संसदीय समाचार

राज्य सभा में किसान आंदोलन पर नियम 267 के तहत चर्चा की मांग खारिज, नाराज विपक्ष का वॉकआउट

संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को कृषि कानूनों की मांग और किसान आंदोलन का मुद्दा छाया रहा. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान दो महीने से ज्यादा समय से धरना दे रहे हैं. इसे देखते हुए विपक्ष ने राज्य सभा में इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा करने की मांग की. इसके लिए कांग्रेस, वामदलों टीएमसी और डीएमके जैसे विभिन्न विपक्षी दलों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिया और राष्ट्रपति के अभिभाषण में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा को रोककर किसान आंदोलन पर बहस कराने की मांग रखी.

नियम-267 के तहत सदन के पहले से तय कामकाज को रोककर तत्काल महत्व के मुद्दे पर चर्चा करने की मांग की जाती है. अक्सर यह मांग विपक्ष की तरफ से आती है, जिसे बहुत कम मौकों पर सभापति की मंजूरी मिल पाती है.

किसान आंदोलन पर चर्चा की मांग खारिज

हालांकि, राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने विपक्षी सांसदों की इस मांग को मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद समूचे विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया. इस गतिरोध के चलते राज्य सभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित करने के बाद अंत में बुधवार नौ बजे तक के लिए स्थगित हो गई. आपको बता दें कि मानसून सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों ने राज्य सभा से इन कानूनों को बगैर मुकम्मल चर्चा के पारित करने का तीखा विरोध किया था, जिसके चलते आठ सांसदों को सत्र की शेष कार्यवाही के लिए निलंबित कर दिया गया था.

लोक सभा में गूंजा कृषि कानूनों का मुद्दा

लोकसभा में भी विपक्ष ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई. कांग्रेस, वाम दल, डीएमके, टीएमसी और अन्य विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष के आसन के सामने वेल में आकर नारेबाजी की. इस दौरान सांसदों ने “वापस लो वापस लो किसान विरोधी कानून वापस लो” नारे लगाए. कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह अजौल, हिबी ईडेन, बेनी बेहनान और जोतिमनी ने लोक सभा अध्यक्ष के आसन के सामने आकर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग उठाई और जिनके साथ बाद में सौगत राय और कल्याण बनर्जी जैसे वरिष्ठ सांसद भी आ गए.

विपक्षी सांसदों की एकजुट आवाज

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी सदस्यों से अपनी सीट पर जाने और प्रश्नकाल में शामिल होने की अपील की. उन्होंने कहा कि किसानों के कल्याण से जुड़े सवाल हैं, आपको सवाल पूछने चाहिए, आप सदन के बाहर नारेबाजी करें. हालांकि विपक्षी सांसद ने उनकी बात को नहीं माना और नारेबाजी जारी रखी. इस दौरान सांसदों ने सदन में पोस्टर भी लहराए. केंद्र सरकार में मंत्री रहीं शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर ने भी कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग उठाई. उनके हाथ में एक प्लेकार्ड था, जिस पर लिखा था-काले कानून को वापस लो. विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा की कार्यवाही पहले शाम पांच बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

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कृषि मंत्री ने क्या कहा

पांच बजे जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई, तब भी विपक्षी सांसद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते रहे. इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सभी विपक्षी सांसदों से सदन की कार्यवाही चलने देने का अनुरोध किया और भरोसा दिलाया कि सरकार किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि इसका विपक्ष के रुख पर कोई असर नहीं पड़ा और हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही सात बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. सात बजे कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष के हंगामे को देखते हुए कार्यवाही को कल तक के लिए अस्थगित कर दिया गया.

मानसून सत्र की जल्दबाजी, बजट सत्र पर भारी

गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने तीन कृषि अध्यादेशों की जगह लेने वाले कृषि कानूनों को पारित कराया था. इसके विरोध में देश भर में न केवल किसान आंदोलन हुए हैं, बल्कि दिल्ली की सीमाओं पर अनिश्चितकालीन धरने चल रहे हैं. सरकार इन कृषि कानूनों से किसानों को फायदा होने के दावे कर रही है, लेकिन किसान इन तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को कानूनी आधार या गारंटी देने वाला कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. इस बारे में किसानों और सरकार के बीच अब तक हुई बातचीत बेनतीजा रही है.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. इसके अलावा रिपोर्ट देने के लिए एक समिति भी बनाई है. केंद्र सरकार ने भी किसानों के सामने तीनों कृषि कानूनों को अगले डेढ़ साल तक लागू न करने का प्रस्ताव रखा है. लेकिन किसानों का साफ कहना है कि उन्हें तीनों कानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है.

डेस्क संसदनामा

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