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अमेरिकी सीनेट का कमरा S-211 ताज महल क्यों कहा जाता है?

अमेरिकी सीनेट के कमरा नंबर S-211 को ‘जेम्स ऑफ द कैपिटल’ का भी दर्जा हासिल है.

अमेरिकी सीनेट का कमरा s-211
Photo credit- Architect of the Capitol

भारत की संसद में राज्य सभा की तरह अमेरिका की कांग्रेस में सीनेट यानी उच्च सदन है. अमेरिकी सीनेट का एक कमरा है-S-211 . इसे लगभग 170 साल पहले 1851-59 में सीनेट की विस्तार योजना के तहत बनाया गया था. मूल रूप से S-211 में सीनेट की लाइब्रेरी खुलनी थी, लेकिन इसे छोड़कर बाकी हर काम के लिए इसका इस्तेमाल हुआ. इसमें पहले अमेरिकी सीनेट के लिए पोस्ट ऑफिस खुला. फिर 1884 में इसे सीनेट की डिस्टिक्ट ऑफ कोलंबिया कमेटी को दे दिया गया. इस समिति का इस पर लगभग तीन चौथाई सदी तक कब्जा रहा. बाद में अमेरिकी सीनेट के मजॉरिटी लीडर लिंडन बी जॉनसन का कार्यालय बना.

नायाब सजावट और चित्रकारी

अमेरिकी सीनेट के अन्य कमरों में S-211 के खास होने की वजह इसकी अलग बनावट नहीं, बल्कि इसकी नायाब सजावट और चित्रकारी है. इसमें अमेरिका के महाशक्ति बनने से जुड़े विषयों का चित्रण है. दरअसल, 1851 में सीनेट का विस्तार ही दुनिया के फलक पर उदय हो रहे अमेरिका की विधायी जरूरतों को पूरा करने के लिए हुआ था. इसी वजह से इस दौरान बनी इमारतें न केवल भव्यता को समेटे हुए हैं, बल्कि आंतरिक साज-सजावट में भी बेजोड़ हैं.

इस काम में बहुत से वास्तुकारों और चित्रकारों की मदद ली गई. इसमें सबसे प्रमुख रहे इतालवी कलाकार कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने 1857 में S-211 कमरे की भीतरी सजावट का खाका तैयार किया. इसकी छत के फ्रेस्को (दीवार या छत की चित्रकारी) की थीम कुछ ऐसे बनाई जिसमें अमेरिका का इतिहास, भूगोल, छाप और दर्शनशास्त्र सब कुछ आ जाए. कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने अपना काम भी शुरू कर दिया. कमरे की छत के एक अर्द्धचंद्राकार फलक (lunette) और एक कोने की चित्रकारी पूरी भी कर डाली. लेकिन तभी उन्हें दूसरे हिस्से का काम सौंप दिया गया. यानी इसके बाद कमरे का बाकी काम रुक गया. इस दौरान इस कमरे में सीनेट का पोस्ट ऑफिस भी खुल गया.

मूल ब्लूप्रिंट ही बदल गया

बाद में कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी दूसरे काम निपटाकर इस कमरे की तरफ दोबारा लौटे और अपना काम 1867 में पूरा किया. लेकिन उन्होंने इस छत की मूल थीम में बदलाव कर डाला. ब्रूमीडी ने प्रिंट (चिन्ह या छाप) और दर्शनशास्त्र की जगह फिजिक्स और टेलिग्राफ को शामिल कर लिया. अगर कला से हटकर इस कमरे में चित्रकारी के विषयों को देखा जाए तो यह न केवल विज्ञान और तकनीक की तरफ अमेरिका में उस तरफ बढ़ते रुझान, बल्कि उसके दम पर आई प्रगति की पूरी कहानी बयान करता है.

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अमेरिकी बन गया इटली का चित्रकार

सीनेट के कमरे S-211 को ताज महल किसने और क्यों ताजमहल कहा, यह जानने से पहले इस कमरे की कलात्मक खूबसूरती और इसे साकार करने वाले कलाकार कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी की चर्चा जरूरी है. ब्रूमीडी का जन्म रोम में हुआ, वहीं पर चित्रकारी सीखी. 1848 की क्रांति में शामिल हुए. जेल भी गए. लेकिन सजा काटने के बाद 1852 में रोम को छोड़कर अमेरिका आ गए. उन्हें 1855 में वाशिंगटन डीसी में चल रहे राजधानी विस्तार में इमारतों की आंतरिक सजावट का काम मिल गया. वे यहां पर अगले 25 साल तक सीनेट विंग और विशाल गुंबद के प्रधान सजावटकर्ता के रूप में सजाते रहे. इस योजना में कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी की भूमिका के लिए उन्हें ‘मिचेलंगेलो ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स कैपिटल’ कहा जाने लगा. मिचेलंगेलो इटली में पुनर्जागरण दौर के महान वास्तुकार, मूर्तिकार और चित्रकार थे.

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छत की चित्रकारी ने दिलाई शोहरत

कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने S-211 की छत को चार अर्द्धचंद्राकार खाचों में बांटकर उसमें चित्रकारी से भरा है. वे गीले प्लास्टर पर चित्रकारी करते थे. इससे रंग प्लास्टर के साथ घुल-मिल जाते थे और सूखने के बाद बहुत टिकाऊ बन जाते थे. उन्होंने अर्द्धचंद्राकार हिस्सों के बाद बची जगहों को बहुत ही कलात्मक ढंग से सजाया है.

इतिहास

ब्रूमीडी ने इतिहास (History) को एक लड़की के रूप में दिखाया है, जिसने रंगीन पोशाक पहनी हुई है और उसके सिर पर फूलों का मुकुट भी है. वह कलम लेकर रिवॉल्यूशनरी वॉर को दर्ज कर रही है, जिसे उसके बैकग्राउंड में उकेरा गया है. इतिहास के दाएं हिस्से में जरूरी साजो-सामान जैसे कलम-दवात, कागज के बंडल, फ्रेमयुक्त तस्वीर और प्रिटिंग प्रेस मौजूद हैं. इतिहास की किताब ‘फादर टाइम’ के पंखों पर टिकी है, जो उसके बाएं हाथ में रेत घड़ी और हंसिया या दराती लेकर बैठा है. फादर टाइम, ग्रीक और रोमन मिथकों के एक पात्र हैं, जिन्हें समय और उपज का देवता माना जाता है.

टेलिग्राफ

कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने S-211 की छत के एक अर्द्धचंद्र में टेलीग्राफ (Telegraph) की खोज के बाद मिटती भौगोलिक दूरियों को दर्शाया है. यूरोप के आयरलैंड और अमेरिका के न्यूफाउंडलैंड के बीच 1866 में अटलांटिक महासागर की तलहटी पर पहली ट्रांस अटलांटिक केबल डाली जा चुकी थी. इस पहले इलेक्ट्रॉनिक संचार ने अमेरिका और यूरोप के बीच की दूरी को काफी हद तक घटा दिया था. कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने उस दौर की इसी शानदार वैज्ञानिक उपलब्धि को बड़े ही अदभुत अंदाज में उकेरा है.

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यूरोपा बैल पर सवार होकर महासागर पार करके अमेरिका के साथ दोस्ती और संचार का हाथ मिला रही हैं. अमेरिका (लड़की के रूप में चित्रित) ने फ्रीजिआई या लिबर्टी कैप पहन रखी है, जिसमें शक्ति की प्रतीक ओक की पत्तियां लगी हैं. उसके पास कुटूसियस (सर्पदंड- कारोबार का प्रतीक) और जैतून की पत्तियों (शांति की प्रतीक ) को लिए हुए बाज बैठा है. एक तरफ फलों-फूलों से भरी टोकरी (संपन्नता का प्रतीक) पड़ी है और दूसरी तरफ दोनों महाद्वीपों को जोड़ने वाली केबल को पकड़े हुए एक देवदूत मौजूद है.

फिजिक्स

भौतिकी (Physics) को छत पर उकेरते हुए ब्रूमीडी ने विज्ञान और इसके व्यवहारिक उपयोगों, खास तौर पर यातायात के नए साधनों की खोज को प्राथमिकता दी. इसमें स्टीमबोट और रेलगाड़ी चलते हुए चित्रित हैं. फिजिक्स (लड़की के रूप में ) ने सितारों से सजी टोपी पहन रखी है, जिसका एक हाथ मेज पर टिका है और दूसरे हाथ से सर्वे या मानचित्र का कागज है. उसके पास नाविक के कपड़े में एक युवक खड़ा है जो मानचित्र की तरफ कुछ इशारा कर रहा है. फिजिक्स के पास जमीन पर एक लोहार भी बैठा है जो वोल्कन, भट्ठी के देवता का प्रतिनिधित्व करता है. उसके पास निहाई, हथौड़ा और दो बिल्कुल ही नए तैयार किए गए पहिए हैं. यह चित्र उस समय तेज यातायात के विकास के दम पर अमेरिका में आ रही संपन्नता की गवाही देता है. इस कमरे को सजाते हुए ब्रूमीडी ने जो बेहतरीन कलाकारी दिखाई है, उसी वजह से इस कमरे को देखने वाले इसमें शाहजहां के बनवाए ‘ताज महल’ की छवि खोजने लगते हैं.

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ज्योग्राफी

हालांकि, इन तीनों चित्रों के साथ कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी (Constantino Brumidi) ने चौथा चित्र ज्योग्राफी (Geography) का बनाया. इसमें धरती को विषय बनाया, जिस पर सारी गतिविधियां टिकी हैं. पूरी दुनिया को एक नजर से देखने के लिए ज्योग्राफी (लड़की के रूप में चित्रित) को ऊपर (शायद स्वर्ग) से नीचे की तरफ देखते हुए चित्रित किया गया. इनके साथ दो पंखों वाले सहयोगी लड़कियां भी हैं। ज्योग्राफी के एक हाथ में ग्लोब और दूसरे हाथ में डिवाइडर है. वहीं, उसकी एक सहयोगी के हाथ में नए विश्व का नक्शा, जबकि दूसरी सहयोगी के पास एक प्रोटेक्टर और रेल इंजन का छोटा प्रतिरूप है.

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छत की भव्य सजावट के अलावा कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी ने इसके साथ बची कोनों की जगहों को तीन-तीन के समूह में खड़े युवक-युवतियों के खूबसूरत चित्रों से भरा है. इसके अलावा इस कमरे की छत पर एक भव्य झूमर भी है. इसकी फर्श में खास किस्म की टाइल्स का इस्तेमाल हुआ है.

जब ताजमहल को मिली खोई रौनक

लगभग 75 साल तक डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया समिति के कब्जे में रहने के दौरान S-211 खस्ताहाल हो गया. इसकी सारी चित्रकारी अपनी आभा खो बैठी. लेकिन 1959 में जब यह कमरा सीनेट के मजॉरिटी लीडर (बहुमत दल की ओर से संसदीय कामकाज देखने वाला नेता) लिंडन बी जॉनसन को मिला तो इसके दिन बहुर गए. उन्होंने इस कमरे की मरम्मत कराई और इसका पुराना गौरव वापस लौटाया. उन्होंने 1963 में अमेरिका के 36वें राष्ट्रपति बनने तक इस कमरे को एक धरोहर के रूप में संजोए रखा.

इस कमरे की बेततरीन सजावट और भव्यता की वजह से लिंडन बी जॉनसन (Lyndon B. Johnson Room) के स्टाफ ने इसे उनके कैपिटल हिल वाले कम खूबसूरत ऑफिस खास मानते थे. स्टाफ ने दोनों ऑफिस में अंतर करने के लिए S-211 को ‘ताज महल’ पुकारना शुरू कर दिया. जॉनसन को भी यह कमरा इतना पसंद था कि वे अपना ज्यादातर समय यहीं पर गुजारते थे. इसी को देखते हुए अन्य लोग भी इस कमरे को उनका ‘ताज महल’ कहने लगे थे. अमेरिकी सीनेट की आधिकारिक वेबसाइट पर भी इस कमरे को ‘सीनेट का ताज महल’ ही कहा गया है. हालांकि, लिंडन बी जॉनसन के राष्ट्रपति बनने के बाद उनके नाम पर ही S-211 कमरे का आधिकारिक नाम ‘लिंडन बी जॉनसन रूम’ रख दिया गया था.

1. 2.

3. 4.

(छत पर बने भित्ति चित्र – 1. टेलीग्राफ, 2. फिजिक्स, 3. हिस्ट्री, 4. ज्योग्राफी)

1.  2.

3.

(1. कमरा नंबर S-211, 2. S-211 में लिंडन बी जॉनसन, 3. चित्रकार कोंस्टैंटीनो ब्रूमीडी)

(यह लेख अमेरिकी सीनेट और ऑर्किटेक्ट ऑफ द कैपिटल की आधिकारिक वेबसाइट की सूचना पर आधारित है, तस्वीरें भी वहीं से ली गई हैं.)

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ब्राजील में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति बोलसोनारो के खिलाफ जांच को मंजूरी दी, प्रदर्शन भी तेज हुए

ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश रोसा वेबर ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 से निपटने के सरकार के तरीके की जांच कर रही सीनेट की एक समिति के समक्ष हाल में जो गवाही दी गई है, उसी के आधार पर जांच शुरू करने की अनुमति दी जाती है. #Bolsonaro #Brazil

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Photo credit- Twitter PersonalEscrito

कोरोना संकट से निपटने के मामले में लगातार जनाक्रोश का सामना कर रहे ब्राजील में राष्ट्रपति राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो की मुश्किलें  और बढ़ गई हैं. वहां की सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 वैक्सीन को खरीदने के एक सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों पर कथित रूप से कार्रवाई नहीं करने के मामले में उनके खिलाफ आधिकारिक जांच को मंजूरी दे दी है. इसके बाद से बोलसोनारो के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं.

देश के 40 से अधिक शहरों में सैकड़ों-हजारों प्रदर्शनकारियों ने बोलसोनारो के खिलाफ महाभियोग चलाने और कोविड-19 टीकों तक पहुंच मुहैया कराने की मांग की. पारा की राजधानी बेलेम में एक प्रदर्शनकारी ने पोस्टर थाम रखा था, जिस पर लिखा था, ‘‘यदि हम कोविड-19 के कारण हर मौत के लिए एक मिनट का मौन रखें, तो हम जून 2022 तक मौन ही रहेंगे.’’ आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार ब्राजील में संक्रमण से पांच लाख लोगों की मौत हो चुकी है.

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश रोसा वेबर ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 से निपटने के सरकार के तरीके की जांच कर रही सीनेट की एक समिति के समक्ष हाल में जो गवाही दी गई है, उसी के आधार पर जांच शुरू करने की अनुमति दी जाती है.

अभियोजक इस बात की जांच करेंगे कि क्या बोलसोनारो ने एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई में व्यक्तिगत हितों के कारण देरी की है या ऐसा करने से परहेज किया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के आयात विभाग के प्रमुख लुइस रिकार्डो मिरांडा ने कहा कि उन पर भारतीय दवा कंपनी भारत बायोटेक से दो करोड़ टीकों के आयात को मंजूरी देने के लिए हस्ताक्षर करने के लिए अनुचित दबाव बनाया गया. उन्होंने कहा कि बिल में सिंगापुर स्थित एक कंपनी को चार करोड़ 50 लाख डॉलर का अग्रिम भुगतान करने समेत कई अनियमितताएं थीं.

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लुइस रिकार्डो मिरांडा ने सांसद एवं अपने भाई लुइस मिरांडा के साथ 25 जून को सीनेट समिति के सामने गवाही दी थी. इससे पहले लुइस राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो से समर्थक थे. मिरांडा भाइयों ने कहा कि उन्होंने बोलसोनारो को अपनी चिंताओं से अवगत कराया था और उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह संघीय पुलिस से अनियमितताओं की शिकायत करेंगे, लेकिन संघीय पुलिस के एक सूत्र ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि ऐसा नहीं किया गया.

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ईरान में राष्ट्रपति चुनाव में इब्राहिम रईसी को जीत मिली

ईरान के गृह मंत्रालय में चुनाव मुख्यालय के प्रमुख जमाल ओर्फ ने बताया कि प्रारंभिक परिणामों में, पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने 33 लाख वोट और अब्दुलनासिर हेम्माती को 24 लाख मत मिले।

ईरान राष्ट्रपति चुनाव
Photo Credit- IRNA

ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के कट्टर समर्थक और कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख इब्राहिम रईसी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है.

शनिवार को आए प्रारंभिक परिणामों के अनुसार, इब्राहिम रईसी को एक करोड़ 78 लाख वोट मिले. ईरान के गृह मंत्रालय में चुनाव मुख्यालय के प्रमुख जमाल ओर्फ ने बताया कि प्रारंभिक परिणामों में, पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने 33 लाख वोट और अब्दुलनासिर हेम्माती को 24 लाख मत मिले। एक अन्य उम्मीदवार आमिरहुसैन गाजीजादा हाशमी को 10 लाख मत मिले.

उदारवादी उम्मीदवार और ‘सेंट्रल बैंक’ के पूर्व प्रमुख अब्दुलनासिर हेम्माती और पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने इब्राहिम रईसी को जीत की बधाई दी दी.

अब्दुलनासिर हेम्माती ने शनिवार तड़के इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘‘मुझे आशा है कि आपका प्रशासन ईरान के इस्लामी गणराज्य को गर्व करने का कारण प्रदान करेगा, महान राष्ट्र ईरान के कल्याण के साथ जीवन और अर्थव्यवस्था में सुधार करेगा.’’

मोहसिन रेजाई ने मतदान में हिस्सा लेने के लिए खामेनेई और ईरानी लोगों की ट्वीट करके प्रशंसा की. रेजाई ने लिखा, ‘मेरे आदरणीय भाई आयतुल्ला डॉ. सैयद इब्राहीम इब्राहिम रईसी का निर्णायक चयन देश की समस्याओं को हल करने के लिए एक मजबूत और लोकप्रिय सरकार की स्थापना का वादा करता है.’

पूर्व कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद सहित कई लोगों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया. इसलिए बार मतदान प्रतिशत 2017 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले काफी नीचे लग रहा है.

इब्राहिम रईसी की जीत की आधिकारिक घोषणा के बाद वह पहले ईरानी राष्ट्रपति होंगे, जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है.

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उन पर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था.

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माना जा रहा है कि इब्राहिम रईसी की जीत से ईरान सरकार पर कट्टरपंथियों की पकड़ और मजबूत होगी और यह ऐसे समय में होगा, जब पटरी से उतर चुके परमाणु करार को बचाने की कोशिश के तहत ईरान के साथ वैश्विक शक्तियों की वियना में वार्ता जारी है।

ईरान फिलहाल यूरेनियम का बड़े स्तर पर संवर्धन कर रहा है. इसको लेकर अमेरिका और इजराइल के साथ उसका तनाव काफी बढ़ा हुआ है. माना जाता है कि इन दोनों देशों ने ईरानी परमाणु केंद्रों पर कई हमले किये और दशकों पहले उसके सैन्य परमाणु कार्यक्रम को बनाने वाले वैज्ञानिक की हत्या करवाई.

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‘अदालतें प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं कर सकतीं’

नेपाल की प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ विपक्ष व अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में 30 से ज्यादा रिट याचिकाएं दाखिल की गयी हैं. इन पर 23 जून से नियमित सुनवाई होगी. इसी मामले में प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने लिखित जवाब दाखिल किया है.

नेपाल में संसद भंग
Photo credit- Nepal PMO Twitter

नेपाल में संसद भंग करने के फैसले की वहां के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. गुरुवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने अपने लिखित जवाब में प्रतिनिधि सभा को भंग करने के अपनी सरकार के विवादित फैसले का बचाव किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री नियुक्त करने की जिम्मेदारी न्यायपालिका के पास नहीं है, क्योंकि वह राज्य के विधायी और कार्यकारी कार्य नहीं कर सकती.

गौरतलब है कि 22 मई को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और 12 व 19 नवंबर को चुनाव कराने की घोषणा की. यह पांच महीने में संसद को भंग करने का दूसरा मौका था.

सरकार और राष्ट्रपति के इसी फैसले को विपक्षी दलों व अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. अब तक इस मामले में 30 रिट याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नौ जून को प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति कार्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा था.

नेपाल के अखबार ‘हिमालयन टाइम्स’ के मुताबिक, शीर्ष अदालत को गुरुवार को पीएम के पी ओली ने अपना लिखित जवाब दाखिल किया. इसमें उन्होंने कहा, ‘अदालत का कार्य संविधान और मौजूदा कानूनों को परिभाषित करना है, क्योंकि वह विधायी या कार्यकारी निकायों की भूमिका नहीं निभा सकती है. प्रधानमंत्री की नियुक्ति पूरी तरह राजनीतिक और कार्यपालिका की प्रक्रिया है.’

इस मामले में राष्ट्रपति की भूमिका का बचाव करते हुए के पी शर्मा ओली ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-76 केवल राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का अधिकार प्रदान करता है. उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 76 (5) के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि सदन में विश्वासमत जीतने या हारने की प्रक्रिया की विधायिका या न्यायपालिका द्वारा समीक्षा की जाएगी.’ प्रधानमंत्री के पी ओली प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हारने के बाद अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं.

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इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 23 जून से नियमित सुनवाई करेगा.

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इजरायल के राजनीतिक इतिहास में 13 जून को इतना अहम क्यों बताया जा रहा है?

इजरायल में पहली बार ऐसी गठबंधन सरकार बनने जा रही है, जिसमें लेफ्ट, राइट और सेंटर विचारधारा वाले दलों के साथ अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने वाला दल भी शामिल है.

Photo Credit- Benjamin Netanyahu twitter

इजरायल के राजनीति इतिहास के लिए 13 जून को बेहद अहम दिन बताया जा रहा है. आज संसद (नेसेट) में येर लपीद और नफ्ताली बेनेट की गठबंधन सरकार पर वोटिंग होनी है. आठ दलों के इस गठबंधन को 120 सदस्यीय संसद में जीत के लिए जरूरी 61 वोट मिल जाने की उम्मीद जताई जा रही है. इससे 12 साल से इजरायल की सत्ता पर काबिज रहने वाले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के शासन और बीते दो सालों से जारी राजनीतिक संकट का अंत हो जाएगा, जिसके चलते चार बार चुनाव हो चुके हैं.

नफ्ताली बेनेट एक छोटी सी अतिराष्ट्रवादी पार्टी के नेता हैं, जो प्रधानमंत्री के रूप में पद की शपथ लेंगे। उन्हें समर्थन देने वाले गठबंधन में लेफ्ट, राइट और सेंटरिस्ट पार्टियां शामिल हैं.

इजरायल में इस विविध और विरोधी दलों के बीच गठबंधन के सूत्रधार येर लपीद हैं, जो सेंटरिस्ट नेता हैं, जिन्हें साल बाद प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलेगा.

गौरतलब है कि इस गठबंधन सरकार में पहली बार 17 फीसदी अरब अल्पसंख्यक आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला दल भी शामिल है. माना जा रहा है कि यह गठबंधन सरकार फिलिस्तीन को लेकर अपनी नीति जैसे ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की जगह घरेलू सुधारों पर ज्यादा ध्यान देगी।

इस गठबंधन में शामिल दलों ने भी इजरायल में माहौल को सामान्य बनाने का वादा किया है. इसके सामने राजनीतिक स्थिरता कायम करने के अलावा बीते महीने फिलिस्तीन के साथ 11 दिन तक चले टकराव और टीकाकरण अभियान से पहले कोरोना वायरस की वजह से तबाह अर्थव्यवस्था को संभालने की भी चुनौती है.

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हालांकि, बेंजामिन नेतन्याहू, जो भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं, इस विविधतापूर्ण गठबंधन पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने बेनेट पर जनता को धोखा देने का आरोप लगाया है. इसके पीछे नेतन्याहू की दलील है कि बेनेट ने दक्षिणपंथी नेता के रूप में चुनाव लड़ा और सरकार बनाने के लिए वामपंथियों के साथ साझेदारी कर ली.

फिलहाल, बेंजामिन नेतन्याहू संसद में सबसे बड़े दल के नेता बने रहेंगे. माना जा रहा है कि अगर मौजूदा गठबंधन किसी भी वजह से दरकता है और उसका कोई धड़ा अलग होता है, तो यह नेतान्याहू के दोबारा सत्ता में आने के लिए दरवाजे खोल देगा।

बेंजामिन नेतन्याहू इजरायल में सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले व्यक्ति हैं. वे पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने थे. इसके बाद वे 2009 में प्रधानमंत्री बने और अभी तक सत्ता में बने रहे.

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