बीते साल कोरोना महामारी ने दस्तक दी तो इससे निपटने के लिए दुनिया भर में लॉकडाउन लगा दिया गया. भारत उन देशों में शामिल था, जिन्होंने लॉकडाउन को बेहद सख्ती से लागू किया. कृषि, खाद्य और स्वास्थ्य क्षेत्र को छोड़कर लगभग सारे सेक्टर बंद कर दिये गए. इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा. दुनिया की तरह भारत की अर्थव्यवस्था भी गोते खाकर शून्य से भी नीचे माइनस में आ गई. यानी आर्थिक विकास दर माइनस में चली गई. अब पूरी दुनिया की एक ही कोशिश है कि कैसे अर्थव्यवस्था को रफ्तार दी जाए और इसे माइनस की खाई से निकालकर प्लस की उड़ान पर लाया जाए.
सांसदों ने पूछा आर्थिक विकास दर का सवाल
भारत में भी ऐसी ही कोशिशें चल रही है. मगर केंद्र सरकार ने दुनिया से बिल्कुल अलग तरीका निकाला है, जो लोक सभा में दिए गए एक जवाब में देखा जा सकता है. 22 मार्च को अतारांकित प्रश्न के तहत सांसद बालूभाऊ उर्फ सुरेश नारायण धानोरकर और सांसद के. नवासकनी ने सरकार से तीन सवालों के जवाब मांगे थे.
इसमें पहला सवाल था कि क्या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी वैश्विक आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है कि वर्ष 2020 में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय भारत की प्रति व्यक्ति आय से अधिक हो जाएगी, यदि हां तो इसके क्या कारण हैं?
दूसरा सवाल था कि क्या उक्त रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2020 में विश्व की सबसे अधिक गिरने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी, यदि हां तो इसका ब्यौरा क्या है?
और तीसरा सवाल था कि क्या पांच वर्ष पहले भारत की प्रति व्यक्ति आय बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय से 40 प्रतिशत अधिक थी, यदि हां तो इसका ब्यौरा क्या है?
लिखित जवाब में मानइस ब्रेकेट में बंद हो गया
लोक सभा में सांसदों के इन सवालों का केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिया. उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वर्ल्ड इकॉनॉमिक आउटलुक की अक्टूबर 2020 की रिपोर्ट में 2020 में क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर भारत का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6283 अमेरीकी डॉलर, जबकि बांग्लादेश का 5138 अमेरीकी डॉलर बताया है. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने दूसरे सवाल का जो जवाब दिया, उसमें अर्थव्यवस्था की विकास दर और माइनस के बीच ब्रेकेट का कुशन लगा दिया गया.
लोक सभा में पेश जवाब में लिखा गया है कि ‘आईएमएफ के डब्ल्यूईओ जनवरी 2021 के अपडेट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में 2020 में (-) 8 प्रतिशत की वृद्धि आकलित की गई है, जो स्पेन (-11.1 प्रतिशत), अजेंटीना (-10.4 प्रतिशत), यूनाइटेड किंगडम (-10 प्रतिशत), फिलीपींस (-9.6 प्रतिशत), इटली (-9.2 प्रतिशत), फ्रांस (-9 प्रतिशत) और मैक्सिको (-8.5 प्रतिशत) की तुलना में कम संकुचन है.’
इसमें गौर करने वाली बात है कि भारत की ऋणात्मक आर्थिक वृद्धि दर के साथ आने वाले माइनस यानी ऋण चिन्ह को सीधे लिखने के बजाए ब्रेकेट में लिखा गया है. आर्थिक आंकड़ों को लिखने का यह प्रचलित तरीका नहीं है. खुद सरकार ने दूसरे देशों की वृद्धि दर की ऋणात्मक रफ्तार को बताते समय माइनस या ऋण के चिन्ह को ब्रेकेट में न रखकर आंकड़ों के साथ रखा है. अब अगर कोई इस ब्रेकेट पर गौर न करे, जो कि अक्सर होता है, तो वह थोड़ी देर के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को 8 फीसदी की रफ्तार से बढ़ता हुआ मान ही लेगा. इसमें झूठ तो कुछ भी नहीं है, लेकिन सच कहने का यह तरीका गफलत भरा जरूर है.
सरकार पर दबाव क्या है
दरअसल, मौजूदा सरकार अपने को चमत्कारिक शक्तियों से लैस साबित करना चाहती है. लेकिन उसके ज्यादातर फैसले भारतीय अर्थव्यवस्था पर भारी पड़े हैं. इसमें नोटबंदी से लेकर जीएसटी जैसे फैसलों के साथ पूरे देश में एक साथ लॉकडाउन घोषित करने का फैसला भी शामिल है. यही वजह है कि लॉकडाउन लगते ही पहले से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था चारों खाने चित हो गई इसी बात को आईएमएफ के डब्ल्यूईओ जनवरी 2021 के अपने अपडेट में कहा गया है. इसके मुताबिक, भारत विकासशील देशों में सबसे तेजी से नीचे गिरने वाली अर्थव्यवस्था रही है यानी 2020 में इसकी जीडीपी की वृद्धि दर -8 प्रतिशत है.
आंकड़ों में खेल का यह पहला मौका नहीं है
केंद्र सरकार अपना और अपने नेताओं का करिश्माई चरित्र गढ़ने के लिए लगातार आंकड़ों को उलझाकर पेश करने से नहीं चूक कर रही. बीते साल दिसंबर में जब किसानों का आंदोलन तेज हो रहा था, अचानक खबर आई कि प्रधानमंत्री 100वीं किसान रेल को रवाना करेंगे. उन्होंने ट्रेन को रवाना भी किया. लेकिन अब राज्य सभा में खुद सरकार ने बताया है कि देश में कुल 10 किसान रेल ही चल रही हैं. तब 100वीं किसान रेल को रवाना करने का सच क्या है? दरअसल, वह 100वीं किसान रेल नहीं, बल्कि किसान रेल का 100वां फेरा था, जिसे प्रधानमंत्री के हाथों रवाना करवा करके समारोह में बदला गया था.
आंकड़ों के इस खेल में सत्यमेव जयते का क्या होगा
केंद्र सरकार पर लगातार झूठे विज्ञापन या फर्जी लाभार्थियों को दिखाने के भी आरोप लग रहे हैं. उत्तर प्रदेश की सरकार भी उसी के नक्शेकदम पर चल रही है. हाल ही में मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो जारी किया गया, जिसमें एक व्यक्ति लेखपाल की नौकरी मिलने पर सरकार का आभार जता रहा था. लेकिन हकीकत है कि बीते चार साल में लेखपाल या पटवारी की भर्ती ही नहीं निकली है. इस बीच कोलकाता में प्रकाशित प्रधानमंत्री आवास योजना का एक विज्ञापन भी सुर्खियों में है. इसमें प्रधानमंत्री के साथ एक महिला की तस्वीर है, जिसे आवास योजना का लाभार्थी बताया गया है,लेकिन वह कोलकाता में किराए के मकान में रहती है. सवाल उठता है कि ऐसे सरकार तो चलती रहेगा, लेकिन सत्यमेव जयते की गारंटी का क्या होगा?
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LOK SABHA UNSTARRED QUESTION NO. 4349
SHRI BALUBHAU ALIAS SURESH NARAYAN DHANORKAR, SHRI K. NAVASKANI:
Will the Minister of FINANCE be pleased to state:
(a) whether the International Monetary Fund Global Economic Outlook report has projected that Bangladesh is set to surpass India’s per capita income in 2020 and if so, the reasons therefor;
(b) whether the report states that the Indian economy will be among the steepest declining economies in the world in 2020 and if so, the details thereof; and
(c) whether it is true that five years ago, India’s per capita income was 40 per cent higher than that of Bangladesh and if so, the details thereof?
ANSWER
MINISTER OF STATE IN THE MINISTRY OF FINANCE (SHRI ANURAG SINGH THAKUR)
(a) As per International Monetary Fund’s (IMF’s) World Economic Outlook (WEO) report, October 2020, India’s per capita Gross Domestic Product (GDP) in purchasing power parity (PPP) terms in 2020 is estimated at US$ 6283.57 as compared to US$ 5138.58 for Bangladesh.
(b) As per IMF’s WEO Update, January 2021, the Indian economy is estimated to grow at (-) 8% in 2020, a contraction smaller than that of Spain (-11.1%), Argentina (-10.4%), United Kingdom (-10%), Philippines (-9.6%), Italy (-9.2%), France (-9%) and Mexico (-8.5%).
(c) As per IMF’s WEO report, October 2020, India’s per capita GDP in PPP terms in 2015 was US$ 5464.86, 46.7 percent higher than that of Bangladesh (US$ 3724.26).