निजीकरण के खिलाफ (protest against privatisation) 15 और 16 मार्च को बैंक कर्मचारियों की हड़ताल (bank employees strike) का व्यापक असर रहा. मंगलवार को राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने यह मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि नौ बैंकों की यूनियन से जुड़े लाखों कर्मचारी दो दिनों से हड़ताल पर हैं, जिसके कारण बैंकों का कामकाज ठप पड़ गया है, इससे आम जनता और कारोबारी सभी परेशान हैं.
17 मार्च को बीमा कंपनियों के कर्मचारी भी करेंगे हड़ताल
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बैंक कर्मचारियों की दो दिवसीय हड़ताल के अगले दिन यानी 17 मार्च को जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद 18 मार्च को भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के कर्मचारी भी निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर होंगे. नेता प्रतिपक्ष के मुताबिक, देश में लगभग 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं जिनकी देश में लगभग एक लाख शाखाएं हैं और इन बैंकों में लगभग 13 लाख लोग काम करते हैं. इन बैंकों में 75 करोड़ से ज्यादा खाताधारक हैं.
‘खाताधारक भी बैंक का स्टेकहोल्डर’
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि खाताधारक भी बैंक का स्टेकहोल्डर (अंशधारक) होता है और सरकार इन 75 करोड़ स्टेकहोल्डर से पूछे बिना ही बैंकों का निजीकरण करने का फैसला ले रही है. उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार की गलत नीतियों से, अंधाधुंध निजीकरण और बेमकसद मर्जर (बैंकों को मिलाना) के कारण कर्मचारी भविष्य के प्रति बहुत चिंतित हैं. इन 13 लाख कर्मचारियों को कोविड-19 जैसे खतरनाक दौर में रोजी रोटी का सवाल सता रहा है, खासकर जो इन बैंकों काम करने वाले लोग हैं, जो गरीब तबके के लोग आरक्षण (रिजर्वेशन) में आते हैं, उन्हें अगर कहीं ऐसी ऊर्जा मिलती है तो ऐसे नेशनलाइज्ड बैंक में मिलती है और पब्लिक सेक्टर में मिलती है.’
‘बहुत सोच समझकर बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था’
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘इंदिरा जी ने बहुत सोच समझकर (14) बैंकों को नेशनलाइज्ड (Indira Gandhi nationalised 14 banks) किया था.’ इस बीच सभापति एम. वेंकैया नायडू ने उन्हें समय पूरा होने के बारे में चेतावनी दी. इसके बाद मलिकार्जुन खड़गे ने एक मिनट का अतिरिक्त समय मांगा. इस पर सभापति ने कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं कि माइक अगले 30 सेकंड में अपने आप बंद हो जाएगा.’ लेकिन नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी बात जारी रखी. उन्होंने कहा कि इंदिरा जी ने सोच-विचार कर और दूरदर्शी नजरिए से बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, जिससे आज गरीबों के जीरो बैलेंस अकाउंट खुल रहे हैं. इस बीच एक बार फिर सभापति ने नेता प्रतिपक्ष को अपना भाषण समाप्त करने के लिए टोका.
‘कर्मचारियों के सवाल पर वित्त मंत्री बयान दें’
सभापति की ओर से समय समाप्त होने की चेतावनी के बीच अतिरिक्त समय की गुजारिश करते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी बात जारी रखी. उन्होंने कहा कि 2008 में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई थी, लेकिन राष्ट्रीयकृत बैंक होने के नाते भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ी मदद मिली. उन्होंने कहा, ‘मैं खासकर आपसे यही कहूंगा कि जो लोग रास्तों पर बैठे हैं और हड़ताल कर रहे हैं, उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए वित्त मंत्री जी खुद एक बयान दें या वहां पर जाकर उनसे मिलें.’ इसके बाद सभापति ने मलिकार्जुन खरगे को धन्यवाद दिया और कहा कि संसदीय कार्यमंत्री वित्त मंत्री को सूचना पहुंचा देंगे. उन्होंने इस विषय से खुद को संबद्ध करने वाले अन्य सांसदों को पर्ची में नाम भेजने के लिए कहा.
‘नई परंपरा न शुरू करें’
इस दौरान राज्य सभा सांसद और पूर्व मंत्री जयराम रमेश ने सभापति से इस मामले में बयान देने के लिए सरकार को निर्देश देने की अपील की. इस पर सभापति ने कहा, ‘मैं ऐसा नहीं कर सकता हूं. मैंने मंत्री से कहा है कि वे वित्त मंत्री को सूचना दे दें. मैंने पहले ही कह दिया है. अगर वे कोई बयान देने का फैसला करती हैं तो यह अलग बात होगी. कृपया नई परंपरा शुरू ना करें.’
बैंकों के निजीकरण और मर्जर के खिलाफ बैंक कर्मचारियों की हड़ताल के मुद्दे से खुद को जोड़ने वाले सांसदों में आनंद शर्मा, प्रियंका चतुर्वेदी, जी सी चंद्रशेखर, भास्कर राव नेकांति, डॉ. सस्मित पात्रा, डॉ. एल हनुमंथैया, सैयद नसीर हुसैन, विनोय विश्वम, टीकेएस एलंगोवन, एम शंमुगम, प्रो. मनोज कुमार झा, डॉ. अमर पटनायक और डॉ. फौजिया खान शामिल हैं.