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संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर अटकलें तेज, लोक सभा अध्यक्ष ने केंद्र के पाले में गेंद डाली

दिल्ली में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से संसद के शीतकालीन सत्र होने या न होने या फिर देरी होने का सवाल गहराने लगा है.

Photo credit- Lok Sabha Twitter

दिल्ली में कोविड संक्रमण के मामलों में एक बार फिर उछाल देखा जा रहा है. इससे संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. हालांकि, इस बारे में शनिवार को जब लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि लोक सभा सचिवालय शीतकालीन सत्र के आयोजन के लिए तैयार है. उन्होंने यह भी कहा, ‘जहां तक शीतकालीन सत्र बुलाने की तारीखों का सवाल है, इसके बारे में संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी कोई फैसला करेगी.’

विपक्षी दलों से बात करके तारीख तय होगी 

शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी विपक्षी दलों के साथ बातचीत करके शीतकालीन सत्र की तारीखों के बारे में कोई फैसला करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि कोराना संक्रमण से बचाव से जुड़ी सावधानियों के साथ संसद के मानसून सत्र का आयोजन हुआ था और संसदीय समितियों की बैठक भी नियमित रूप से चल रही है.

संसद का मानसून सत्र विवादों में रहा

कोरोना संकट के बीच बुलाया गया संसद का मानसून सत्र कई तरह के विवादों में घिरा रहा. कृषि विधेयकों को पारित करने में नियमों के उल्लंघन, अनुशासनहीनता के मामले में राज्य सभा के आठ सांसदों का सत्र के बाकी हिस्से के लिए निलंबन और विपक्ष की गैर-मौजूदगी में बिना ठोस चर्चा के महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने जैसे विवाद सामने आए. कृषि विधेयकों को लेकर किसान अभी भी आंदोलन कर रहे हैं. वे संसद से पारित कृषि विधेयकों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. किसानों ने 26 नवंबर को दिल्ली कूच करने का भी ऐलान किया है.

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25 नवंबर से पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन गुजरात में

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 25 नवंबर से पीठासीन अधिकारियों (ऑल इंडिया प्रेजाइडिंग ऑफिसर) के दो दिवसीय सम्मेलन का ऐलान किया. यह सम्मेलन गुजरात में वडोदरा के नजदीक केवड़िया में आयोजित किया जाएगा. इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू भी मौजूद रहेंगे. लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन को संबोधित करेंगे. इस साल पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की थीम ‘विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच मैत्रीपूर्ण तालमेल-एक जीवंत लोकतंत्र की कुंजी’ रखा गया है.

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पेगासस प्रोजेक्ट जासूसी कांड पर संसद में हंगामा बढ़ने के आसार, विपक्ष ने चर्चा के लिए दिए नोटिस

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांग पर चर्चा के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्य सभा में शून्यकाल के लिए तो कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है.

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Photo credit- Sanjay Singh Twitter

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) जासूसी कांड पर सवाल उठा रहे विपक्षी दल केंद्र सरकार की अब तक की सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक, विभिन्न विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य सभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने मंगलवार को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ (Pegasus Project) मीडिया रिपोर्ट पर राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस (Zero Hour notice) दिया है.

वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर (MP Manickam Tagore) ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion notice) का नोटिस दिया है.

सोमवार को, आप सांसद संजय सिंह ने पेगासस स्पाइवेयर से सामने आई जासूसी पर नियम-267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले तीन बार कार्यवाही को रोकना पड़ा था.

गौरतलब है कि रविवार को द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की जासूसी किए जाने का दावा किया गया था. इसके मुताबिक, एक अज्ञात एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों की जासूसी की. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कई समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकार शामिल हैं. ये पत्रकार रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं.

इसके अलावा विपक्ष और सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और मंत्रियों की जासूसी किए जाने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि, केंद्र का कहना है कि इस मामले को सरकार से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस कंपनी पर पेगासस स्पाईवेेयर के जरिए जासूसी करने का आरोप है, वह सरकार के साथ ही मिलकर काम करती है.

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संसद के घेराव से पहले विपक्षी सांसदों को चेतावनी चिट्ठी लिखेगा संयुक्त किसान मोर्चा

किसानों ने 22 जुलाई से संसद का घेराव करने का भी ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इस घेराव आंदोलन में शामिल प्रत्येक किसान संगठन के 5 सदस्य और 200 किसान पूरे मॉनसून सत्र के दौरान संसद का घेराव करेंगे. #Kisanektamorcha #7MonthsOfFarmersProtest

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Photo credit- Facebook Kisan ekta morcha

बीते आठ महीने से केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे किसानों ने आंदोलन तेज करने का फैसला किया है. रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद 8 जुलाई को पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की बढ़ती कीमतों और महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया. संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों और महिलाओं से 8 जुलाई को सुबह दस बजे से बारह बजे तक सड़क के किनारे अपनी गाड़ियों और खाली सिलेंडर लेकर प्रदर्शन करने की अपील की. संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह से सड़क जाम न करने की अपील की है.

गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हो रहा है. इसे देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने संसद में सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति बनाई है. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि 17 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से विपक्षी दलों को ‘चेतावनी पत्र’ लिखा जाएगा. इसमें सांसद से कहा जाएगा कि आप संसद के अंदर किसानों की आवाज उठाएं और सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर करें या फिर अपनी गद्दी छोड़ दें.

इतना ही नहीं, किसानों ने 22 जुलाई से संसद का घेराव करने का भी ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इस घेराव आंदोलन में शामिल प्रत्येक किसान संगठन के 5 सदस्य और 200 किसान पूरे मॉनसून सत्र के दौरान संसद का घेराव करेंगे. इसके लिए पहला जत्था सिंधु बॉर्डर से रवाना होगा. यह प्रदर्शन मानसून सत्र के समापन तक जारी रहेगा.

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संयुक्त किसान मोर्चा ने यूपी और उत्तराखंड में अपना आंदोलन तेज करने का भी फैसला किया है. खास तौर पर चुनावों को देखते हुए इन राज्यों में सितंबर में बड़ा आंदोलन करने की बात कही है.

गौरतलब है कि किसान बीते साल नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. किसान केंद्र सरकार के बनाए तीनों कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने कानूनों को वापस लेने से साफ मना कर चुकी है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कह चुके हैं कि कानून वापसी को छोड़कर किसानों के साथ बाकी सारे मुद्दों पर बात हो सकती है.

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अपने-अपने सदनों में बैठे सांसद, अब कोरोना से पहले की तरह चलेगी संसद

सांसदों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए लोक सभा और राज्य सभा का समय घटाया गया था, इसके अलावा उनके बैठने की जगह में बदलाव किया गया था.

Parliament Rajya Sabha अपने-अपने सदनों में पहुंचे सांसद

संसद के दोनों सदनों – लोक सभा और राज्य सभा- की कार्यवाही 9 मार्च 2021 से पहले के समय के हिसाब से शुरू हो गई. मंगलवार को सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होने के बाद राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने बताया कि बजट सत्र के बाकी हिस्से में सभी सांसद राज्य सभा चैंबर और गैलरी में बैठेंगे. उन्होंने कहा, ‘राज्य सभा चैंबर में 142 सीटें होंगी, जबकि बाकी सदस्य गैलरी में बैठेंगे.’ राज्य सभा की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, सदन की कुल सदस्य संख्या 238 है. लोक सभा में भी ऐसी ही व्यवस्था की गई है.

सांसदों के अनुरोध पर फैसला

विभिन्न दलों से मिले अनुरोध के आधार पर संसद को कोरोना संकट के पहले के समय के हिसाब से चलाने का फैसला किया गया. इसके तहत सुबह 11 बजे से शाम के छह बजे तक के सामान्य समय में दोनों सदनों की कार्यवाही चलेगी. सोमवार को राज्य सभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने और लोक सभा में स्पीकर ओम बिरला ने यह फैसला लिए जाने की जानकारी दी थी.

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत पर हंगामा

बजट सत्र के दूसरे हिस्से की कार्यवाही के दूसरे दिन भी विपक्ष ने राज्य सभा और लोक सभा में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाया और इस पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की. इसकी अनुमति न मिलने पर विपक्षी सांसदों ने विरोध दर्ज कराते हुए दोनों सदनों में नारेबाजी की. इसके चलते दोनों सदनों में कार्यवाही पहले 12 बजे, फिर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. सोमवार को भी विपक्षी दल कांग्रेस ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने की मांग की थी. लेकिन दोनों ही सदनों में इस मांग को नहीं माना गया था. इसके बाद उनके हंगामा करने पर सदनों की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया था.

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बजट सत्र के दूसरे हिस्से के प्रस्तावित काम

बजट सत्र के दूसरे हिस्से में सरकार का ध्यान 2021-22 के लिए अनुदान मांगों और विभिन्न कर प्रस्ताव वाले वित्त विधेयकों को पारित कराने पर होगा. वित्तीय विधेयक पर मार्च 19-22 पर चर्चा होगी. इसके अलावा सरकार ने बजट सत्र के इस हिस्से में विभिन्न विधेयकों को पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है. इसमें पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी संशोधन विधेयक (Pension Fund Regulatory and Development Authority (Amendment) Bill), नेशनल बैंक फॉर फाइनांसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट विधेयक (National Bank for Financing Infrastructure and Development Bill), बिजली संशोधन विधेयक (Electricity (Amendment) Bill) और क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफीशियल डिजिटल करेंसी विधेयक (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill) शामिल हैं.

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केंद्र सरकार नहीं बुलाएगी संसद का शीतकालीन सत्र, फिर चर्चा में आई ‘टू मच डेमोक्रेसी’

केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी को शीतकालीन सत्र न बुलाने की वजह बताई है, जबकि हजारों की संख्या में किसान संसद से पारित कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.

संसद का शीतकालीन सत्र
Photo Credit - PIB

बीते दिनों नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने देश में ‘टू मच डेमोक्रेसी’ होने की शिकायत की थी. उनका कहना था कि देश में लोकतंत्र बहुत ज्यादा है, जिसके चलते सुधारों को लागू करने में परेशानी आ रही है. आज एक बार फिर लोग ‘टू मच डेमोक्रेसी’ हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं. इसकी वजह केंद्र सरकार का इस बार संसद का शीतकालीन सत्र न बुलाने का फैसला है.

संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने इसकी जानकारी देते हुए लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को चिट्ठी लिखी है. इसमें उन्होंने बताया है कि कोरोना संकट को देखते हुए सभी दलों के नेताओं से चर्चा करने के बाद शीतकालीन सत्र को न बुलाने का फैसला किया गया है, सरकार अगला सत्र सीधे जनवरी 2021 में बुलाएगी.

संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने यह भी लिखा है कि जाड़े के महीने में, खास तौर पर दिल्ली में, कोरोना के मामलों में उछाल की वजह से महामारी के लिहाज से यह महीना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, हम अभी दिसंबर के बीच हैं, बहुत ही जल्द वैक्सीन आने की उम्मीद है.

हालांकि,  केंद्र सरकार ने ऐसे वक्त में संसद का सत्र नहीं बुलाने का फैसला किया गया है, जब हजारों की तादाद में किसान केंद्रीय कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर मोर्चा खोले हैं. किसानों के इसी असंतोष को देखते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने के लिए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी लिखी थी. इसी का संदर्भ लेते हुए संसदीय कार्यमंत्री ने जवाब दिया है.

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हालांकि, कांग्रेस ने इसे जवाबदेही से भागने की कोशिश बताया है. पार्टी ने ट्विटर पर लिखा, ‘मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र को रद्द कर जवाबदेही, जिम्मेदारी से भाग रही है. अन्नदाता सड़कों पर संघर्ष कर रहा है, बिल वापस लेने की फरियाद कर रहा है. लेकिन मोदी सरकार जवाबदेही से भागने के लिये संसद के शीतकालीन सत्र को रद्द कर रही है.’ वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार रही जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोडकर ने ट्विटर पर लिखा, ‘राज्यों के चुनाव हो रहे हैं, बड़ी-बड़ी रैलियां हो रही हैं, संसद को छोड़कर पूरे देश को खोला जा चुका है, बिना सभी दलों से चर्चा किए कानूनों को खत्म किया जा रहा है. निश्चित तौर पर टू मच डेमोक्रेसी है.’

देश में कोरोना के मामले एक करोड़ का आंकड़ा छूने वाले हैं. हालांकि, सरकार का दावा है कि 24 घंटे के दौरान सामने आने वाले मामलों की संख्या में भारी कमी आई है. मंगलवार को 23 हजार नए मामले सामने आए जो अब तक की सबसे कम संख्या है.

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