के लिए जाने की इजाजत दी.

राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपने के बाद लोक सभा सदस्य और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मीडिया को संबोधित किया. उन्होंने कहा, ‘हम किसान की आवाज राष्ट्रपति तक लेकर गए हैं, सर्दी का मौसम है, पूरा देश देख रहा है कि किसान दुख में हैं, दर्द में हैं और मर भी रहे हैं. प्रधानमंत्री को सुनना ही होगा.” राहुल गांधी ने कहा, ‘जो कानून बनाए गए हैं, वे किसान विरोधी कानून हैं, इससे किसानों का जबरदस्त नुकसान होने वाला है, सरकार ने कहा था कि यह कानून किसान के हित में है, देश को दिख रहा है कि किसान कानून के खिलाफ खड़ा है.’

‘किसान वापस नहीं जाएंगें’

लोक सभा सदस्य राहुल गांधी ने यह भी कहा, ‘प्रधानमंत्री को यह नहीं सोचना चाहिए कि किसान और मजदूर घर चले जाएंगे. जब तक ये कानून वापस नहीं लिए जाएंगे, ये लोग नहीं जाएंगे. संयुक्त सत्र बुलाइए और इन क़ानूनों को एकदम वापस लीजिए, क्योंकि किसान नहीं जाने वाला है.’

कांग्रेस सांसद ने कृषि कानूनों को संसद से पारित कराने के तरीके पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘हम सब और विपक्ष की सभी पार्टियां किसानों और मजदूरों के साथ खड़े हैं और खड़े रहेंगे. जिस प्रकार से ये कानून पास किए गए, वो भी गलत है. बिना डिबेट किए, बिना किसानों और मजदूरों से चर्चा किए, ये कानून ऊपर से थोप दिए गए हैं.’ संसद के मानसून सत्र में कृषि अध्यादेशों की जगह लेने वाले विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कराया गया था. इन्हीं कानूनों के खिलाफ हजारों किसान इस समय दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर धरना दे रहे हैं.

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‘कृषि कानूनों को वापस न लेने में देश का नुकसान’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘मैंने कोरोना के बारे में बोला था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. फिर चेता रहा हूं. किसान के सामने, मजदूर के सामने कोई भी शक्ति नहीं खड़ी हो सकती है, अगर प्रधानमंत्री जी ने कानून वापस नहीं लिये तो सिर्फ़ बीजेपी को नहीं, सिर्फ आरएसएस को नहीं, देश को नुकसान होने जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि बीजेपी और प्रधानमंत्री सिर्फ अपने आसपास दो-चार क्रोनी कैपटलिस्ट के लिए पैसे बनाने का काम करते हैं.

राहुल गांधी ने यह भी कहा, ‘जो भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े होते हैं, उनके खिलाफ कुछ न कुछ गलत बोलते हैं. किसान खड़े हो जाएं तो उन्हें आतंकवादी बोलते हैं, मजदूर खड़े हो जाएं तो उन्हें आतंकवादी बोल देंगे. अगर मोहन भागवत खड़े हो जाएं तो उन्हें भी आतंकवादी बोल देंगे.’ उन्होंने यह भी कहना कि भारत में लोकतंत्र नहीं है, बल्कि यह अब सिर्फ कल्पनाओं में बचा है.

‘अमीर मित्रों की मदद कर रहे हैं’

लोक सभा सदस्य राहुल गांधी ने कहा, ‘वे गरीबों की जेब से पैसे निकालकर अपने अमीर मित्रों को सौंप रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि उन्हें और उनकी पार्टी के नेताओं को कहीं पर आने-जाने नहीं दिया जा रहा है, यहां सांसदों तक को बाहर नहीं निकलने देते हैं, फिर कहते हैं कि सब ठीक है. उन्होंने कहा, ‘आपने दो-तीन लोगों की मदद करनी है, कर सकते हैं, लेकिन जिस तरह से मोदी जी कर रहे हैं उससे देश के किसी युवा को रोजगार नहीं मिलेगा.’

राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘एक बात आप भूल रहे हो,चीन हमारे बार्डर पर बैठा है. चीन ने हिंदुस्तान की हजारों किलोमीटर जमीन छीन ली है. प्रधानमंत्री उस बारे में क्यों कुछ नहीं कहते? चुप क्यों हैं?’

‘किसान अपना आंदोलन खत्म कर देंगे, कांग्रेस कार्यकर्ता नहीं’

कांग्रेस के इन आरोपों के जवाब में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि बातचीत के बाद किसान अपना आंदोलन खत्म कर देंगे. किसानों के आंदोलन से पीछे न हटने के राहुल गांधी के दावे पर कैलाश चौधरी ने कहा, ‘कांग्रेस के कार्यकर्ता अपना आंदोलन नहीं खत्म करेंगे, लेकिन किसान कर देंगे. हम किसानों से बातचीत कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल उन्हें उकसा रहे हैं.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘राहुल गांधी नहीं चाहते हैं कि आंदोलन खत्म हो जाए. हमारा दावा है कि कानून किसानों के हित में हैं. किसान इसके समर्थन में चिट्ठियां लेकर आ रहे हैं. यहां तक कि किसान कह रहे है कि अगर इन कानूनों को खत्म किया गया तो वे धरने पर बैठ जाएंगे.’

बातचीत से विवाद सुलझाने की कोशिश

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संसद के मानसून सत्र में मौजूदा मंडी व्यवस्था के बाहर निशुल्क निजी मंडी बनाने, आवश्यक वस्तु अधिनियम से कृषि उत्पादों को बाहर करने वाले संशोधन और कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग को मंजूरी देने वाले विधेयक पारित किए गए थे. किसानों का कहना है कि इन कानूनों से उन्हें नहीं, बल्कि कॉरपोरेट्स को फायदा होगा और इससे आने वाले समय में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी खरीद खत्म हो जाएगी, इसलिए तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए. किसान एमएसपी को कानूनी गारंटी देने की भी मांग कर रहे हैं. हालांकि, सरकार इस आशंका को बेबुनियाद बता रही है. फिलहाल किसानों से बातचीत के प्रयास जारी हैं.

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नियम 255 के तहत तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य राज्य सभा से निलंबित

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

पेगासस, राज्य सभा

राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को पेगासस जासूसी विवाद को लेकर आसन के सामने तख्तियां लेकर एकत्रित होने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को सदन से पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया.

बुधवार की सुबह कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस स्वीकार करने और अन्य नोटिस खारिज करने की जानकारी दी. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर पेगासस जासूसी विवाद पर चर्चा की मांग करने लगे. इस दौरान कई सदस्य आसन के सामने आ गए.

सभापति ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. उन्होंने कहा कि जो सदस्य आसन के समक्ष आए हैं और तख्तियां दिखा रहे हैं, उनके नाम नियम 255 के तहत प्रकाशित किए जाएंगे और उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.

सभापति की चेतावनी के बावजूद शोर-शराबा जारी रहा. इसके बाद सभापति ने आसन की अवज्ञा कर रहे सदस्यों से नियम 255 के तहत सदन से बाहर चले जाने के लिए कहा. उन्होंने स्वयं किसी सदस्य का नाम नहीं लिया, लेकिन राज्य सभा सचिवालय से इन सदस्यों के नाम देने का निर्देश दिया.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, बाद में संसदीय बुलेटिन में बताया गया कि जिन छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया है उनमें तृणमूल की डोला सेन, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांता छेत्री, अर्पिता घोष एवं मौसम नूर शामिल हैं.

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया और आज सुबह उनका आचरण पूरी तरह से अनुचित था. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

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गौरतलब है कि नियम 255 के तहत नाम लिए जाने पर सदस्यों को पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया जाता है.

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‘सरकार ने विश्वासघात किया है’

19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसीकांड पर चर्चा के साथ ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

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Photo credit- Twitter

संसद में जासूसी सॉफ्टवेयर या स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी (pegasus snoopgate) किए जाने के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है. प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक करने के बाद इस पर सदन में चर्चा करने की मांग उठाई है। बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोक सभा सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल लोकतंत्र की आत्मा पर चोट करना है और इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए.

प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सांसद राहुल गांधी ने दावा किया कि सरकार ने पेगासस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी आवाज को संसद में दबाया जा रहा है. हमारा सिर्फ यह सवाल है कि क्या भारत सरकार ने पेगासस को खरीदा?…हां या ना? क्या सरकार ने अपने ही लोगों पर पेगासस हथियार का इस्तेमाल किया ?… हां या ना?’

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक,  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘कहा जा रहा है कि हम संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं. हम संसद को बाधित नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ विपक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी पूरा करना चाह रहे हैं. इस हथियार का उपयोग देश के खिलाफ किया गया है.’

राहुल गांधी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से पूछना चाहते हैं कि इसका इस्तेमाल लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ क्यों किया गया? पेगासस का मामला राष्ट्रवाद का मामला है। मेरे लिए यह निजता का मामला नहीं है। नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह ने देश के लोकतंत्र की आत्मा पर चोट मारी है। इसलिए हम इस पर चर्चा चाहते हैं।’

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समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि संसद की कार्यवाही नहीं चलने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, पेगासस के मुद्दे पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. वहीं, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. सरकार को खुद आगे आकर कहना चाहिए कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. सरकार ने विश्वासघात किया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह पहली बार नहीं हो रहा है कि संसद की कार्यवाही नहीं चल रही है. अगर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात नहीं करना चाहती है तो फिर किस पर करना चाहती है.’

बुधवार को संवाददाता सम्मेलन से पहले विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक मार्च किया। इस दौरान उन्होंने पेगासस पर चर्चा के लिए हाथ में तख्तियां ले रखी थीं। पेगासस स्पाईवेयर मोबाइल के जरिए जासूसी करता है.

पिछले दिनों नेताओं से लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की इस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी करने की खबरें आई थीं। इसमें सत्ता पक्ष के भी कई नेताओं के शामिल शामिल हैं।

इससे पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में विपक्षी दलों की बैठक हुई. इस बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, शिवसेना के संजय राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा और कई अन्य दलों के नेता मौजूद रहे.

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पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. 19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सरकार के राजी होने पर ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

संसद

पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्य सभा में शून्यकाल के लिए तो कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है.

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Photo credit- Sanjay Singh Twitter

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांड पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल केंद्र सरकार की अब तक की सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, विभिन्न विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य सभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने मंगलवार को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ (Pegasus Project) मीडिया रिपोर्ट पर राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस (Zero Hour notice) दिया है.

वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर (MP Manickam Tagore) ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion notice) का नोटिस दिया है.

सोमवार को, आप सांसद संजय सिंह ने पेगासस स्पाइवेयर से सामने आई जासूसी पर नियम-267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले तीन बार कार्यवाही को रोकना पड़ा था.

गौरतलब है कि रविवार को द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की जासूसी किए जाने का दावा किया गया था. इसके मुताबिक, एक अज्ञात एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों की जासूसी की. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कई समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकार शामिल हैं. ये पत्रकार रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं.

इसके अलावा विपक्ष और सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और मंत्रियों की जासूसी किए जाने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि, केंद्र का कहना है कि इस मामले को सरकार से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस कंपनी पर पेगासस स्पाईवेेयर के जरिए जासूसी करने का आरोप है, वह सरकार के साथ ही मिलकर काम करती है.

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संसद के मानसून सत्र का पहला दिन, विपक्ष ने उठाए जनता से जुड़े अहम मुद्दे

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने महंगाई और केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को लेकर हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

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केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक विरोध जारी है. संसद में मानसून सत्र के पहले दिन राज्य सभा में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ आवाज उठाई, जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इससे पहले दिवंगत वर्तमान सदस्यों रघुनाथ महापात्र और राजीव सातव के सम्मान में उच्च सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए स्थगित किया गया था. इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले डेढ़ साल से देश की जनता अनिश्चितता के माहौल में जी रही है और कोई नहीं जानता कि यह सब कब तक चलेगा.

उपराष्ट्रपति के संबोधन के बाद प्रधानमंत्री ने सदन में प्रवेश किया. विपक्षी दलों के हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रधानमंत्री को अपनी मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों का परिचय कराने के लिए कहा. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट पहुंच कर नारेबाजी करने लगे. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

इस हंगामे के कारण प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय नहीं करा पाए और उन्होंने नये मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रख दिया.

विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

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