पुडुचेरी विधानसभा (Puducherry Assembly) में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से अल्पमत में आई सरकार गिर चुकी है. अब कांग्रेस विश्वास प्रस्ताव पर तीन नामित विधायकों को मतदान करने का अधिकार देने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रही है. पुडुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री वी नारायणसामी का कहना है कि नामित विधायकों को विश्वास प्रस्ताव पर मतदान का अधिकार नहीं है, यह लोकतंत्र की हत्या है. पुडुचेरी में 30 निर्वाचित और तीन नामित सदस्य हैं. सदन में बहुमत के लिए 16 सदस्य चाहिए. लेकिन कांग्रेस और डीएमके गठबंधन के पास सिर्फ 11 विधायक थे, जबकि विपक्ष के पास तीन नामित सदस्यों को मिलाकर 14 सदस्य थे. दरअसल, बहुमत परीक्षण से एक दिन पहले रविवार को कांग्रेस और डीएमके ने एक-एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया था.
नामित विधायकों पर तकरार?
गौरतलब है कि पुडुचेरी विधानसभा में तीन सदस्यों को केंद्र सरकार ने नामित किया था. इन विधायकों को केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम-1963 (Government of Union Territories Act, 1963) के तहत नामित किया गया था. इसकी धारा-3 (3) के मुताबिक, “केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में केंद्र सरकार तीन से ज्यादा सदस्यों को नियुक्त नहीं कर सकती है, लेकिन तीनों व्यक्ति सरकारी सेवा से नहीं होना चाहिए.” हालांकि, पुडुचेरी सरकार की सलाह के बगैर केंद्र सरकार की तरफ से तीन विधायकों को नामित करने पर सवाल उठे थे. पहले इसे मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया
पुडुचेरी विधानसभा (Puducherry Assembly) में तीन विधायकों को नामित करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर, 2018 को फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुडुचेरी विधानसभा में विधायकों को नामित करने के लिए केंद्र सरकार को पुडुचेरी सरकार से सलाह लेने की कोई जरूरत नहीं है. (K Lakshminarayanan v. Union of India and Anr, 2018) सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी विचार किया था कि क्या नामित विधायकों को मतदान करने का अधिकार है या नहीं? इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम-1963 नामित और निर्वाचित विधायकों के बीच अंतर नहीं करता है और अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान करने का अधिकार है.
संसद में नामित सदस्यों के क्या अधिकार हैं
संसद के 250 सदस्यीय उच्च सदन (Upper House) यानी राज्य सभा (Rajya Sabha) में राष्ट्रपति को साहित्य, कला, विज्ञान और सामाजिक क्षेत्र से 12 सदस्यों को नामित करने का अधिकार है. इसी तरह लोक सभा में इंग्लो-इंडियन समुदाय (Anglo-Indian community) का प्रतिनिधित्व न होने की सूरत में दो सदस्यों को नामित करने की शक्ति है. इन सभी नामित सदस्यों को राष्ट्रपति के चुनाव (Election of the President) में मतदान करने का अधिकार नहीं है. इसके अलावा उनकी सारी शक्तियां निर्वाचित सदस्यों के बराबर होती हैं. यानी वे अविश्वास प्रस्ताव से लेकर बजट और विधेयकों पर मतदान कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट जाने पर क्या होगा
राज्य सभा और लोक सभा में नामित सदस्यों को निर्वाचित सदस्यों की तरह लगभग सारे अधिकार हासिल हैं. ऐसे में इस बात की बहुत कम संभावना है कि नामित सदस्यों के मतदान के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट कोई नया फैसला सुनाए. हालांकि, 2005 और 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड और कर्नाटक में विश्वास मत से ठीक पहले इंग्लो-इंडियन समुदाय से सदस्यों को नामित करने पर रोक लगा दी थी.