उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीटों के लिए चुनाव संपन्न हो गए. विधान परिषद की 12 खाली सीटों के लिए 13 उम्मीदवारों के पर्चे भरे थे. नव निर्वाचित सदस्यों में बीजेपी के 10 और समाजवादी पार्टी (सपा) के दो उम्मीदवार शामिल हैं.
एक हफ्ते पहले पूरी हुई प्रक्रिया
विधान परिषद चुनाव के पीठासीन अधिकारी बृज भूषण दुबे ने बताया कि नामांकन वापसी की समय सीमा बीतने से साथ विधान परिषद चुनाव के 12 उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया. प्रदेश विधान परिषद की 12 सीटों के लिए नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 21 जनवरी थी. अगर जरूरत पड़ती तो 28 जनवरी को मतदान कराया जाता. लेकिन निर्विरोध निर्वाचन की वजह से चुनाव प्रक्रिया लगभग एक हफ्ता पहले पूरी हो गई.
कैसे निर्विरोध हुआ चुनाव
वास्तव में, एक निर्दलीय प्रत्याशी महेश चंद्र शर्मा ने विधान परिषद के लिए नामांकन भरा था. लेकिन मंगलवार को जब नामांकन पत्रों की जांच हुई तो उनका नामांकन निरस्त हो गया. इस बारे में निर्वाचन अधिकारी बृज भूषण दुबे ने बताया कि प्रस्तावक न होने की वजह से महेश चंद्र शर्मा का नामांकन निरस्त हो गया. इसके अलावा उन्होंने नामांकन के लिए जरूरी शुल्क को जमा करने की रसीद भी नहीं लगाई थी। महेश चंद्र शर्मा का नामांकन खारिज होने से रिक्त पदों और उम्मीदवारों की संख्या बराबर हो गई और उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया.
कौन-कौन चुना गया
विधान परिषद के लिए निर्विरोध निर्वाचित बीजेपी के उम्मीदवारों में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, पूर्व आईएएस अरविंद कुमार शर्मा, प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, कुंवर मानवेंद्र सिंह, गोविंद नारायण शुक्ला, सलिल विश्नोई, अश्वनी त्यागी, धर्मवीर प्रजापति तथा सुरेंद्र चौधरी शामिल हैं. वहीं, सपा के उम्मीदवारों में अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी निर्विरोध जीते हैं.
विधान परिषद में सपा सबसे ताकतवर
उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में 100 सदस्य हैं. इसमें संख्या के लिहाज से समाजवादी पार्टी का पड़ला भारी है. हालांकि, 30 जनवरी के बाद उसकी सदस्य संख्या 55 से घटकर 51 ही रह जाएगी, क्योंकि उसके सेवा निवृत्त होने वाले छह सदस्यों में से दो सीट ही दोबारा जीत पाई है. पार्टी ने पुराने एमएलसी अहमद हसन और पार्टी प्रवक्ता व पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी को दोबारा सदन में भेजा है. राजेंद्र चौधरी का कार्यकाल 2018 में ही पूरा हो गया था.
बसपा और कांग्रेस को नुकसान
वहीं, 10 सीटों पर जीत के साथ बीजेपी की सदस्य संख्या बढ़कर 32 हो गई है. पहले से बीजेपी के 25 सदस्य थे, जिनमें तीन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इस बार के चुनाव में कांग्रेस और बसपा को तीन-तीन सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि उनके पास इन सीटों को बरकरार रखने के लिए जरूरी संख्या नहीं थी.