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संसदीय समाचार

केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक टुकड़े-टुकड़े गैंग से जुड़ा कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का बयान बेबुनियाद है

केंद्र सरकार के मंत्री हों या उनके समर्थक अपने विरोधियों के लिए ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ शब्द का अक्सर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन संसद में इसके बारे में केंद्र सरकार का कुछ अलग ही कहना है.

टुकड़े-टुकड़े गैंग क्या है
Photo Credit- PIB (File)

केंद्रीय कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार मजबूत हो रहा है. इसके साथ उस पर सरकार और उसके समर्थकों के हमले भी तेज होते जा रहे हैं. आंदोलन पर बैठे किसानों को कभी खालिस्तानी तो कभी नक्सली बताया जा रहा है. आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि इस आंदोलन के पीछे सोची-समझी साजिश है, जिसके चलते किसान केंद्र के ऐतिहासिक कानूनों का स्वागत करने के बजाए इसके विरोध में उतर आए हैं. किसान आंदोलन को संदिग्ध बताने के क्रम में अब ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का बयान भी आ चुका है.

केंद्रीय कानून मंत्री ने क्या कहा?

रविवार को पटना में बख्तियार विधानसभा क्षेत्र के टेकबीघा गांव में बिहार इकाई के ‘किसान चौपाल सम्मेलन’ में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार किसानों का सम्मान करती है लेकिन हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि किसानों के आंदोलन का फायदा उठा रहे ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’ केंद्रीय कानून मंत्री जिस टुकड़े-टुकड़े गैंग का जिक्र कर रहे हैं, खुद उनकी सरकार और गृह मंत्रालय के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है. केंद्रीय गृह मंत्रालय यह बात संसद के भीतर और बाहर दोनों ही जगहों पर कह चुका है.

लोक सभा में क्या पूछा गया था?

संसद के लोक सभा में टुकड़े-टुकड़े गैंग से जुड़ा सवाल 11 फरवरी 2020 को बजट सत्र में पूछा गया था. इस सवाल को सांसद जसवीर सिंह गिल और विंसेंट एच पाला ने पूछा था. उन्होंने देश के गृह मंत्री से यह जानकारी मांगी थी कि क्या गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) या केंद्र व राज्य की इंटेलिजेंस एजेंसियों या पुलिस बल ने टुकड़े टुकड़े गैंग नाम के किसी संगठन की पहचान की है और इसे सूचीबद्ध किया है? इनका दूसरा सवाल था कि क्या ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ शब्दावली मंत्रालय या किसी अन्य विधि प्रवर्तक या आसूचना एजेंसियों के द्वारा दी गई खास सूचनाओं पर आधारित है? दोनों सांसदों का तीसरा सवाल था कि क्या गृह मंत्रालय, एनसीआरबी या किसी अन्य संगठनों ने टुकड़े-टुकड़े गैंग के नेताओं या सदस्यों की सूची बनाई है?

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क्या इंटेलिजेंस एजेंसियों को टुकड़े-टुकड़े गैंग की जानकारी है?

लोक सभा के दोनों सांसदों ने अपने चौथे सवाल में गृह मंत्री से पूछा था कि क्या गृह मंत्रालय या किसी अन्य विधि प्रवर्तक एजेंसी (लॉ इंफोर्समेंट एजेंसी) या आसूचना संगठन (इंटेलिजेंस ऑर्गेनाइजेशन) द्वारा टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्यों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई/दंड (और आईपीसी और या अन्य अधिनियमों की धाराओं के अंतर्गत) कार्रवाई या सजा पर विचार किया गया है? पांचवां सवाल था कि यदि इन सवालों का जवाब ‘हां’ हैं तो है तो इसका ब्यौरा क्या है?

गृह मंत्री ने क्या जवाब दिया

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लोक सभा में दोनों सांसदों के पांचों सवालों का गृह मंत्रालय में राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने दिया. उन्होंने एक लाइन में साफ-साफ बताया, ‘किसी भी विधि प्रवर्तक एजेंसी द्वारा सरकार के ध्यान में इस प्रकार की कोई सूचना नहीं लाई गई है.’(No such information has been brought to the notice of the Government by any law enforcement agency.) यानी जिस बात को गृह मंत्रालय खारिज कर रहा है, उसके मुताबिक सतर्कता एजेंसियों तक को कोई जानकारी नहीं है, और जिस पर संसद में लिखित जवाब भी दिया जा चुका है, उस बेबुनियाद बात को देश के केंद्रीय कानून मंत्री सार्वजनिक मंचों से कैसे और क्यों दोहरा रहे हैं? क्यों एक जिम्मेदार मंत्री होने के बावजूद एक फर्जी खबर पर आधारित जुमले को इस्तेमाल करने से नहीं हिचक हैं? क्या उनकी गलत बयानी पद की गरिमा के खिलाफ नहीं है?

आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने क्या कहा?

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के बयान को बेबुनियाद कहने के लिए संसद में गृह राज्यमंत्री रेड्डी का लिखित जवाब  अकेला आधार नहीं है. इसी साल जनवरी में सूचना अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी पर केंद्रीय गृह मंत्रालय का जवाब भी एक सबूत है. इसमें भी मंत्रालय ने  टुकड़े-टुकड़े गैंग से जुड़ी कोई जानकारी होने से इनकार किया था. गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री ने भी एक चुनावी रैली में टुकड़े-टुकड़े गैंग का जिक्र किया था. इसके बाद एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने गृह मंत्रालय में यह आरटीआई लगाई थी. इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा था कि टुकड़े-टुकड़े गैंग के बारे में उसके पास कोई जानकारी नहीं है. सवाल वही है कि जिस बात को गृह मंत्रालय नहीं मान रहा है, उसे केंद्रीय कानून मंत्री क्यों दोहरा रहे हैं, वे इससे क्या साबित करना चाहते हैं? क्या किसान आंदोलन को बदनाम करने से किसानों का असंतोष या आशंकाएं दूर हो जाएंगी और उनकी जरूरतें पूरी हो जाएंगी?

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क्या आंदोलन को बदनाम करने से समस्या दूर हो जाएगी?

किसान आंदोलन को संदिग्ध करार देने में दूसरे मंत्री भी शामिल हैं.  केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे का कहना है कि इसके पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर कह चुके हैं कि किसान आंदोलन के दौरान शरजील इमाम जैसे लोगों की रिहाई की मांग उठना बताता है कि किसान आंदोलन उनके हाथ में चला गया है जो देश तोड़ना चाहते हैं. अब सवाल है कि केंद्र सरकार सारा संसाधन और एजेंसियां हैं, इसके बावजूद वह लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? अगर सरकार को यह मालूम है कि आंदोलन के पीछे संदिग्ध लोग सक्रिय हैं तो फिर पिछले दिनों उसने आंदोलनकारी किसानों से बातचीत क्यों की, यहां तक कि उनके सामने कृषि कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव क्यों रखा?

किसानों की मांग मानने में दिक्कत क्या है?

किसान नए कृषि कानूनों से आज नहीं, आने वाली पीढ़ियों को नुकसान होने की आशंका जता रहे हैं. उनका कहना है कि वे फसल और नस्ल बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस पर केंद्र सरकार को तो चाहिए कि वह बीते बीते छह महीनों में नए कानूनों की वजह से किसानों को हुए लाभ की जानकारी सार्वजनिक करे और आंदोलनकारियों के साथ-साथ विपक्ष का भी मुंह बंद कर दे. लेकिन सरकार इसकी जगह पर 60 हजार करोड़ रुपये के धान की सरकारी खरीद होने के दावे कर रही है, जिसका इन नए कानूनों से कोई लेना-देना ही नहीं है. नए कानूनों का सरोकार तो सरकार के इस दावे से है कि इनकी वजह से किसानों को बड़ा बाजार और उचित कीमत मिलेगी. फसलों की कोई भी कीमत तभी उचित मानी जाएगी, जब वह कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर हो या इससे ऊपर. अगर ऐसा नहीं है तो किसानों की कानूनों को वापस लेने की मांग गलत कैसे है? कुल मिलाकर अगर केंद्र सरकार किसान आंदोलन को लेकर संजीदा है तो उसे किसानों पर निराधार आरोप लगाने के बजाए उनकी मांगों पर ठोस पहल करने के बारे में सोचना चाहिए?

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संसदीय समाचार

नियम 255 के तहत तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य राज्य सभा से निलंबित

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

पेगासस, राज्य सभा

राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को पेगासस जासूसी विवाद को लेकर आसन के सामने तख्तियां लेकर एकत्रित होने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को सदन से पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया.

बुधवार की सुबह कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस स्वीकार करने और अन्य नोटिस खारिज करने की जानकारी दी. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर पेगासस जासूसी विवाद पर चर्चा की मांग करने लगे. इस दौरान कई सदस्य आसन के सामने आ गए.

सभापति ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. उन्होंने कहा कि जो सदस्य आसन के समक्ष आए हैं और तख्तियां दिखा रहे हैं, उनके नाम नियम 255 के तहत प्रकाशित किए जाएंगे और उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.

सभापति की चेतावनी के बावजूद शोर-शराबा जारी रहा. इसके बाद सभापति ने आसन की अवज्ञा कर रहे सदस्यों से नियम 255 के तहत सदन से बाहर चले जाने के लिए कहा. उन्होंने स्वयं किसी सदस्य का नाम नहीं लिया, लेकिन राज्य सभा सचिवालय से इन सदस्यों के नाम देने का निर्देश दिया.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, बाद में संसदीय बुलेटिन में बताया गया कि जिन छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया है उनमें तृणमूल की डोला सेन, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांता छेत्री, अर्पिता घोष एवं मौसम नूर शामिल हैं.

बुलेटिन के मुताबिक, “राज्य सभा के ये सदस्य तख्तियां लेकर आसन के समक्ष आ गये, आसन की आज्ञा का पालन नहीं किया और आज सुबह उनका आचरण पूरी तरह से अनुचित था. सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत सदन से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.”

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गौरतलब है कि नियम 255 के तहत नाम लिए जाने पर सदस्यों को पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया जाता है.

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संसदीय समाचार

‘सरकार ने विश्वासघात किया है’

19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसीकांड पर चर्चा के साथ ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

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Photo credit- Twitter

संसद में जासूसी सॉफ्टवेयर या स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी (pegasus snoopgate) किए जाने के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है. प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक करने के बाद इस पर सदन में चर्चा करने की मांग उठाई है। बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोक सभा सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल लोकतंत्र की आत्मा पर चोट करना है और इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए.

प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सांसद राहुल गांधी ने दावा किया कि सरकार ने पेगासस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी आवाज को संसद में दबाया जा रहा है. हमारा सिर्फ यह सवाल है कि क्या भारत सरकार ने पेगासस को खरीदा?…हां या ना? क्या सरकार ने अपने ही लोगों पर पेगासस हथियार का इस्तेमाल किया ?… हां या ना?’

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक,  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘कहा जा रहा है कि हम संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं. हम संसद को बाधित नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ विपक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी पूरा करना चाह रहे हैं. इस हथियार का उपयोग देश के खिलाफ किया गया है.’

राहुल गांधी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से पूछना चाहते हैं कि इसका इस्तेमाल लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ क्यों किया गया? पेगासस का मामला राष्ट्रवाद का मामला है। मेरे लिए यह निजता का मामला नहीं है। नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह ने देश के लोकतंत्र की आत्मा पर चोट मारी है। इसलिए हम इस पर चर्चा चाहते हैं।’

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समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि संसद की कार्यवाही नहीं चलने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, पेगासस के मुद्दे पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. वहीं, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. सरकार को खुद आगे आकर कहना चाहिए कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. सरकार ने विश्वासघात किया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह पहली बार नहीं हो रहा है कि संसद की कार्यवाही नहीं चल रही है. अगर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात नहीं करना चाहती है तो फिर किस पर करना चाहती है.’

बुधवार को संवाददाता सम्मेलन से पहले विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक मार्च किया। इस दौरान उन्होंने पेगासस पर चर्चा के लिए हाथ में तख्तियां ले रखी थीं। पेगासस स्पाईवेयर मोबाइल के जरिए जासूसी करता है.

पिछले दिनों नेताओं से लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की इस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी करने की खबरें आई थीं। इसमें सत्ता पक्ष के भी कई नेताओं के शामिल शामिल हैं।

इससे पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में विपक्षी दलों की बैठक हुई. इस बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, शिवसेना के संजय राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा और कई अन्य दलों के नेता मौजूद रहे.

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पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. 19 जुलाई से मानसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सरकार के राजी होने पर ही संसद में गतिरोध खत्म होगा.

संसद

पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्य सभा में शून्यकाल के लिए तो कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है.

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Photo credit- Sanjay Singh Twitter

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांड पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल केंद्र सरकार की अब तक की सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, विभिन्न विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य सभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने मंगलवार को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ (Pegasus Project) मीडिया रिपोर्ट पर राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस (Zero Hour notice) दिया है.

वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर (MP Manickam Tagore) ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion notice) का नोटिस दिया है.

सोमवार को, आप सांसद संजय सिंह ने पेगासस स्पाइवेयर से सामने आई जासूसी पर नियम-267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले तीन बार कार्यवाही को रोकना पड़ा था.

गौरतलब है कि रविवार को द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की जासूसी किए जाने का दावा किया गया था. इसके मुताबिक, एक अज्ञात एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों की जासूसी की. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कई समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकार शामिल हैं. ये पत्रकार रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं.

इसके अलावा विपक्ष और सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और मंत्रियों की जासूसी किए जाने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि, केंद्र का कहना है कि इस मामले को सरकार से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस कंपनी पर पेगासस स्पाईवेेयर के जरिए जासूसी करने का आरोप है, वह सरकार के साथ ही मिलकर काम करती है.

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संसदीय समाचार

संसद के मानसून सत्र का पहला दिन, विपक्ष ने उठाए जनता से जुड़े अहम मुद्दे

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों ने महंगाई और केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को लेकर हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

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केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक विरोध जारी है. संसद में मानसून सत्र के पहले दिन राज्य सभा में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ आवाज उठाई, जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इससे पहले दिवंगत वर्तमान सदस्यों रघुनाथ महापात्र और राजीव सातव के सम्मान में उच्च सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए स्थगित किया गया था. इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले डेढ़ साल से देश की जनता अनिश्चितता के माहौल में जी रही है और कोई नहीं जानता कि यह सब कब तक चलेगा.

उपराष्ट्रपति के संबोधन के बाद प्रधानमंत्री ने सदन में प्रवेश किया. विपक्षी दलों के हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रधानमंत्री को अपनी मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों का परिचय कराने के लिए कहा. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट पहुंच कर नारेबाजी करने लगे. विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया.

इस हंगामे के कारण प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय नहीं करा पाए और उन्होंने नये मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रख दिया.

विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

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