कोरोना की दूसरी लहर ने कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने की सारे सरकारी इंतजामों की कलई खोल दी है. केंद्र सरकार का दावा 18 लाख से ज्यादा कोविड बेड बनाने का था, लेकिन असलियत में लोग कहीं पर ऑक्सीजन के बगैर तड़पकर तो कहीं अस्पताल खोजते हुए दुनिया को अलविदा कह गए. इस बदइंतजामी पर देश में कम, विदेश की मीडिया में ज्यादा हल्ला मचा. सवाल उठे तो सरकार की छवि बनाने के लिए वॉट्सएप पर मैसेज तैरने लगे. ऐसे ही मैसेज में मौजूदा केंद्र सरकार के समय 14 से लेकर 22 एम्स बनवाने के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत मंजूरी पाने वाले एम्स की असलियत कुछ और है, जो संसद में सरकार के आंकड़े बयां कर रहे हैं.
संसद के बजट सत्र में सांसद भगवत कराड़ ने सरकार से देश में निर्माणाधीन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की संख्या, काम शुरू करने की तारीख, मौजूदा स्थिति और इनका काम पूरा करने की प्रस्तावित समयावधि के बारे में जानकारी मांगी थी. इन सवालों का केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दिया। उन्होंने बताया, ‘प्रधानंमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के तहत 22 नए एम्स को मंजूरी दी गई है, जिनमें छह भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में पहले से ही चालू हो चुके हैं।’
केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बाकी 16 एम्स को चालू करने की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी थी. इसमें गौर करने वाली बात है कि साल 2015 में मंजूरी पाने वाले एम्स छह साल बीतने के बावजूद पूरी तरह से चालू नहीं हो पाए. वहीं, 2016 और 2017 में मंजूरी पाने वाले एम्स में अधिकतम 80 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है. इसके बाद मंजूरी पाने वाले एम्स के चालू हो जाने की उम्मीद ही बेमतलब है. (देखें चित्र- 1, 2, 3)
अब सवाल आता है कि जो जो एम्स चालू हैं उनमें इलाज के लिए कौन-कौन सी सुविधाएं मौजूद हैं? 23 मार्च 2021 को राज्य सभा में सांसद के. के. रागेश ने सरकार से पूछा था कि क्या देश भर में सभी एम्स काम कर रहे हैं, प्रत्येक एम्स में चालू सुविधाओं और सेवाओं का ब्यौरा क्या है और अगर नहीं, एम्स के चालू न हो पाने का क्या कारण है? इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि पीएमएसएसवाई योजना के तहत चालू हो चुके छह एम्स में इमरजेंसी, ट्रॉमा, ब्लड बैंक, आईसीयू, डायग्नोस्टिक और पैथोलॉजी की सुविधाएं काम कर रही हैं. (देखें चित्र- 4, 5) इन एम्स में कोविड-19 का इलाज करने के लिए अलग से एक समर्पित ब्लॉक बनाया गया है.
अपने जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि रायबरेली, गोरखपुर, मंगलागिरी, नागपुर, बठिंडा, बीबीनगर और कल्याणी स्थित अन्य सात एम्स में एमबीबीएस कक्षाएं और ओपीडी सेवाएं चालू कर दी गई हैं, जबकि देवघर, बिलासपुर, गुवाहाटी, राजकोट और जम्मू स्थित अन्य पांच एम्स में एमबीबीएस क्लास चालू हो गई है. इसके अलावा बाकी के चार एम्स निर्माण और सहायक गतिविधियों में अलग-अलग स्तर पर काम चल रहा है.
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं एम्स
एम्स चालू हो गए, सुविधाओं का भी दावा किया जा रहा है. लेकिन उनमें पढ़ाने वाले कितने हैं? राज्य सभा में 16 मार्च, 2021 को सांसद राकेश सिन्हा ने दिल्ली स्थित एम्स और अन्य एम्स में शिक्षकों के खाली पदों, इन्हें भरने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी मांगी थी. इसका जवाब देते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि दिल्ली स्थित एम्स समेत 16 एम्स में फैकेल्टी (शिक्षकों) के कुल 2307 पद खाली हैं. उन्होंने बताया कि एक भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद दूसरी भर्ती प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाता है.
वहीं, सांसद के. के. रागेश को दिए जवाब में केंद्र सरकार ने रिक्त पदों को भरने में आने वाली समस्या के बारे में बताया था। केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा था कि एक तो नए एम्स में कई विशेषज्ञ सेवाएं अभी चालू नहीं हो पाई हैं, दूसरा योग्यता के मानक ऊंचे रखने की वजह से कई बार सारी सीटें नहीं भरी जा सकती हैं. कुल मिलाकर वॉट्सएप पर घूमते दावों से इतर जमीनी हकीकत है कि एक तो सारे एम्स चालू नहीं हुए हैं और दूसरा कि जो चालू हुए हैं, उनमें पढ़ाने और लोगों का इलाज करने के लिए शिक्षक नहीं हैं.