कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल और गैर-सरकारी कामकाज के निलंबन का प्रस्ताव लोक सभा में रखा, जिसे निचले सदन ने मंजूर कर लिया.
विपक्षी दलों ने प्रश्नकाल न रखने का विरोध किया और सरकार पर सवालों से बचने का आरोप भी लगाया. समाचार एजेंसी पीटीआई की हिंदी सेवा ‘भाषा’ के मुताबिक, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रश्नकाल, संसदीय कार्यवाही का एक महत्वपूर्ण अंग और अधिकारों के विभाजन का हिस्सा है, ऐसे में प्रश्नकाल को रोकना इसे कमजोर करने का प्रयास है. उन्होंने इस मुद्दे पर सदन में वोटिंग कराने की मांग की.
वहीं, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि इस समय असाधारण हालात होने की बात सही है, लेकिन संसद को चलाने संबंधी नियमों को देखें तो साफ है कि प्रश्नकाल को सदन में सर्वसम्मति से ही स्थगित किया जा सकता है. तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि प्रश्नकाल, संसद की कार्यवाही का बुनियादी हिस्सा है, सरकार विधेयक पास कराना चाहती है लेकिन लोग यह सुनना चाहते हैं कि सांसदों के सवालों पर सरकार का क्या जवाब है?
विपक्ष के इन आरोपों पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रोजाना सिर्फ चार घंटे के लिए होने वाले सदन के दौरान प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज नहीं रखने पर अधिकतर दलों ने सहमति जताई थी. सभी दलों से सहयोग करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि संसद सत्र के दौरान सदस्य अतारंकित प्रश्नों के जरिए प्रश्न पूछ सकते हैं और शून्यकाल में सरकार से स्पष्टीकरण मांग सकते हैं.
वहीं, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि सरकार चर्चा से नहीं भाग रही है और सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार है. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग आज संसदीय लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं, उन्हें 1975 में क्या हुआ था, उसे भी याद करना चाहिए.