Connect with us

Hi, what are you looking for?

संसदीय समाचार

राज्य सभा सांसद और कांग्रेस के संकट मोचक अहमद पटेल के निधन पर पक्ष-विपक्ष सबने शोक जताया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का मंगलवार को देर रात कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान निधन हो गया. वे 71 वर्ष के थे और लगातार पांचवीं बार गुजरात से राज्य सभा में प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

Photo credit- ANI

असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बाद राज्य सभा सांसद और कांग्रेस के संकट मोचक अहमद पटेल का कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान निधन हो गया. उनके निधन पर पार्टी के नेताओं से लेकर पक्ष-विपक्ष दूसरे सभी लोगों ने गहरा शोक जताया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने शोक संदेश में उन्हें ‘दक्ष सांसद’ बताया. ट्विटर पर उन्होंने लिखा, “श्री पटेल में रणनीतिकार के कौशल और जननेता के आकर्षण का मेल था. उनके मिलनसार स्वभाव ने पार्टी के भीतर-बाहर सभी जगह अच्छे दोस्त बनाए.”

उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा, “राज्य सभा सांसद के निधन की खबर सुनकर गहरा दुख हुआ. वे एक सक्षम सांसद थे और उनके राजनीति में सभी नेताओं के मित्रतापूर्ण संबंध थे. लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने भी अहमद पटेल के निधन पर शोक जताया. ट्विटर पर उन्होंने, “वरिष्ठ राजनेता और राज्य सभा सांसद अहमद पटेल का निधन दुखद है. वे एक ऐसे नेता थे, जिनके सभी के साथ मधुर संबंध थे. उनके निधन से खाली हुई जगह को भर पाना मुश्किल है.” पीड़ित परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं हैं.” बीजेपी के पूर्व पार्टी उपाध्यक्ष प्रभात झा ने उन्हें कांग्रेस का सच्चा सिपाही बताया.

राज्य सभा सांसद अहमद पटेल के निधन पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष, अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने गहरा शोक जताया. ट्विटर पर बसपा प्रमुख मायावती ने लिखा, “वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व देश की राजनीति का जाना-पहचाना नाम श्री अहमद पटेल के आज सुबह निधन की खबर अति-दुःखद. उनके परिवार व मित्रों के प्रति मेरी गहरी संवेदना. उनका व्यक्तित्व बहुत सादा व काफी मिलनसार था. भारतीय राजनीति में उनकी गहरी छाप को हमेशा अच्छी नजर से देखा व याद किया जाएगा.”

ये भी पढ़ें -  जेंडर गैप इंडेक्स में भारत 28 स्थान लुढ़क गया, मगर सरकार क्या वजह मानती है?

अहमद पटेल के निधन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ सत्ता पक्ष के दूसरे नेताओं ने भी शोक जताया है. ट्विटर पर गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा, “कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल जी के निधन की सूचना अत्यंत दुःखद है. अहमद पटेल जी का कांग्रेस पार्टी और सार्वजनिक जीवन में बड़ा योगदान रहा. मैं दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं.” केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने भी शोक जताया.

कांग्रेस ने अपने  वरिष्ठ नेता के निधन पर देश में अपने सभी कार्यालयों पर पार्टी के झंडे को आधा झुकाकर लगाने का फैसला किया है. पार्टी ने अपने बयान में कहा, ‘पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अहमद पटेल के निधन से देश भर में कांग्रेस के कार्यकर्ता दुखी हैं और सभी शोक की इस घड़ी में एक साथ हैं.’ कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘हमारे पास शब्द ही नहीं हैं. श्री अहमद पटेल का असमय निधन कांग्रेस पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है.’

पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, ‘अहमद जी न केवल बुद्धिमान और अनुभवी सहयोगी थे, जिनसे मैं अक्सर सलाह लेती थी, वे ऐसे मित्र थे जो हर हाल में हमारे साथ पूरी मजबूती से खड़े रहे. उनके निधन ने बहुत बड़ा शून्य पैदा कर दिया है.’ कांगेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीटर पर लिखा, ‘बहुत दुखद दिन है. श्री अहमद पटेल कांग्रेस पार्टी के एक स्तंभ थे. उन्होंने कांग्रेस पार्टी को जिया और उसमें सांस ली और पार्टी के साथ मुश्किल से भी मुश्किल समय में खड़े रहे. वे अमूल्य धरोहर थे. हम उनकी कमी महसूस करेंगे. फैसल, मुमताज और परिवार को मेरा प्यार और संवेदनाएं.’  कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लिखा, ‘अहमद पटेल ऐसे साथी थे, जिनकी कोई जगह नहीं ले सकता था. वे समर्पित सहयोगी थे. परिवार और दोस्तों के साथ मेरी संवेदनाएं.’ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अहमद पटेल के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया.

ये भी पढ़ें -  संसद के मानसून सत्र का पहला दिन, विपक्ष ने उठाए जनता से जुड़े अहम मुद्दे

21 अगस्त 1949 को जन्मे अहमद पटेल 71 साल के थे. वे 1993 से लगातार राज्य सभा के सांसद रहे. साल 2017 में पांचवी बार राज्य सभा के चुनाव में सत्ता पक्ष की किलेबंदी को तोड़कर राज्य सभा पहुंचने में सफल रहे. 1991 में जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी में शामिल किया गया और 1996 में पार्टी के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई. इससे पहले राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्हें संसदीय सचिव बनाया गया. उन्होंने 1977 में लोक सभा का चुनाव जीता और 26 साल में युवा सांसद होने का भी रिकॉर्ड बनाया.

Advertisement. Scroll to continue reading.

संसदीय समाचार

नियम 255 के तहत तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य राज्य सभा से निलंबित

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

पेगासस, राज्य सभा

राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को पेगासस जासूसी विवाद को लेकर आसन के सामने तख्तियां लेकर एकत्रित होने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को सदन से पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया.

बुधवार की सुबह कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस स्वीकार करने और अन्य नोटिस खारिज करने की जानकारी दी. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर पेगासस जासूसी विवाद पर चर्चा की मांग करने लगे. इस दौरान कई सदस्य आसन के सामने आ गए.

सभापति ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. उन्होंने कहा कि जो सदस्य आसन के समक्ष आए हैं और तख्तियां दिखा रहे हैं, उनके नाम नियम 255 के तहत प्रकाशित किए जाएंगे और उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.

सभापति की चेतावनी के बावजूद शोर-शराबा जारी रहा. इसके बाद सभापति ने आसन की अवज्ञा कर रहे सदस्यों से नियम 255 के तहत सदन से बाहर चले जाने के लिए कहा. उन्होंने स्वयं किसी सदस्य का नाम नहीं लिया, लेकिन राज्य सभा सचिवालय से इन सदस्यों के नाम देने का निर्देश दिया.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, बाद में संसदीय बुलेटिन में बताया गया कि जिन छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया है उनमें तृणमूल की डोला सेन, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांता छेत्री, अर्पिता घोष एवं मौसम नूर शामिल हैं.

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया और आज सुबह उनका आचरण पूरी तरह से अनुचित था. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

ये भी पढ़ें -  राज्य सभा में किसान आंदोलन पर नियम 267 के तहत चर्चा की मांग खारिज, नाराज विपक्ष का वॉकआउट

गौरतलब है कि नियम 255 के तहत नाम लिए जाने पर सदस्यों को पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया जाता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

संसदीय समाचार

‘सरकार ने विश्वासघात किया है’

19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसीकांड पर चर्चा के साथ ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

पेगासस, जासूसी, सरकार,
Photo credit- Twitter

संसद में जासूसी सॉफ्टवेयर या स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी (pegasus snoopgate) किए जाने के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है. प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक करने के बाद इस पर सदन में चर्चा करने की मांग उठाई है। बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोक सभा सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल लोकतंत्र की आत्मा पर चोट करना है और इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए.

प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सांसद राहुल गांधी ने दावा किया कि सरकार ने पेगासस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी आवाज को संसद में दबाया जा रहा है. हमारा सिर्फ यह सवाल है कि क्या भारत सरकार ने पेगासस को खरीदा?…हां या ना? क्या सरकार ने अपने ही लोगों पर पेगासस हथियार का इस्तेमाल किया ?… हां या ना?’

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक,  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘कहा जा रहा है कि हम संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं. हम संसद को बाधित नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ विपक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी पूरा करना चाह रहे हैं. इस हथियार का उपयोग देश के खिलाफ किया गया है.’

राहुल गांधी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से पूछना चाहते हैं कि इसका इस्तेमाल लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ क्यों किया गया? पेगासस का मामला राष्ट्रवाद का मामला है। मेरे लिए यह निजता का मामला नहीं है। नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह ने देश के लोकतंत्र की आत्मा पर चोट मारी है। इसलिए हम इस पर चर्चा चाहते हैं।’

ये भी पढ़ें -  राज्य सभा में किसान आंदोलन पर नियम 267 के तहत चर्चा की मांग खारिज, नाराज विपक्ष का वॉकआउट

समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि संसद की कार्यवाही नहीं चलने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, पेगासस के मुद्दे पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. वहीं, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. सरकार को खुद आगे आकर कहना चाहिए कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. सरकार ने विश्वासघात किया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह पहली बार नहीं हो रहा है कि संसद की कार्यवाही नहीं चल रही है. अगर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात नहीं करना चाहती है तो फिर किस पर करना चाहती है.’

बुधवार को संवाददाता सम्मेलन से पहले विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक मार्च किया। इस दौरान उन्होंने पेगासस पर चर्चा के लिए हाथ में तख्तियां ले रखी थीं। पेगासस स्पाईवेयर मोबाइल के जरिए जासूसी करता है.

पिछले दिनों नेताओं से लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की इस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी करने की खबरें आई थीं। इसमें सत्ता पक्ष के भी कई नेताओं के शामिल शामिल हैं।

इससे पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में विपक्षी दलों की बैठक हुई. इस बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, शिवसेना के संजय राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा और कई अन्य दलों के नेता मौजूद रहे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. 19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सरकार के राजी होने पर ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

संसद

पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्य सभा में शून्यकाल के लिए तो कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है.

पेगासस प्रोजेक्ट, स्पाईवेयर, संसद, आम आदमी पार्टी,
Photo credit- Sanjay Singh Twitter

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांड पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल केंद्र सरकार की अब तक की सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, विभिन्न विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य सभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने मंगलवार को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ (Pegasus Project) मीडिया रिपोर्ट पर राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस (Zero Hour notice) दिया है.

वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर (MP Manickam Tagore) ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion notice) का नोटिस दिया है.

सोमवार को, आप सांसद संजय सिंह ने पेगासस स्पाइवेयर से सामने आई जासूसी पर नियम-267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले तीन बार कार्यवाही को रोकना पड़ा था.

गौरतलब है कि रविवार को द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की जासूसी किए जाने का दावा किया गया था. इसके मुताबिक, एक अज्ञात एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों की जासूसी की. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कई समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकार शामिल हैं. ये पत्रकार रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं.

इसके अलावा विपक्ष और सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और मंत्रियों की जासूसी किए जाने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि, केंद्र का कहना है कि इस मामले को सरकार से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस कंपनी पर पेगासस स्पाईवेेयर के जरिए जासूसी करने का आरोप है, वह सरकार के साथ ही मिलकर काम करती है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

ये भी पढ़ें -  राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ बजट सत्र शुरू, किसानों के समर्थन में एकजुट हुआ विपक्ष

संसदीय समाचार

संसद के मानसून सत्र का पहला दिन, विपक्ष ने उठाए जनता से जुड़े अहम मुद्दे

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने महंगाई और केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को लेकर हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

संसद, मानसून सत्र, कृषि कानून

केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक विरोध जारी है. संसद में मानसून सत्र के पहले दिन राज्य सभा में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ आवाज उठाई, जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इससे पहले दिवंगत वर्तमान सदस्यों रघुनाथ महापात्र और राजीव सातव के सम्मान में उच्च सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए स्थगित किया गया था. इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले डेढ़ साल से देश की जनता अनिश्चितता के माहौल में जी रही है और कोई नहीं जानता कि यह सब कब तक चलेगा.

उपराष्ट्रपति के संबोधन के बाद प्रधानमंत्री ने सदन में प्रवेश किया. विपक्षी दलों के हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रधानमंत्री को अपनी मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों का परिचय कराने के लिए कहा. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट पहुंच कर नारेबाजी करने लगे. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

इस हंगामे के कारण प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय नहीं करा पाए और उन्होंने नये मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रख दिया.

विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

ये भी पढ़ें -  बीजेपी सांसदों और विधायकों से किसानों ने पूछा - बताओ आंदोलन में साथ हो या नहीं?