किसानों को सालाना तीन किश्तों में छह हजार रुपये देने वाली किसान सम्मान निधि योजना भी घोटाले का शिकार हो रही है. सबसे बड़ा घोटाला तमिलनाडु में आया है. हालांकि, असम, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में भी अपात्रों को योजना का लाभ देने के मामले सामने आ चुके हैं.
तमिलनाडु में हुए करोड़ों के घोटाले की बात तो मॉनसून सत्र में एक अतारांकित प्रश्न का जवाब देते हुए खुद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मानी है. हालांकि, उन्होंने अन्य राज्यों में ऐसा कोई मामले आने की जानकारी नहीं दी थी. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सितंबर तक यूपी के कई जिलों में ऐसे मामले सामने आ चुके थे.
दरअसल, राज्य सभा में सांसद पी. विल्सन ने सरकार से पूछा था कि (1) क्या यह सच है कि तमिलनाडु सहित देश भर में पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत कई जाली खातों को लाभ पहुंच रहा है? (2) अगर इसका जवाब ‘हां’ है तो इसका ब्यौरा क्या है, (3) इस बारे में कार्रवाई का ब्यौरा क्या है?
इस सवाल के जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने 23 सितंबर को दिए लिखित जवाब में कहा, (1 से 3) ‘जी नहीं. हालांकि, तमिलनाडु सरकार से पीएम किसान योजना के अंतर्गत अपात्र लोगों के पंजीकरण की जानकारी मिली थी. चूंकि, भूजोत के आधार पर किसानों की पहचान और सत्यापन की जिम्मेदारी राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों की होती है. राज्य सरकार ने इसकी व्यापक जांच पड़ताल करवाई थी.’ सरकार के जवाब के मुताबिक, 15 सितंबर 2020 तक तमिलनाडु में पीएम किसान सम्मान योजना के पांच लाख 95 हजार लाभार्थियों की पड़ताल की गई. इनमें से पांच लाख 38 हजार लाभार्थी अपात्र पाए गए. किसान सम्मान योजना में यह धांधली 13 जिलों तक फैली मिली.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह भी बताया कि ‘कुछ बेईमान लोगों ने स्कीम के अंतर्गत बड़ी संख्या में अपात्र व्यक्तियों की बड़ी संख्या में बुकिंग (एंट्री) करने के लिए जिलाधिकारी के लॉग-इन आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग किया था.’ इसमें कृषि विभाग के संविदा कर्मचारी और दूसरे अधिकारी भी लिप्त पाए गए हैं. धांधली के आरोप में 96 संविदाकर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं, जबकि 34 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है. इनमें से संविदाकर्मियों सहित 52 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है.
सरकार ने अपात्र लाभार्थियों से पैसों की वसूली शुरू कर दी है. ससंद में जवाब देने तक 61 करोड़ रुपये वसूले गए हैं. अंग्रेजी अखबार द हिंदू के मुताबिक, यह पूरा घोटाला 110 करोड़ रुपये का है. हालांकि, केंद्र सरकार ने भविष्य में ऐसी धांधली रोकने के लिए तमिलनाडु सरकार को मानक व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया है.
तमिलनाडु ही नहीं, असम, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में भी धांधली सामने आ चुकी है. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर और गोंडा जिलों में सैकड़ों अपात्रों को लाभ देने की बात सामने आई है. इस योजना के तहत ऐसे सभी किसानों को लाभ मिल सकता है, जो खेती लायक जमीन के मालिक हैं. लेकिन सरकारी नौकरी करने वाले, आयकर दाता, जनप्रतिनिधि, सीएस, सरकारी वकील और डॉक्टर को इस योजना से बाहर रखा गया है.
Advertisement. Scroll to continue reading. अभी किसान सम्मान निधि योजना पश्चिम बंगाल को छोड़कर देश के सभी राज्यों में लागू है. इसकी आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, कुल रजिस्टर्ड लाभार्थियों की संख्या 11 करोड़ 17 लाख है. इनमें से 10.26 करोड़ को पहली, 9.89 करोड़ को दूसरी, 9 करोड़ को तीसरी, 7.73 करोड़ को चौथी, 6.48 करोड़ को पांचवीं और 3.77 करोड़ को छठी किस्त मिल चुकी है. लेकिन आधार लिंक्ड खातों में ही पैसों का भुगतान होने की शर्त के बावजूद सामने आया ये घोटाला आधार से भ्रष्टाचार रुकने के दावों को कटघरेे में खड़ा कर रहा है.