मलेशिया में फरवरी में शुरू हुई सियासी उठापटक लगातार जारी है. अब विपक्ष के नेता अनवर इब्राहिम ने नई सरकार बनाने के लिए संसद में जरूरी बहुमत जुटा लेने का दावा किया है. बुधवार को उन्होंने कहा, ‘हमारे पास मजबूत और स्पष्ट बहुमत है. मैं चार, पांच या छह की बात नहीं कर रहा…बल्कि इससे कहीं अधिक संख्या की बात कर रहा हूं.’
Update: Anwar Ibrahim claims majority MP support to form new govt – Bernama https://t.co/WN3rqZjkhF
— The Edge Malaysia (@theedgemalaysia) September 23, 2020
उन्होंने बताया कि उन्हें मलेशिया के सुल्तान से मिलने की अनुुुुमति मिल गई थी, लेकिन उनके अस्पताल में भर्ती होने से यह मुलाकात नहीं हो सकी है. अनवर इब्राहिम ने यह भी कहा कि वह इस बारे में तब तक कोई विस्तृत जानकारी नहीं देंगे, जब तक सुल्तान से उनकी मुलाकात नहीं हो जाती है.
लंबे समय से प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल पीपुल्स जस्टिस पार्टी (Parti Keadilan Rakyat) के अध्यक्ष अनवर इब्राहिम ने कहा कि उनकी सरकार पीछे के दरवाजे से नहीं बनेगी, बल्कि 2018 में चुनाव जीतने वाले गठबंधन की सत्ता में दोबारा वापसी होगी, जिसे प्रधानमंत्री मोहिद्दीन यासिन द्वारा अपनी पार्टी को गठबंधन से अलग करने की वजह से सत्ता गंवानी पड़ी थी. उन्होंने प्रधानमंत्री मोहिद्दीन यासिन पर सरकार बनाने के लिए भ्रष्टाचार में लिप्त दलों से हाथ मिलाने का भी आरोप लगाया.
हालांकि, समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, बहुमत के दावे के बावजूद अब तक कोई भी बड़ा सियासी दल अनवर के समर्थन में सामने नहीं आया है.
प्रधानमंत्री मोहिद्दीन यासिन के सात महीने पुराने गठबंधन को 222 सदस्यों वाली संसद में बहुत मामूली बहुमत हासिल है. हालांकि, उन्होंने अनवर इब्राहिम के दावों को खारिज किया है. मोहिद्दीन यासिन ने अनवर को संवैधानिक तरीके से बहुमत साबित करने की भी चुनौती दी है. उनकी तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि ‘जब तक तथ्य सामने न आ जाएं, तब तक पेरिकतन नेशनल सरकार अटल है और मैं अधिकृत प्रधानमंत्री हूं.’ प्रधानमंत्री मोहिद्दीन का समर्थन करने वाली छह पार्टियों ने भी अनवर इब्राहिम के दावे को ‘सस्ती लोकप्रियता’ हासिल करने की कोशिश बताया है.
गौरतलब है कि अनवर इब्राहिम के अलायंस ऑफ होप ने 2018 में चुनाव जीता था. लेकिन तभी फरवरी में मोहिद्दीन यासिन की पार्टी के समर्थन वापस लेने से गठबंधन सरकार गिर गई थी. इसके बाद यासिन भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी पार्टियों के समर्थन से प्रधानमंत्री बन गए थे.
मलेशिया में अगर कोई उम्मीदवार यह साबित कर सके कि संसद में उसके पास बहुमत है तो सुल्तान को उसे प्रधानमंत्री नियुक्त करने का अधिकार है.