दादर-नगर हवेली से सात बार के सांसद मोहन देलकर (MP Mohan Delkar) की खुदकुशी का मुद्दा बुधवार को संसद में उठा. लोक सभा में शिवसेना सांसद विनायक राउत (Vinayak Raut) ने कहा, ‘मोहन देलकर, जो संसद में 35 साल तक सदस्य रहे, को खुदकुशी करके इसलिए जान देनी पड़ी क्योंकि उन्हें प्रशासन और अधिकारियों की ओर से परेशान किया गया. अगर आप उनके सुसाइड नोट को पढ़ें तो आप पाएंगे कि उन्हें दादर-नगर हवेली के प्रशासन और अधिकारियों ने प्रताड़ित किया था.’
दोषी अफसरों पर कार्रवाई की मांग
सांसद विनायक राउत ने आगे कहा, ‘मेरा आपके माध्यम से प्रधानमंत्री से विनती है कि मोहन देलकर जी की आत्महत्या के लिए जो भी कारण हैं, जो जिम्मेदार हैं, वहां के प्रशासक, एसपी और कलेक्टर को सस्पेंड करें और उनके ऊपर (आईपीसी की धारा) 304 (Punishment for culpable homicide not amounting to murder) के तहत कार्रवाई करें. उनके ऊपर फौजदारी कार्रवाई होनी चाहिए. मोहन देलकर जी की मृत्यु को न्याय देने की आवश्यकता है.’
सांसद मोहन देलकर की खुदकुशी के मामले को नालंदा से सांसद कौशलेंद्र कुमार ने भी उठाया. उन्होंने कहा, ‘उनकी मौत के बारे में 16 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा गया है. उसमें वहां के प्रशासक सहित लगभग एक दर्जन अधिकारियों के नाम हैं….उसको मंगवाकर देखना चाहिए. हम लोग जनप्रतिनिधि हैं. अपमान किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए निंदनीय और उसकी गरिमा के खिलाफ है.’ उन्होंने कहा कि जब जनप्रतिनिधि ही सुरक्षित नहीं हैं तो जनता कैसे सुरक्षित रहेगी. सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा, ‘हमारी एक ही मांग है कि उनको जिस प्रशासक द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, उस प्रशासक को तत्काल वहां से हटाया जाए.’
स्पीकर से मिले विपक्षी सांसद
इस मामले की जांच कराने की मांग के साथ बुधवार को विपक्षी दलों के सांसदों ने लोक सभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की. इनमें कांग्रेस सांसद और सदन में नेता अधीर रंजन चौधरी, शिवसेना सांसद विनायक राउत, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव, नेशनल कान्फ्रेंस के सांसद फारूख अब्दुल्ला, टीएमसी सांसद सौगत रॉय, सांसद अरविंद सावंत और बसपा सांसद राम शिरोमणि वर्मा, सांसद रितेश पांडे, सांसद श्रीनिवास पाटिल, सांसद अनुभव मोहंती अन्य सांसद शामिल रहे.
लोक सभा स्पीकर को सौंपा मांग पत्र
सांसदों ने लोक सभा स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र भी सौंपा. इसमें सितंबर 2020 में लोक सभा में सांसद मोहन देलकर द्वारा की गई शिकायत की जांच संसद की विशेषाधिकार समिति को सौंपने की मांग की गई है. अपने पत्र में सांसदों ने यह भी कहा है कि विशेषाधिकार समिति की जांच से महाराष्ट्र सरकार की ओर से गठित एसआईटी की जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
Advertisement. Scroll to continue reading. महाराष्ट्र सरकार ने एसआईटी को जांच सौंपी
मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने लोकसभा सदस्य मोहन देलकर की खुदकुशी की जांच विशेष जांच टीम (एसआईटी) को सौंपने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था, ‘देलकर ने अपने सुसाइड नोट में कहा था कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और वह प्रफुल्ल पटेल के दबाव में हैं, जो दादरा व नगर हवेली के प्रशासक हैं.’ गृह मंत्री अनिल देशमुख ने यह भी कहा कि देलकर ने अपने सुसाइड नोट में यह भी जिक्र किया है कि उन्हें पटेल से उनका सामाजिक जीवन खत्म होने की धमकी मिल रही थी. इस मामले में मुंबई पुलिस ने दादर-नगर हवेली के प्रशासन प्रफुल्ल के पटेल के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
मुंबई के होटल में मिला था सांसद का शव
दादर व नगर हवेली से सात बार लोक सभा के लिए चुने गए मोहन देलकर का शव 22 फरवरी को मुंबई एक होटल में मिला था. पुलिस ने उनके शव के पास से एक सुसाइड नोट बरामद किया था. इसमें कई नेताओं और अधिकारियों पर उनको प्रताड़ित करने के आरोप लगाए जाने की बात कही जा रही है. आदिवासी समुदाय से आने वाले सांसद मोहन देलकर ने सितंबर 2020 में मानसून सत्र के दौरान लोक सभा में कहा था कि स्थानीय प्रशासन उन्हें प्रताड़ित कर रहा है.
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