लोक सभा, भारतीय संसद का निचला सदन है. इसके ऊपरी सदन को राज्य सभा कहा जाता है. लोक सभा वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधियों से बनती है. इसकी कुल सदस्य संख्या 552 है. इनमें 530 सदस्य विभिन्न राज्यों से, जबकि 20 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों से चुने जाते हैं. अगर सदन में एंग्लो इंडियन समुदाय का उचित प्रतिनिधित्व नहीं है तो राष्ट्रपति को इस समुदाय से दो सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है.
निचले सदन का कार्यकाल 5 साल का होता है. लेकिन कैबिनेट की सलाह पर राष्ट्रपति को इसे वक्त से पहले भी भंग करने का अधिकार है.
परिसीमन से तय होती हैं सीटें
किसी राज्य में कितनी लोक सभा की सीट होंगी, इसका फैसला उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर होता है. इसलिए सभी राज्यों में निर्वाचित सदस्यों की संख्या और जनसंख्या का अनुपात बराबर रहता है.
संसदीय क्षेत्र के बंटवारे के लिए संविधान के अनुच्छेद 82 (Article 82) के तहत समय-समय पर परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) का गठन होता है. यह आयोग जनसंख्या के आधार पर सभी राज्यों में लोक सभा और विधान सभा की सीटों को तय करता है. अब तक 1952, 1963, 1972 और 2002 में कुल चार परिसीमन आयोगों का गठन हुआ है.
सदस्यों को जनता सीधे चुनती है
सीधे चुने हुए प्रतिनिधियों की मौजदगी की वजह से लोक सभा को जनता की आवाज माना जाता है. सदन की बहसों और सवाल जवाब से सरकार को जनता की समस्याओं से जानने का मौका मिलता है. सदस्य लोक महत्व के मुद्दों को उठाते हैं और उस पर सरकार से जवाब मांगते हैं.
संसद का लोकप्रिय सदन है लोक सभा
विधेयकों पर चर्चा करने के अलावा सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल सबसे अहम माने जाते हैं. इसमें सांसद जनता से जुड़े मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगते हैं. विपक्ष अपने तीखे सवालों से सरकार को जनता के मुद्दे पर घेरने की कोशिश करता है.
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